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योगी सरकार का पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर टिका चुनावी लाभ का गुणा-भाग

2014 का लोकसभा हो या फिर 2017 का विधानसभा चुनाव रहा. फिर 2019 चुनाव हो यहां पर भाजपा को अच्छी सफलता मिली है. उसी क्रम को बरकार रखने के लिए भाजपा का यहां पर ज्यादा जोर है.

Updated on: 15 Nov 2021, 02:24 PM

highlights

  • पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की बड़ी राजनीतिक भूमिका
  • जीवनरेखा वाले जिलों को करेगा जोड़ने का काम
  • आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे की काट है 

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में कुछ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भाजपा सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके जरिए भाजपा खासकर पूर्वांचल में वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए जुट गयी है. चुनावी साल में एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ होने से भाजपा को रफ्तार मिल सकती है. इसी कारण सरकार का पूरा अमला इसकी ब्रांडिंग में जी-जान से जुटा है. प्रधानमंत्री मोदी के हाथों इसका उद्घाटन होगा, जिससे पूर्वांचल के वोटरों को एक बड़ा संदेश जाए. भाजपा के लिए पूर्वांचल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहजनपद गोरखपुर और प्रधानमंत्री की संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी इसी में शामिल है. 

बीजेपी का गढ़ माना जाता है पूर्वांचल
गौरतलब है कि 2014 का लोकसभा हो या फिर 2017 का विधानसभा चुनाव रहा. फिर 2019 चुनाव हो यहां पर भाजपा को अच्छी सफलता मिली है. उसी क्रम को बरकार रखने के लिए भाजपा का यहां पर ज्यादा जोर है. इसी कारण खुद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह ने यहां की कमान अपने हांथों में सभाल रखी है. यूपी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पूरी तरह बनकर तैयार है. इस एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में करेंगे.

जीवनरेखा वाली जिलों को जोड़ता है पूर्वांचल
एक्सप्रेस-वे उन जिलों को जोड़ता है जिन्हें अक्सर पूर्वांचल की जीवन रेखा कहा जाता है, जो कई पिछड़ी जातियों और दलित समुदायों के घर हैं. पूर्वांचल में करीब 28 जिले आते हैं, जो राजनीति की दशा-दिशा बदलने में सहायक होते हैं. यहां पर भाजपा को 2017 में तकरीबन 115 सीटें मिली थी. जिसकी बदौलत वह सत्ता पर पहुंचे थे, जबकि सपा को 17 सीटें हासिल हुई थी. बसपा के खाते पर भी 14 सीटे आई थी. कांग्रेस को 2 जबकि अन्य के खाते में 16 सीटें मिली थी. जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया तो लोगों को इस क्षेत्र का पिछड़ापन दूर होंने की आस जगी थी.

ये हैं खूबियां
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) सिक्स लेन एक्सप्रेस-वे लखनऊ के चंदसराय से लेकर गाजीपुर के हैदरिया तक 340.824 किमी का बनाया गया है. इस तरह पूर्वांचल के शहर राजधानी लखनऊ व राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सीधे जुड़े होंगे. आठ से 10 घंटे का सफर सिमटकर चार से छह घंटे रहा जाएगा. यूपीडा के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के दायरे में आने वाले जनपदों में कारोबारी गतिविधियों को नया विस्तार देने के लिए एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल क्लस्टर स्थानीय श्रम शक्ति को सेवायोजित भी करेंगे. पांच इंडस्ट्रियल क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं. एक्सप्रेस-वे पर सुल्तानपुर में बकायदे 3.2 किमी लंबी सड़क को वायुसेना की हवाई पट्टी के रूप में ही विकसित किया गया है. युद्ध जैसी विषम परिस्थिति में सीमा की सुरक्षा करने के लिए विमान के लैडिंग के लिए यह काफी महत्वपूर्ण साबित होगा.

लखनऊ एक्सप्रेस-वे की काट
भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिले के विभिन्न मंडलों में बैठक कर अधिक से अधिक लोगों के सुल्तानपुर जनसभा में भाग लेने की व्यवस्था में लगी हुई है. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर चुनाव में एक बड़ी उपलब्धि दिखाने का काम करेंगे. वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि पूर्वांचल का विकास योगी प्राथमिकता पर है. पूरे इलाके में उनका एक प्रभाव है. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को प्राथमिकता इसलिए भी दी गयी क्योंकि अखिलेश सरकार ने लखनऊ, आगरा एक्सप्रेस-वे को काफी महत्वपूर्ण माना गया क्योंकि टाप के अधिकारी वहीं लगे रहते थे.