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नए संसद भवन की आखिर क्यों पड़ी जरूरत?  ये है सबसे बड़ी वजह

भारत की संसद (Parliament House) अपने विशाल आकार और भव्य इमारत के लिए पूरी दुनिया में पहचानी जाती है. यह देश की सबसे सुरक्षित इमारतों में से एक है. अब जल्द ही इसी के पास नए संसद भवन (new Parliament House) का निर्माण होने जा रहा है.

Updated on: 10 Dec 2020, 09:06 AM

नई दिल्ली:

भारत की संसद (Parliament House) अपने विशाल आकार और भव्य इमारत के लिए पूरी दुनिया में पहचानी जाती है. यह देश की सबसे सुरक्षित इमारतों में से एक है. अब जल्द ही इसी के पास नए संसद भवन (new Parliament House) का निर्माण होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज संसद भवन की नई इमारत का शिलान्यास करेंगे. अब आपके दिमाग में एक सवाल पैदा हो रहा होगा कि जब संसद की एक इमारत पहले से ही मौजूद है तो दूसरी बनाने की क्या जरूरत थी. तो हम आपको बताते हैं कि इसकी असली वजह क्या थी.  

ये हैं प्रमुख वजह

वर्तमान संसद भवन का शिलान्यास 12 फरवरी 1921 को किया गया था. उस समय इस इमारत के निर्माण में करीब 6 साल का समय लगा था और इसके निर्माण में 83 लाख रुपये खर्च हुए थे. तब इस इमारत का उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन द्वारा 18 जनवरी 1927 को किया गया था. नई इमारत बनने के बाद इसे पुरातत्व धरोहर में बदला जा सकता है. बाकी संसदीय कार्यक्रमों में भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा.

- भारत में पहली बार संसदीय चुनाव 1951 में हुए थे. उस वक्त लोकसभा की 489 सीटें थीं. आज लोकसभा में 543 सदस्य हैं. 2026 में परिसीमन होना है, उसके बाद सदस्यों की संख्या और बढ़ जाएगी. नया परिसीमन इसलिए भी जरूरी बताया जा रहा है क्योंकि इस वक्त एक सांसद करीब 25 लाख की आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहा है. संविधान के आर्टिकल 81 में कहा गया है कि सदन में 550 से अधिक निर्वाचित सदस्य नहीं होंगे, जिनमें से 530 राज्यों से और 20 केंद्र शासित प्रदेशों से होंगे.

- वर्तमान समय में लोकसभा में सदस्यों की संख्या 543 और राज्यसभा सदस्यों की संख्या 245 है. 2021 में प्रस्तावित जनगणना के साथ ये संख्या बदलेगी और बढ़ेगी. 84वें संविधान संशोधन, 2001 में कहा गया है कि 2026 तक यथास्थिति बरकरार रहेगी. 2026 में परिसीमन के बाद बढ़ने वाले संसद सदस्यों का भार उठाने में वर्तमान संसद भवन की इमारत सक्षम नहीं है. पुरानी बिल्डिंग को बने 100 साल पूरे होने वाले हैं, उसमें इन सबको कैसे फिट किया जाएगा. ये भी बड़ा सवाल है.

- नई इमारत बनाने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि मंत्रालयों के ऑफिस अलग-अलग जगहों पर हैं. इस वजह से कॉओर्डिनेशन में दिक्कतें आती हैं. नए प्रोजेक्ट में सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी ऑफिस एक ही जगह पर हों. 

- मौजूदा संसद भवन को बने करीब सौ साल का समय पूरा होने जा रहा है. इसमें कई जगहों पर मरम्मत की जरूरत है. वेंटीलेशन सिस्टम, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, ऑडियो-वीडियो सिस्टम जैसी कई चीजों में सुधार की दरूरत है. इसके अलावा मौजूदा संसद भवन भूकंप रोधी भी नहीं है. ऐसे में सरकार ने नया संसद भवन बनाने का फैसला लिया.  

कौन हैं इस नई इमारत के ‘विश्वकर्मा’?

नए संसद भवन का नक्शा गुजरात के आर्किटेक्ट हैं विमल पटेल ने तैयार किया है. इससे पहले वह गुजरात हाई कोर्ट, IIM अहमदाबाद, IIT जोधपुर, अहमदाबाद का रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट, RBI अहमदाबाद जैसी इमारतों के डिजाइन तैयार कर चुके हैं. इसके लिए उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है.

किसे मिला निर्माण का ठेका

संसद भवन की नई इमारत के निर्माण का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को सौंपा गया है. सितंबर 2020 में इसके लिए बोलियां लगाई गई थीं. नई संसद पार्लियामेंट हाउस स्टेट के प्लॉट नंबर 118 पर बनाई जाएगी. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत संसद की नई इमारत के अलावा इंडिया गेट के आसपास 10 और बिल्डिंग बनाई जाएंगी, जिनमें 51 मंत्रालयों के ऑफिस होंगे.

क्या है नई इमारत की खास बातें?

नया संसद भवन हर मामले में विश्व की सबसे आधुनिक इमारत के तौर पर तैयार किया जा रहा है. 2022 तक तैयार होने वाली इस इमारत में 2000 लोग प्रत्यक्ष और 9000 अप्रत्यक्ष रूप से बैठ सकेंगे. नई इमारत करीब 64,500 स्क्वायर मीटर में फैली होगी. इसके निर्माण पर 971 करोड़ रुपये खर्च होंगे. नई बिल्डिंग पूरी तरह भूकंपरोधी होगी. 

नए संसद भवन में लोकसभा में 590 लोगों के बैठने की जगह है, वहीं नई लोकसभा में 888 सीटें होंगी. विजिटर्स गैलरी में भी 336 लोग बैठ पाएंगे. नई राज्यसभा में 384 सीटें होंगी और विजिटर्स गैलेरी में 336 लोग बैठ सकेंगे. फिलहाल राज्यसभा में 280 लोगों के बैठने की जगह है. इस इमारत में कैफे, लाउंज, डाइनिंग एरिया, मीटिंग के लिए कमरे, अफसरों और बाकी कर्मचारियों के लिए हाईटेक ऑफिस बनाए जाएंगे.