संसद में ऐसे वापस होगा कृषि कानून, ये है पूरी वैधानिक प्रकिया
भारत के संविधान में किसी भी कानून को वापस लेने के दो तरीके हैं. पहला अध्यादेश और दूसरा संसद से बिल पारित कराना. अगर किसी भी कानून को वापस लेने के लिए अध्यादेश लाया जाता है तो उसे 6 महीने के अंदर फिर से संसद में पारित करना जरूरी होता है.
highlights
- शीत सत्र में संसद में वापस लिया जाएगा कृषि कानून
- संसद के दोनों सदनों से पास कराना होगा कानून
- संसद में पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी भी जरूरी
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने प्रकाश पर्व के खास मौके पर पिछले एक साल से विवादों में रहे तीनों कृषि कानून (Farm Laws)को वापस ले लिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील भी की. हालांकि किसान नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जब तक संसद में कानून वापस नहीं होता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. ऐसे में लोगों के जेहन में सवाल है कि आखिर कानून को वापस कैसे लिया जाएगा. इसके लिए पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया जाएगा.
ये है कानून को वापस लेने का तरीका
भारत के संविधान में किसी भी कानून को वापस लेने के दो तरीके हैं. पहला अध्यादेश और दूसरा संसद से बिल पारित कराना. अगर किसी भी कानून को वापस लेने के लिए अध्यादेश लाया जाता है तो उसे 6 महीने के अंदर फिर से संसद में पारित करना जरूरी होता है. अगर किसी कारण से कोई अध्यादेश 6 महीने के अंदर संसद में पारित नहीं हो पाता तो निरस्त कानून फिर से प्रभावी रूप से लागू माना जाएगा.
ये है वैधानिक प्रक्रिया
जिस तरह की प्रक्रिया किसी कानून को बनाने के लिए की जाती है ठीक वैसी ही कानून को वापस लेने के लिए की जाती है. किसी कानून को संसद में पास किया जाता है तो उसे निरस्त भी संसद में ही किया जा सकता है. सबसे पहले उस कानून से जुड़े मंत्रालय को संसद में कानून वापसी का प्रस्ताव रखना पड़ता है. इसके बाद वह प्रस्ताव कानून मंत्रालय के पास जाता है. कानून मंत्रालय किसी भी कानून को वापस लेने से जुड़ी कानूनी वैधानिकता की जांच करता है. कई बार कानून मंत्रालय उस कानून में कुछ जोड़ने या फिर घटाने की सिफारिश भी कर सकता है. कानून मंत्रालय से क्लियरेंस मिलने के बाद संबंधित मंत्रालय कानून वापसी के ड्राफ्ट के आधार पर एक बिल तैयार करता है और संसद में पेश करता है.
बिल पर होती है चर्चा
संसद में किसी कानून को पास कराने के लिए जिस तरह से व्यापक चर्चा की जाती है, ठीक उसी तरह इसे वापस लेने के लिए भी चर्चा होती है. इस दौरान कानून वापसी को लेकर दोनों ही सदनों में बहस या फिर वोटिंग भी कराई जा सकती है. अगर कानून वापसी के पक्ष में ज्यादा वोट पड़े तो सदन कानून वापसी का बिल पारित करेगा. एक ही बिल के जरिए तीनों कृषि कानून वापसी किया जा सकता है. संसद के दोनों सदनों से बिल के वापस होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है. इसके साथ ही कानून वापसी की प्रक्रिया खत्म होती है.
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