logo-image

CM एकनाथ शिंदे क्या कर सकते हैं ठाकरे की विरासत पर कब्जा?

एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने से शिवसेना के कुछ और विधायकों का शिंदे गुट में आने की संभावना है. दूसरा, सत्ता में होने के कारण शिवसेना संगठन के नेता-कार्यकर्ता भी शिंदे के साथ आ सकते हैं.

Updated on: 30 Jun 2022, 07:59 PM

highlights

  • एकनाथ शिंदे बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
  • शिवसेना की विरासत पर किसका होगा कब्जा
  • देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री

नई दिल्ली:

बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने ये ऐलान कर सबको अचंभित कर दिया कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. इस ऐलान से हर कोई हतप्रभ हो गया. भाजपा विधायक से लेकर एकनाथ शिंदे तक के परिजनों को इस बात पर सहसा विश्वास नहीं हुआ. लेकिन सच यही है.अब एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं. फडणवीस के ऐलान ने महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया. पहले ऐसी खबर थी कि फडणवीस महाराष्ट्र के सीएम बनने जा रहे हैं और एकनाथ शिंदे उप-मुख्यमंत्री होंगे. लेकिन हमेशा की तरह बीजेपी ने एक बार फिर सभी को हैरत में डाल दिया. जिस फैसले की किसी को उम्मीद नहीं थी, उन्होंने वहीं लिया. उनकी तरफ से शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को आगे कर दिया गया. 

भाजपा के पीछे हटने के क्या हैं कारण

शिवसेना में बगावत और बागियों के भाजपा शासित गुजरात और फिर असम में शरण लेने की घटना ने यह साबित कर दिया था कि इस खेल में पर्दे के पीछे भाजपा है. यहां तक कहा जा रहा था कि न सिर्फ भाजपा बल्कि केंद्र की भाजपा सरकार बागियों की पूरी मदद कर रही है. शिवसेना के बागी विधायकों के समर्थन से यदि भाजपा अपने मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्र फडणवीस का नाम बढ़ाती तो यही आरोप लगता कि भाजपा सत्तालोलुप है और सत्ता के लिए शिवसेना में बगावत को हवा दी थी. फडणवीस ने भी मीडिया से बात करते हुए साफ कर दिया है कि बीजेपी को सत्ता का कोई लालच नहीं है. वे सिर्फ हिंदुत्व की विचारधारा को मजबूत करने के लिए शिंदे का समर्थन करने जा रहे हैं.

एकनाथ शिंदे के समर्थन में छिपा है दूरगामी फायदा

सरकार गठन और मुख्यमंत्री के नाम को लेकर इस बार भाजपा ने बहुत सोच-समझ कर कदम रखा था. शिवसेना के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को उतार कर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनाने से राज्य भर में शिवसैनिक नाराज हो जाएंगे. और जगह-जगह शिवसैनिक उत्पात कर सकते हैं. शिवसैनिकों के विरोध से बचने और उनको उद्धव ठाकरे के पक्ष से एकनाथ शिंदे के पक्ष में लाने की यह रणनीति है. बागी गुट का अब न तो भाजपा और न ही मनसे में विलय होगा. बल्कि वह अपने असली शिवसेना के रूप में पेश करेंगे.  भाजपा और शिवसेना के बागी नेता कांग्रेस औऱ एनसीपी के साथ शिवसेना के गठबंधन को अननेचुरल और भाजपा के साथ नेचुरल बता रहे हैं. अब भाजपा-शिवसेना के बागी कह रहे हैं कि, वे एक मजबूत सरकार दे रहे हैं जो बाला साहेब ठाकरे के विचारों को आगे बढ़ाने वाली है. दरअसल,भाजपा शिवसेना को ठाकरे परिवार से मुक्त करना चाहती है.

यह भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश की सरकारी बसों में महिलाओं को 50% किराए की छूट: सीएम जयराम ठाकुर

एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने से शिवसेना के कुछ और विधायकों का शिंदे गुट में आने की संभावना है. दूसरा, सत्ता में होने के कारण शिवसेना संगठन के नेता-कार्यकर्ता भी शिंदे के साथ आ सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो  बागी गुट का दावा- हम असली शिवसेना हैं, भी साबित हो जायेगा. इस तरह शिवसेना ठाकरे परिवार से दूर और भाजपा के करीब हो जायेगी.