logo-image

ग्रीन पटाखों को आखिर क्यों माना जाता है सेफ, इनसे धुआं निकलता है या नहीं?

दिवाली के पर्व पर प्रदूषण मुख्य समस्या बनकर हर साल सामने आती है। ऐसे में कई राज्य सरकारें पहले से गाइडलाइन जारी करती हैं, जिसमें पटाखों पर बैन लगाने की बात कही जाती है. वहीं ग्रीन पटाखों को जलाने की इजाजत दी जाती है.

Updated on: 03 Nov 2021, 08:56 AM

highlights

  • इन पटाखों से 30-40 फीसदी तक प्रदूषण को कम किया जा सकता है 
  • इसमें एल्युमिनियम, बैरियम, पौटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का उपयोग नहीं होता है
  • इससे वायु प्रदूषण पर कम असर पड़ता है

 

नई दिल्ली:

दिवाली का पर्व करीब आते ही हर साल प्रदूषण का मुद्दा उठाया जाता है। ऐसे में कई राज्य सरकारें पहले से गाइडलाइन जारी करती हैं, जिसमें पटाखों पर बैन लगाने की बात कही जाती है। वहीं ग्रीन पटाखों को जलाने की इजाजत दी जाती है. ऐसे में कई के मन में सवाल उठते होंगे कि आखिर इन ग्रीन पटाखों और सामान्य पटाखों में क्या अंतर है? क्यों सरकारें इन्हें प्रमोट कर रही हैं? क्या इन्हें जलाने के बाद धुआं नहीं निकलता है? आइए जानते हैं कि इन पटाखों की खासियत क्या है.  

क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?

ग्रीन पटाखों से प्रदूषण कम होता और यह पर्यावरण के अनुकूल समझे जाते हैं. ग्रीन पटाखों को खास तरह से तैयार किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इससे पर्यावरण में प्रदूषण कम हो जाता है। दरअसल, इन पटाखों से 30-40 फीसदी तक प्रदूषण को कम किया जा सकता है.  साथ ही ग्रीन पटाखों में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले नुकसानदायक रसायन नहीं होते हैं. ग्रीन पटाखों के लिए कहा जाता है कि इसमें एल्युमिनियम, बैरियम, पौटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का उपयोग नहीं होता है या इसकी मात्रा काफी कम होती है. इससे वायु प्रदूषण पर कम असर पड़ता है.

ये भी पढ़ें: अयोध्या में दीपोत्सव पर आज बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड, सीएम योगी होंगे शामिल

कहां मिलेंगे पटाखे?

कुछ साल पहले तो कुछ संस्थाएं ही इसका निर्माण कर रही थीं, लेकिन अब इसका प्रोडक्शन बड़े स्तर पर हो रहा है. ऐसे में सरकार की ओर से रजिस्टर्ड दुकान पर आसानी से ग्रीन पटाखे खरीदे सकते हैं.

कैसे होते हैं?

ग्रीन पटाखे दिखने में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं. ग्रीन पटाखों की कैटेगरी फुलझड़ी, फ्लॉवर पॉट, स्काईशॉट जैसे सभी तरह के पटाखे मिलते हैं. इन्हें भी माचिस की तरह जलाया जाता है. इसके साथ ​इनमें खुशबू और वाटर पटाखे भी मिलते हैं। जिन्हें अलग तरह से जलाया जाता है.

क्या रोशनी नहीं होती है?

इन पटाखों में भी रोशनी होती है.यह सामान्य पटाखों की तरह ही काम करते हैं, बस ये पर्यावरण के अनुकूल माने जाते हैं. इन पटाखों को जलाने पर धुआं निकलता है मगर इसकी मात्रा काफी कम होती है.

कीमत में कितना है फर्क?

अगर कीमत की बात करें तो यह सामान्य पटाखों से थोड़े महंगे होते हैं. जैसे जिन पटाखों के लिए आपको 250 रुपये तक का खर्च करना होता है, उन पटाखों के लिए आपको ग्रीन पटाखों की कैटेगरी में 400 रुपये से ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है.