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उत्तर प्रदेश में अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाने की तैयारी तेज, कानून लाएगी सरकार

यूपी सरकार विधानसभा के अगले सत्र में इस कानून को ला सकती है. उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने मुख्यमंत्री को प्रस्तावित कानून का ड्राफ्ट सौंप दिया है.

Updated on: 23 Mar 2021, 01:15 PM

highlights

  • अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा
  • उत्तर प्रदेश जल्द ला सकती है कानून
  • राज्य विधि आयोग ने मुख्यमंत्री को प्रस्तावित कानून का ड्राफ्ट सौंपा

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों तो हटाने के लिए कानून लाने जा रही है. योगी सरकार ऐसे धार्मिक स्थलों को हटाने के लिए कानून बनाने की तैयारी में है. जानकारी के मुताबिक यूपी सरकार विधानसभा के अगले सत्र में इस कानून को ला सकती है. उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने मुख्यमंत्री को प्रस्तावित कानून का ड्राफ्ट सौंप दिया है. प्रस्तावित कानून के ड्राफ्ट में अवैध रूप से धार्मिक स्थल बनाने पर तीन साल तक की सजा की सिफारिश की गई है. इसके लिए आयोग ने तीन श्रेणियों का प्रस्ताव दिया है.

पहली श्रेणी में एक निर्धारित तिथि के पहले बने धार्मिक स्थलों को नियमित करने की सिफारिश की गई है जिसमें ट्रैफिक को लेकर कोई बाधा नहीं हो. दूसरी श्रेणी में ऐसे धार्मिक स्थलों को शिफ्ट कराने या छोटा कराने की सिफारिश की गई है. तीसरी श्रेणी में एक निश्चित तिथि के बाद बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाने की सिफारिश की गई है.

बताते चलें कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में इस तरह के कानून पहले से ही हैं. यूपी में प्रस्तावित कानून का ड्राफ्ट इन दोनों राज्यों के कानून के आधार पर ही तैयार किया गया है. हाल ही में यूपी सरकार ने सड़क पर या सड़क किनारे कराए गए धार्मिक स्थलों के निर्माण हटवाने के निर्देश दिए थे. इस सिलसिले में पिछले दिनों बाराबंकी प्रशासन ने सरकार के निर्देशों पर सड़क किनारे बनाई गई मजार हटाई भी थी.

उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी हाल ही में निर्देश दिए थे कि सार्वजनिक सड़कों ( राजमार्गों सहित), गलियों, फुटपाथों, सड़क के किनारों, लेन आदि पर धार्मिक प्रकृति की कोई संरचना या निर्माण की अनुमति कदापि न दी जाए. यदि इस प्रकार की कोई संरचना या निर्माण 1 जनवरी 2011 या उसके बाद किया गया हो तो उसे तत्काल हटा दिया जाए. शासन द्वारा यह निर्देश भी दिए गए हैं कि इसकी अनुपालन आख्या संबंधित जिलों के जिला अधिकारियों द्वारा संबंधित प्रमुख सचिव या सचिव को प्रस्तुत की जाएगी तथा वह एक विस्तृत आख्या अगले 2 माह मे मुख्य सचिव को प्रस्तुत करेंगे.