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तुर्की स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में प्रवेश का विरोध क्यों कर रहा है?

राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने कहा कि स्वीडन, फिनलैंड और नाटो के नेताओं के साथ एर्दोगन की बैठक होने का  "मतलब यह नहीं है कि हम अपनी स्थिति से एक कदम पीछे हट जाएंगे."

Updated on: 28 Jun 2022, 12:00 PM

highlights

  • नाटो एक सामूहिक सुरक्षा गठबंधन है
  • तुर्की1952 से नाटो का सदस्य और दूसरा सबसे बड़ा सैन्य बल है
  • फिनलैंड और स्वीडन की नाटो सदस्यता में एर्दोगन के बाधा डाल रहे हैं

नई दिल्ली:

तुर्की के राष्ट्रपति रसेप तईप एर्दोगन के फिनलैंड और स्वीडन को नाटो सदस्यता का  विरोध करने की घोषणा के हफ्तों बाद, दो नॉर्डिक देशों और नाटो के नेता गतिरोध को तोड़ने के लिए आज यानि मंगलवार को एर्दोगन से मिलेंगे. यूक्रेन पर रूसी हमलों  पर ऐतिहासिक रूप से तटस्थ स्वीडन और फ़िनलैंड ने पहली बार मई में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के लिए आवेदन किया था. तुर्की ने दो नॉर्डिक देशों पर कुर्द आतंकवादी समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए उनके प्रवेश का विरोध किया था, जिसे वह आतंकवादी संगठन मानता है.

राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने कहा कि स्वीडन, फिनलैंड और नाटो के नेताओं के साथ एर्दोगन की बैठक होने का  "मतलब यह नहीं है कि हम अपनी स्थिति से एक कदम पीछे हट जाएंगे." 15 जून को, तुर्की ने कहा था कि दोनों उम्मीदवार उसकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं और किसी भी बातचीत से तुर्की की चिंताओं को दूर करना होगा.

नाटो क्या है?

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ के विस्तार के कथित खतरे के जवाब में,  संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और विभिन्न पश्चिमी यूरोपीय देशों ने 1949 में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का गठन किया. वर्तमान में नाटो में 30 सदस्य हैं, और उत्तरी अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 10 के अनुसार, कोई भी यूरोपीय देश जो "उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान कर सकता है" गठबंधन में शामिल हो सकता है.

हालांकि, नाटो में नए देश के शामिल होने के लिए प्रत्येक सदस्य राज्य की स्वीकृति जरूरी होती है. 2008 में ग्रीस ने 'मैसेडोनिया' के नाटो में शामिल होने का विरोध किया था. क्योंकि उसे  'मैसेडोनिया' नाम पर आपत्ति थी. देश के नाम पर दीर्घकालिक विवाद के कारण 2018 में 'मैसेडोनिया' ने अपना नाम 'उत्तरी मैसेडोनिया' कर दिया. इसके बाद ग्रीस ने अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद मार्च 2020 में देश को आधिकारिक तौर पर एक सदस्य के रूप में भर्ती कराया गया.

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नाटो अनिवार्य रूप से एक सामूहिक सुरक्षा गठबंधन है, इसके सदस्य आपसी रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं यदि उनमें से किसी एक पर बाहरी बल द्वारा हमला किया जाता है. सामूहिक रक्षा के गठबंधन के मुख्य सिद्धांत को उत्तरी अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 5 में रखा गया है: "पार्टियां इस बात से सहमत हैं कि यूरोप या उत्तरी अमेरिका में उनमें से एक या अधिक के खिलाफ सशस्त्र हमले को उन सभी के खिलाफ हमला माना जाएगा और परिणामस्वरूप वे सहमत हैं कि, यदि ऐसा सशस्त्र हमला होता है, तो उनमें से प्रत्येक, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 51 द्वारा मान्यता प्राप्त व्यक्तिगत या सामूहिक आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए, उस पार्टी या पार्टियों की सहायता करेगा, जिस पर हमला किया गया है, तुरंत व्यक्तिगत रूप से और अन्य पक्षों के साथ मिलकर, उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा को बहाल करने और बनाए रखने के लिए सशस्त्र बल के उपयोग सहित, ऐसी कार्रवाई जो आवश्यक समझे.

क्या हैं तुर्की की शिकायत?

तुर्की, जो 1952 से नाटो का सदस्य रहा है और गठबंधन में दूसरा सबसे बड़ा सैन्य बल है, ने बार-बार फिनलैंड और स्वीडन के प्रवेश का विरोध किया है. एर्दोगन का दावा है कि वे "कई आतंकवादी संगठनों के संरक्षक" हैं, जैसे कुर्दिस्तान की वर्कर्स पार्टी (पीकेके) और पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स (वाईपीजी). पीकेके दशकों से तुर्की के साथ सशस्त्र संघर्ष में लगा हुआ है, पहले एक स्वतंत्र कुर्द राज्य की मांग कर रहा है, लेकिन तब से अधिक कुर्द स्वायत्तता और तुर्की के भीतर कुर्दों के अधिकारों को बढ़ाने के लिए विकसित हुआ है.

पीकेके को तुर्की, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है. फ़िनलैंड और स्वीडन ने भी इसे आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित कर दिया है.

अंकारा चाहता है कि नॉर्डिक देश सीरिया में पीकेके और वाईपीजी बलों को दबाने के लिए लिखित प्रतिबद्धताएं करें. पीकेके से संबद्ध, वाईपीजी एक मिलिशिया है जो पूर्वोत्तर सीरिया के रोजावा क्षेत्र में सक्रिय है. उन्होंने सीरिया में ISIS के खिलाफ सैन्य अभियानों में पश्चिमी ताकतों का समर्थन किया और उनकी हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार तुर्की ने वाईपीजी पर देश की सीमा के पास अपने लड़ाकों पर हमला करने का आरोप लगाया है.

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की स्वीडन और फिनलैंड द्वारा PKK सदस्यों और फेतुल्लाह गुलेन के अनुयायियों के प्रत्यर्पण से इनकार करने से नाराज है, जिन पर अंकारा ने 2006 के तख्तापलट के लिए उकसाने का आरोप लगाया है. साथ ही, तुर्की चाहता है कि स्वीडन और फिनलैंड देश को हथियारों की बिक्री पर अपने प्रतिबंध हटा दें, जो 2019 में सीरिया में अंकारा के सैन्य अभियान के बाद लगाया गया था.

क्या तुर्की के रुख के पीछे घरेलू राजनीति हैं?

आलोचकों का तर्क है कि फिनलैंड और स्वीडन की नाटो सदस्यता में एर्दोगन के बाधा डालने का तुर्की की घरेलू राजनीति भी हैं. तुर्की वर्तमान में बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की बढ़ती लागत से जूझ रहा है. अगले साल होने वाले चुनावों के साथ, राष्ट्रवादी मुद्दों पर एर्दोगन का जोर तुर्की के मतदाताओं के बीच उनकी छवि को सुधारना है.

नाटो के पूर्व अधिकारी स्टेफ़नी बाबस्ट ने न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा संदर्भित एक साक्षात्कार में कहा, "मुख्य रूप से यह तुर्की में उनके चुनावी आधार को एक संदेश देना है. उनके आगे एक चुनाव है. तुर्की कीआर्थिक स्थिति बहुत खराब  है और इसलिए वह नेतृत्व जनता को यह दिकाना चाहता है कि वह एक कठोर नेता है और इसलिए मुझे यह कहने में डर लगता है कि वह अपने रणनीतिक संदेशों को प्रसारित करने के लिए स्वीडन और फिनलैंड का उपयोग कर रहे हैं."

क्या स्वीडन और फिनलैंड नाटो में शामिल हो पाएंगे?

कई हफ्तों के अंतराल के बाद, तुर्की, स्वीडिश और फ़िनिश पक्षों ने 20 जून को बातचीत की. इसके बाद, तुर्की के राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने संवाददाताओं से कहा कि उनके देश को देशों के अनुरोधों पर आगे बढ़ने के लिए "बाध्यकारी वादे" करने की आवश्यकता है. हम खुद को किसी समय में सीमित नहीं देखते हैं. इस प्रक्रिया की गति, दायरा इन देशों के तरीके और हमारी अपेक्षाओं को पूरा करने की गति पर निर्भर करता है. ” 

तुर्की के सुझाव के साथ कि वह नाटो शिखर सम्मेलन (जून 28-30) द्वारा स्वीडन और फ़िनलैंड को स्वीकार करने की योजना नहीं बना रहा है, यह संभावना नहीं है कि मामला बहुत जल्द सुलझ जाएगा. द हिल द्वारा उद्धृत नाटो के पूर्व उप महासचिव रोज़ गोटेमोलर के अनुसार, भले ही तुर्की अपने वीटो को हटाने का फैसला करता है, फिर भी दो नॉर्डिक देशों को ब्लॉक में शामिल होने में कम से कम एक साल लगेगा.

यदि और जब वे नाटो में शामिल होते हैं, तो फ़िनलैंड और स्वीडन दोनों को सुरक्षा गठबंधन के सदस्यों द्वारा सैन्य सहायता की गारंटी दी जाएगी, यदि कोई बाहरी बल उन पर हमला करता है. एक बार फ़िनलैंड के सदस्य बनने के बाद, रूस के साथ नाटो की सीमाएं दोगुनी से अधिक हो जाएंगी, जो अमेरिका स्थित थिंक टैंक, काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (CRF) के अनुसार, करीब 1,300 किमी की सीमा को जोड़ देगी. इसके अलावा, बाल्टिक सागर और आर्कटिक सागर में नाटो की उपस्थिति को भी मजबूत किया जाएगा.