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तालिबान सरकार गठन में भूमिका, इमरान के नजदीकी... अब बाजवा ने लगाया किनारे

खान के साथ आईएसआई डीजी हाल ही में तालिबान समर्थक नैरेटिव को बढ़ावा देते दिखाई दिए थे, जिन्होंने काबुल में नए प्रशासन के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर समर्थन के लिए प्रयास किए हैं.

Updated on: 08 Oct 2021, 09:58 AM

highlights

  • फैज हमीद ने निभाई अफगानिस्तान में तालिबान सरकार में भूमिका
  • वजीर-ए-आजम इमरान खान के भी हैं बेहद करीबी हैं फैज हमीद
  • बाजवा ने किनारे लगा सैन्य प्रुमख की दौड़ से बाहर किया फैज को

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद (Faiz Hameed) को पेशावर में 11 कोर का कमांडर बनाया गया है, जो कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Jawed Bajwa) द्वारा खेला गया मास्टर स्ट्रोक हो सकता है. पाकिस्तानी मीडिया द्वारा हाल ही में यह खुलासा किया गया है कि फैज हमीद को आईएसआई प्रमुख के पद से हटाकर 11 कोर कमांडर के तौर पर नियुक्त किया गया है. निवर्तमान आईएसआई प्रमुख को देश के 'चयनित' प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) का करीबी विश्वासपात्र माना जाता है. खान के साथ आईएसआई डीजी हाल ही में तालिबान समर्थक नैरेटिव को बढ़ावा देते दिखाई दिए थे, जिन्होंने काबुल में नए प्रशासन के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर समर्थन के लिए प्रयास किए हैं.

इस्लामाबाद के सत्ता के गलियारों से हो गए दूर
कहा जाता है कि फैज हमीद ने काबुल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के आतंकवादी संगठन हक्कानी गुट को मंत्रिमंडल में प्रमुख जगह दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पेशावर में तैनात किए जा चुके फैज हमीद को बाजवा ने इस्लामाबाद में सत्ता के गलियारों से प्रभावी ढंग से हटा दिया है. एक साधारण कोर कमांडर के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल हमीद प्रधानमंत्री आवास का दौरा नहीं करेंगे और चूंकि आईएसआई के डीजी देश के प्रधानमंत्री की सीधी कमान के अधीन हैं, इसलिए आईएसआई के डीजी के रूप में हमीद की स्वतंत्र स्थिति समाप्त हो जाएगी. अब फैज अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी सेना प्रमुख जनरल बाजवा की कमान में हैं.

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पीएमएल-एन के आगे घुटने टेके
ऐसे में जनरल फैज की पेशावर में 11 कोर के कमांडर के रूप में नियुक्ति शायद यह भी संकेत देती है कि जनरल बाजवा ने पंजाब की राजनीति में लेफ्टिनेंट जनरल हमीद के हस्तक्षेप के बारे में पीएमएल (एन) के मुखर विरोध के आगे घुटने टेक दिए होंगे. लेफ्टिनेंट जनरल हमीद को पंजाब से बाहर निकालने से वह पंजाब की आंतरिक राजनीति में कोई भूमिका निभाने से वंचित हो गए हैं. इसलिए फैज को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के बीच राजनीतिक प्रतियोगिता को प्रभावित करने के किसी भी अवसर से वंचित कर दिया गया है. पेशावर में लेफ्टिनेंट जनरल हमीद की पोस्टिंग इस प्रकार पीएमएल (एन) के लिए अच्छी खबर है और इमरान खान के लिए बुरी खबर है. उन्हें जनरल बाजवा ने बहुत ही समझदारी से खैबर पख्तूनख्वा के सीमांत प्रांत में धकेल दिया है, जहां वह खुद को सीमा की बाड़ की मरम्मत में व्यस्त पाएंगे.

प्रासंगिकता खो चुका 11 कोर
दूसरा पहलू यह है कि जैसे ही अमेरिका अब अफगानिस्तान से हट गया है, 11 कोर ने अफगान तालिबान के लिए एक अग्रिम पंक्ति के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार कोर के रूप में अपना महत्व खो दिया है. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि 11 कोर के महत्व में इसलिए भी गिरावट आई है, क्योंकि सैन्य सहायता के रूप में पैसा बनाने के अवसर भी नहीं रह गए हैं. इसका यह प्रमुख कारण है कि अब अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना चली गई है, इसलिए इस कोर का उतना महत्व नहीं रह गया है. हालांकि सवाल यह है कि क्या लेफ्टिनेंट जनरल हमीद पाकिस्तान के अगले सेना प्रमुख बनने के अपने प्रयास में सफल होते हैं? शायद नहीं. जनरल बाजवा अगले सेना प्रमुख बनने के लिए शिया लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास को नव नियुक्त चीफ ऑफ जनरल स्टाफ के रूप में पदोन्नत कर रहे हैं. यह उस स्थिति में होगा अगर बाजवा खुद सेना प्रमुख के रूप में एक और विस्तार के लिए नहीं जाते हैं.

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बाजवा कई कारणों से नाखुश हैं फैज हमीद से
लेफ्टिनेंट जनरल हमीद इमरान खान के करीबी हैं क्योंकि उन्होंने खान के 'चयन' को सुनिश्चित करने में भूमिका निभाई है. फैज तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान जैसे जिहादी समूहों से जुड़ा हुए हैं, जबकि बाजवा ने कथित तौर पर एक अहमदी परिवार में शादी की है. बाजवा अभी भी बिना उनकी अनुमति के फैज की काबुल यात्रा से नाखुश हैं. बाजवा लेफ्टिनेंट जनरल हमीद के काबुल की यात्रा के दौरान उसी होटल में ताजिक महिलाओं के ठहरने के कथित यौन संबंध से भी नाखुश हैं. कहा जाता है कि जनरल बाजवा पंजशीर में तालिबान के हमले के दौरान एसएसजी अभियानों की गोपनीयता सुनिश्चित करने में लेफ्टिनेंट जनरल हमीद की विफलता के लिए बेहद परेशान थे. अभी के लिए तो ऐसा ही लग रहा है कि जनरल बाजवा ने लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को गुमनामी में डाल दिया है, लेकिन केवल समय ही बताएगा कि सत्ता की लालसा की इस कहानी का अंत आखिर कैसा होगा.