तालिबान को चीन ने दिया आर्थिक मदद का भरोसा, नजर में है 200 लाख करोड़ की संपत्ति
चीन की नजर अफगानिस्तान की 200 लाख करोड़ रुपए की खनिज संपदा समेत एशिया-प्रशांत (Indo Pacific) क्षेत्र में भारत पर वर्चस्व स्थापित करने पर टिकी है.
highlights
- इतालवी अखबार से तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने किया खुलासा
- बीजिंग प्रशासन अफगानिस्तान में तालिबान राज को देगा आर्थिक मदद
- बीजिंग की नजर है अफगानिस्तान की 200 लाख करोड़ खनिज संपदा पर
नई दिल्ली:
अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान राज और चीन की दुरभिसंधि के परिणाम अब सामने आने लगे हैं. चीन की नजर अफगानिस्तान की 200 लाख करोड़ रुपए की खनिज संपदा समेत एशिया-प्रशांत (Indo Pacific) क्षेत्र में भारत पर वर्चस्व स्थापित करने पर टिकी है. इसके साथ ही वह तालिबान की मदद से शिनजियांग क्षेत्र में उइगर आतंक पर भी काबू पाना चाहता है. इन सबसे ऊपर उसकी निगाह बरगाम एयरबेस पर कब्जा जमाने की है. इसके उलट चीन (China) के सापेक्ष तालिबान चीन के जरिये उस आर्थिक खोखलेपन को भरना चाहता है, जो अफगान केंद्रीय बैंक के जब्त संपत्ति से पैदा हुआ है. तालिबान राज को परोक्ष रूप से मदद दे रहा रूस भी अपने कुछ ऐसे निहित स्वार्थों की पूर्ति करना चाहता है. हालांकि तालिबान (Taliban) संग पाकिस्तान और चीन का त्रिकोण भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर सकता है.
जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा- चीन से आर्थिक मदद की दरकार
तालिबान की चीन से आर्थिक मदद हासिल करने की इच्छा का खुलासा खुद प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने किया है. एक इतालवी अखबार ला रिपब्लिका को दिए साक्षात्कार में जबीहुल्ला ने कहा है कि तालिबान मुख्य रूप से चीन की आर्थिक मदद पर निर्भर है. जबीहुल्ला ने कहा है कि चीन सबसे महत्वपूर्ण साझेदार है और तालिबान राज के लिए एक मौलिक और असाधारण अवसर का प्रतिनिधित्व करता है. चीन हमारे देश में निवेश और पुनर्निर्माण के लिए तैयार है. न्यू सिल्क रोड के साथ चीन व्यापार मार्ग खोलकर अपने वैश्विक प्रभाव को बढ़ाना चाहता है. तालिबान ने हमेशा इसे प्राथमिकता दी है. गौरतलब है कि हाल के हफ्तों में तालिबान राज के बाद पश्चिमी देशों ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर प्रतिबंध लगा दिया है. जाहिर है सरकार चलाने के लिए धन चाहिए और तालिबान को आर्थिक संकट का अभी से सामना करना पड़ रहा है. अफगान केंद्रीय बैंक की 10 अरब डॉलर की संपत्ति भी जब्त की जा चुकी है.
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चीन साध रहा है एक तीर से कई निशाने
गौरतलब है कि काबुल पर तालिबान राज कायम होने से कुछ दिन पहले तालिबान में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने बीजिंग का दौरा कर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी. विशेषज्ञों की मानें तो अफगानिस्तान में करीब 200 लाख करोड़ रुपये की खनिज संपदा है. चीन की इसपर नजर है और इसलिए वह तालिबान की मदद कर रहा है. इसके साथ ही चीन अपने शिनजियांग प्रांत में उइगर आतंकी समूह पर रोक लगाने में भी तालिबान की मदद चाहता है. चीनी विदेश मंत्री ने आर्थिक मदद का आश्वासन देते हुए दो-टूक कहा था कि इसके लिए तालिबान को उइगर समूह ईटीआईएम से सभी संबंध तोड़ने होंगे. यही नहीं, बीजिंग प्रशासन अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की मदद कर स्ट्रैटजिक बेल्ट-एंड-रोड इनिशिएटिव में भी साथ चाहता है. चीन बीआरआई को पेशावर से काबुल तक जोड़ना चाहता है. इस तरह चीन की मध्य पूर्व के देशों तक पहुंच आसान हो जाएगी. सबसे बड़ी बात काबुल से होकर बनने वाले रास्ते से चीन की भारत पर निर्भरता भी कम हो जाएगी. गौरतलब है कि भारत ने क्षेत्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए अभी तक चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से जुड़ने से इंकार कर रखा है.
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