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Snake wine: एक ऐसा देश जहां लोग बड़े शौक से पीते है सांप के शराब, टूरिस्ट भी लेते हैं मजे

आप में से कितने लोगों को पता है कि विश्व में एक ऐसी जगह है जहां सांपों से शराब बनाई जाती है. ये कोई आम सांप नहीं होते हैं. ये दुनिया के खतरनाक और जहरीले शराब में से एक है.

Updated on: 27 Jul 2023, 09:52 AM

नई दिल्ली:

Snake wine: देश में हजारों लोग शराब के शौकीन हैं. लोग वीकेंड पर या फिर किसी मौके पर बड़े मजे से शराब का सेवन करते हैं. शराब कई तरह की होती है और ये कई तरीके से बनाया जाता है. ये आलू, अंगूर, गन्ने या कई तरह से फलों के रस से बनाया जाता है. लेकिन लोग टेस्ट और नशे के लिए कुछ न कुछ नया करते रहते हैं. आप में से कितने लोगों को पता है कि विश्व में एक ऐसी जगह है जहां सांपों से शराब बनाई जाती है. ये कोई आम सांप नहीं होते हैं. ये दुनिया के खतरनाक और जहरीलों में से एक है. ये अगर किसी व्यक्ति को काट ले तो उसकी मौत कुछ ही मिनटों में हो जाएगी. लेकिन लोग इन्हीं सांपों को शराब में मिलाकर पीते हैं. सबसे हैरान करने वाली बात है कि लोगों का कहना है कि इस शराब को पीने से लाभ होता है. 

इस तरह के शराब की शुरुआत भारत के पड़ोसी देश चीन के पश्चिमी भाग में हुई थी लेकिन वर्तमान समय में भारत के पूर्व दिशा में बसा वियतनाम दश है. वहां के स्थानीय लोग बहुत ही मजे लेकर आराम से इस पीते हैं. यहां तक की यहां आने वाले पर्यटक भी इस शराब को जरूर टेस्ट करते हैं. लोगों का कहना है कि अल्कोहल में लंबे समय तक रहने की वजह से सांप के जहर खत्म हो जाता है और पीने के बाद इंसान के शरीर पर असर कम होता है. 

मेडिकल जड़ी बूटियां मिलाई जाती

इस सांप वाले शराब को बनाने के लिए आमतौर पर चावल से बनने वाले शराब का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद इसमें बहुत तरह के मेडिकल जड़ी बूटियां मिलाई जाती है. इसके बाद इसमें जहरीले सांप को डाला जाता है और फिर इसकों लंबे समय के लिए छोड़ दिया जाता है. फिर जब कुछ महीनों के बाद जब ये पूरी तरह से फर्मेंट हो जाता है तो फिर लोगों को पीने के लिए दिया जाता है. 

शराब की शुरुआत
इतिहास विशेषज्ञों का कहना है कि इस सांप वाले शराब की शुरुआत पश्चिमी चीन में हुई थी. ये करीब 771 बीसी में हुई होगी. शुरुआती दिनों में इसका इस्तेमाल दवा के रूप में मरीजों को ठीक करने के लिए किया जाता था. उस वक्त इसमें जिंदा सांप के खुन को मिलाया जाता था. लेकिन समय के हिसाब से बदलाव हो गया और लोग शौक के रूप में इसे चाव से पीने लगे.