नहीं रहीं पद्मश्री सिंधुताई सपकाल, कभी भीख मांगकर अनाथ बच्चों का पालन पोषण किया

बेघर बच्चों की देखरेख करने वाली सिंधुताई के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनके 1500 बच्चे, 150 से ज्यादा बहुएं और 300 से अधिक दामाद हैं.

बेघर बच्चों की देखरेख करने वाली सिंधुताई के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनके 1500 बच्चे, 150 से ज्यादा बहुएं और 300 से अधिक दामाद हैं.

author-image
Mohit Saxena
एडिट
New Update
sindhutai sapkal

सिंधुताई सपकाल( Photo Credit : twitter)

महाराष्ट्र की मदर टेरेसा कही जाने वालीं पद्मश्री सिंधुताई सपकाल का मंगलवार रात को पुणे में निधन को गया. 73 वर्षीय सिंधुताई सेप्टीसीमिया से पीड़ित थीं, काफी समय से उनका इलाज चल रहा था. बीते डेढ़ माह से उनका इलाज पुणे के गैलेक्सी हॉस्पिटल में जारी था. पिछले साल उन्हें पदमश्री से सम्मानित किया गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने मंगलवार शाम 8.30 बजे अंतिम सांसें लीं. बेघर बच्चों की देखरेख करने वाली सिंधुताई के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनके 1500 बच्चे, 150 से ज्यादा बहुएं और 300 से अधिक दामाद हैं. सिंधु ताई ने अपनी पूरी जिंदगी अनाथ बच्चों की देखभाल में गुजार दी. कभी उनका पेट भरने के लिए उन्होंने ट्रेनों में भीख तक मांगी है.

अनाथ बच्चों के ​हमेशा रहीं समर्पित 

Advertisment

अनाथ बच्चों का पेट भरने के लिए उन्होंने सड़कों पर भी भीख मांगी है. पद्मश्री पुरस्कार मिलने के दौरान सिंधुताई ने कहा था कि यह पुरस्कार उनके सहयोगियों और उनके बच्चों का है. उन्होंने लोगों से अनाथ बच्चों को अपनाने की अपील की.

रोटी का किया धन्यवाद

अपने अंतिम समय में सिंधुताई का कहना था कि उन्हें ऐसा लगता है कि आज उनका जीवन अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है. 'मेरे बच्चे बहुत खुश हैं. लेकिन अतीत को भुलाया नहीं जा सकता. मैं अतीत को पीछे छोड़ अब बच्चों के वर्तमान को संवारने के काम में लगी हूं'. उन्होंने इसके लिए मीडिया के सहयोग को हमेशा सराहाया है. ताई का कहना था कि 'मेरी प्रेरणा, मेरी भूख और मेरी रोटी है. मैं इस रोटी का धन्यवाद करती हूं, क्योंकि इसी के लिए लोगों ने मेरा उस समय साथ दिया था. जब मेरी जेब में खाने के लिए पैसा नहीं था. यह पुरस्कार मेरे उन बच्चों के लिए हैं जिन्होंने मुझे जीने की ताकत दी.'

सिंधुताई ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि ट्रेन में भीख मांगने के बाद वे स्टेशन पर ही रहा करती थीं. उस दौरान रेलवे स्टेशन पर सिंधुताई को एक बच्चा मिला. यहीं से उन्हें बेसहारा बच्चों की मदद करने की प्रेरणा मिली. महाराष्ट्र में आज उनकी 6 बड़ी समाजसेवी संस्थाएं चल रही हैं. 

सिंधुताई को 700 से ज्यादा पुरस्कार मिले

पद्मश्री सिंधुताई को अब तक 700 से अधिक सम्मान मिल चुके हैं. उन्हें अब तक मिले सम्मान से जो भी पैसा मिला उन्होंने बच्चों के पालन-पोषण में समर्पित कर दिया. सिंधुताई को DY पाटिल इंस्टिट्यूट की तरफ से डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली. सिंधुताई के जीवन पर एक मराठी फिल्म भी बनी, इसका नाम 'मी सिंधुताई सपकाल' है. ये वर्ष 2010 में रिलीज हुई थी. इसे 54 वें लंदन फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था.

HIGHLIGHTS

  • पिछले साल उन्हें पदमश्री से सम्मानित किया गया था
  • अनाथ बच्चों का पेट भरने के लिए उन्होंने सड़कों पर भी भीख मांगी है
पद्मश्री सिंधुताई सपकाल fact about social worker Sindhutai Sapkal Sindhutai Sapkal death
Advertisment