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कुतुब मीनार से शिफ्ट करें भगवान गणेश की दोनों मूर्ति, NMA ने ASI को लिखा

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (National Monuments Authority) दिल्ली के कुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को हटाकर सम्मानपूर्वक राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum) में रखवाना चाहती है.

Updated on: 07 Apr 2022, 02:02 PM

highlights

  • राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने इस बारे में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण को पत्र लिखा
  • NMA और ASI दोनों ही संस्था केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करते हैं
  • कुतुब मीनार परिसर में मूर्तियों को 'उल्टा गणेश' और 'पिंजरे में गणेश' कहते हैं

 

New Delhi:

केंद्र सरकार की संस्था राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (National Monuments Authority) दिल्ली के कुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को हटाकर सम्मानपूर्वक राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum) में रखवाना चाहती है. संस्‍था ने सम्मानजनक स्थल पर भगवान गणेश की मुर्तियों को रखवाने के लिए दूसरी जिम्मेदार संस्था को आधिकारिक तौर पर पत्र भी लिखा है. रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने कुतुब मीनार परिसर में इन मूर्तियों के रखे होने पर एतराज जताया है.

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने इस बारे में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखा है. ASI पुरातात्त्विक स्थलों की देखरेख, संरक्षण समेत तमाम काम करती है. साल 2011 में इस संस्था की स्थापना की गई थी. संस्था का काम देश के विभिन्न स्मारकों और उनसे जुड़े स्थलों का संरक्षण और संवर्धन करना है. NMA ने अपने पत्र में ASI से आग्रह किया है कि कुतुब मीनार परिसर में रखी भगवान गणेशजी की मूर्तियों को सम्मानजनक स्थान दिया जाए. इस संबंध में ASI की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.  NMA और ASI दोनों केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करते हैं.

आक्रमणकारियों ने किया सांस्कृतिक-संहार

कुतुब मीनार इन दिनों भगवान गणेश की मूर्तियों को लेकर चर्चा में हैं. NMA के प्रमुख और पूर्व राज्यसभा सदस्य तरुण विजय ने इस बारे में कहा, ‘मैंने इस स्थल का कई बार दौरा किया. वहां मुझे अहसास हुआ कि भगवान गणेश की मूर्तियों के लिए यह सम्मानजनक स्थल नहीं है. यहां घूमने आने वालों के कदमों के नजदीक ये मूर्तियां होती हैं. मूर्तियों की जगह अपमानजनक है. मूर्तियों को राष्ट्रीय संग्रहालय में सम्मानजनक स्थान दिया जाना चाहिए. ऐसी प्राचीन मूर्तियों को सम्मानित ढंग से प्रदर्शित करने का प्रावधान होना चाहिए.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य के संपादक रह चुके तरुण विजय ने कहा कि आजादी के बाद हमने उपनिवेशवाद के निशान मिटाने के लिए ब्रिटिश राजा और रानी की मूर्तियां इंडिया गेट से हटवा दी थीं. गुलामी के दौर की याद दिलाने वाले कई सड़कों के नाम बदल दिए. अब हमें मुगलों द्वारा किए गए सांस्कृतिक और जातीय-संहार के दौर को बदलने के लिए काम करना चाहिए. अपने गौरव और अपनी पहचान की पुनर्स्थापना करनी चाहिए.

भगवान गणेश की दो मूर्तियों को जानें

कुतुब मीनार परिसर में लगी इन दो मूर्तियों को 'उल्टा गणेश' और 'पिंजरे में गणेश' कहा जाता है. ये 12वीं सदी में बने स्मारक क़ुतुब मीनार के परिसर में लगी हैं.
परिसर में बनी कु़व्वत-उल-इस्लाम मस्जिद की दक्षिण की ओर बनी दीवार पर 'उल्टा गणेश' मूर्ति लगी है. वहीं दूसरी मूर्ति इसी मस्जिद में जमीन के पास बने लोहे के पिंजरे में बने गणेश जी का हैं. तरुण विजय ने कहा कि ये मूर्तियां राजा अनंगपाल तोमर के बनाए जैन तीर्थंकरों और दशावतार, नवग्रहों के अलावा 27 जैन और हिंदू मंदिरों को तोड़कर लाई गई थीं. इन मूर्तियों को जो जगह दी गई है वो भारत के लिए अवमानना का प्रतीक है. उसमें सुधार की जरूरत है.

संसद सत्र में बोले बीजेपी नेता

संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण के आखिरी दिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस बारे में कहा कि कुतुब मीनार परिसर में लगे गणेश जी की मूर्ति का अपमान बंद होना चाहिए. संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कुतुब मीनार की गणेश जी की मूर्ति का मामला उनके संज्ञान में आया है. वह इसे देख रही हैं और इसको स्थानांतरित करने का काम तुरंत किया जाएगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा है कि मुस्लिम आक्रांताओं ने पूरे देश भर में इस तरह का काम किया है. गणेश जी की मूर्ति का अपमान तुरंत बंद होना चाहिए. उन्हें सम्मान के साथ राष्ट्रीय संग्रहालय या देवालय में रखा जाना चाहिए. हमें गुलामी के सभी प्रतीकों को मिटा देना चाहिए.

वहीं अलवर के सांसद और बीजेपी नेता महंत बालक नाथ ने कुतुब मीनार में लगी गणेश जी की मूर्ति के मुद्दे पर कहा कि उन्हें तुरंत वहां से हटाना चाहिए और उनका पूर्ण सम्मान होना चाहिए. मुगल आक्रमणकारियों ने जो किया है उसके निशान को खत्म करना चाहिए. 

कुतुब मीनार का इतिहास

दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार को यूनेस्को ने साल 1993 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था. इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है और इसका व्यास 14.32 मीटर है. शिखर तक पहुंचने पर यह 2.5 मीटर रह जाता है. भारत में मुस्लिम सुल्तानों के बनवाए शुरुआती इमारतों में क़ुतुब मीनार और क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद शामिल है. इतिहासकारों के मुताबिक क़ुतुब मीनार को गुलामवंश के क़ुतुबुद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारी शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने 1200 ईस्वी में बनवाया था. वहीं क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद ऐबक के दौर में बनाई गयी थी और बाद में इसका विस्तार होता रहा.

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कुतुब मीनार से जुड़ा विवाद

देश के हिंदू संगठनों का लंबे समय से यह दावा है कि कुतुब परिसर वास्तव में हिंदू धर्म का केंद्र था. कई संगठनों ने साल 2020 में एक याचिका दायर कर कोर्ट से परिसर में पूजा के लिए इजाजत की मांग की थी. याचिका में जैन पंथ के प्रमुख देवता तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव और हिंदुओं के भगवान विष्णु, भगवान गणेश, भगवान शिव, देवी गौरी, भगवान सूर्य, भगवान हनुमान सहित 27 मंदिरों के पीठासीन देवताओं की क्षेत्र में कथित मंदिर परिसर में पुन: प्राण प्रतिष्ठा करने और पूजा करने के अधिकार की मांग की गई थी. इसके अलावा ट्रस्ट अधिनियम 1882 के अनुसार, केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाने और कुतुब क्षेत्र में स्थित मंदिर परिसर का प्रबंधन और प्रशासन उसे सौंपने के लिए अनिवार्य निषेधाज्ञा जारी करने का अनुरोध किया गया था.