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साबरमती स्टेशनः अहमदाबाद-मुंबई हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट का नॉर्दर्न टर्मिनल

इस हाई-स्पीड रेल लाइन के 2027 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है. साबरमती स्टेशन की 9 मंजिला इमारत दो ब्लॉक में होगी, जहां की तीसरी मंजिल से मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के अलग-अलग रास्ते होंगे.

Updated on: 03 Sep 2022, 03:43 PM

highlights

  • 1.36 लाख वर्ग मीटर में फैला हुआ है साबरमती टर्मिनल
  • इस प्रोजेक्ट के 2027 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है
  • कई लिहाज से आधुनिक खूबियों को भी समेटे है प्रोजेक्ट

नई दिल्ली:

अहमदाबाद-मुंबई हाई-स्पीड ट्रेन रूट का पहला स्टेशन साबरमती लगभग पूर्णता की ओर है. नौ मंजिल इमारत वाला साबरमती स्टेशन 1.36 लाख वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. यह इमारत भारत की पहली हाई-स्पीड रेल (High Speed Rail) लाइन के नॉर्दर्न टर्मिनल का ऑफिस भी होगी. इस हाई-स्पीड रेल लाइन के 2027 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है. साबरमती (Sabarmati) स्टेशन की 9 मंजिला इमारत दो ब्लॉक में होगी, जहां की तीसरी मंजिल से मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के अलग-अलग रास्ते होंगे. मसलन विद्यमान रेलवे स्टेशन, बीआरटी सेवा के तहत बस स्टेशन और निर्माणाधीन अहमदाबाद मेट्रो फेज़-1 का एईसी मेट्रो स्टेशन. साबरमती स्टेशन की इमारत की अलग-अलग मंजिलों पर कई होटल भी होंगे, जिनकी कुल क्षमता 60 कमरों की होगी. बच्चों के लिए खेलने के स्थान समेत स्पेशियालिटी रेस्त्रां भी होंगे. 

पार्किंग में खड़ी हो सकेंगी 1200 कारें
इमारत की तीन मंजिलों और बेसमेंट का इस्तेमाल खासतौर पर पार्किंग के लिए होगा. यहां एक साथ 1200 कारें खड़ी की जा सकेंगी. इसके अलावा 31,500 वर्ग मीटर की जगह का व्यावसायिक उपयोग किया जाएगा. यानी यहां दुकानें, फूड कोर्ट और मनोरंजन के साधनों की भरमार होगी. सातवें और चौथे माले पर टैरेस गार्डन होगा. स्टेशन के निर्माण से जुड़े अधिकारियों की मानें तो साबरमती स्टेशन इलाके की एकमात्र ऐसी इमारत होगी, जो अत्याधुनिक होने के साथ-साथ अनूठा रूप-स्वरूप लिए होगी. 

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कई मंजिलों पर होंगे होटल और अन्य सुविधाएं
प्राप्त जानकारी के मुताबिक साबरमती स्टेशन कीअत्याधुनिक इमारत की कई मंजिलों पर होटल भी होंगे, जिनकी कुल क्षमता 60 कमरों की होगी. साथ ही बच्चों के लिए खेलने की जगह और स्पेशियालिटी रेस्त्रां होंगे. स्टेशन का कुल 1.34 लाख वर्ग मीटर क्षेत्रफल कवर्ड एरिया होगा. अधिकारियों का कहना है कि पूरी इमारत भूकंप रोधी है, जिसे इंडियन ग्रीन बल्डिंग काउंसिल ने गोल्ड रैंक दी है. इस इमारत में इस्तेमाल में लाए जाने वाले पानी को रिसाइकिल कर दोबारा इस्तेमाल लायक बनाया जाएगा. इमारत में जगह-जगह लगाए जाने वाले सोलर पैनल से तैयार बिजली का ही प्रयोग किया जाएगा. 

पूरी तरह सौर ऊर्जा संचालित होगा प्रोजेक्ट
सरकार ने इमारत में निजी हाथों में कॉमर्शियल स्पेस देने की योजना भी बनाई है. इसके लिए 31,500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल निजी हाथों को सौंपा जाएगा. बीते साल भी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था अहमदाबाद-मुंबई हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट पूरी तरह सौर ऊर्जा संचालित होगा, जिसे ग्रिड के जरिए छतों और खुली जगह पर सौर पैनल्स से जोड़ा जाएगा. साबरमती रेल टर्मिनल समेत रेल मार्ग के विभिन्न स्टेशन सौर ऊर्जा संचालित होंगे, जिनके लिए एक ही ग्रिड और तकनीक अमल में लाई जाएगी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक साबरमती स्टेशन के छत पर लगाए जाने वाले सौर पैनल्स चर्खा का डिजाइन प्रदर्शित करेंगे. 1930 में महात्मा गांधी ने दांडी मार्च शुरू किया था, उस तरफ भी सौर पैनल्स लगाए जाएंगे. 

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अन्य खूबियां भी समेटे होगा पूरा प्रोजेक्ट
साबरमती महात्मा गांधी के लिए बहुत खास रहा है. इसे देखते हुए हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के टर्मिनल के लिए साबरमती को चुना गया है. यहां 700 किलोवॉट क्षमता का एक विद्युत प्लांट भी बनाया जा रहा है, जो ग्रिड से जुड़ा रहेगा. सौर पैनेल्स से मिलने वाली बिजली का इस्तेमाल कैप्टिव एप्लीकेशन के लिए होगा. अतिरिक्त बिजली ग्रिड के जरिये अन्य उपयोग के लिए स्तेमाल में लाई जाएगी. साबरमती स्टेशन प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों की मानें तो जीवाश्म यानी कोयले के संयत्र से बिजली उत्पादन का न्यूनतम लक्ष्य लेकर चला जा रहा है. इसके लिए इमारतों को ऐसी डिजाइन दी जा रही है, जो बिजली उत्पादन के क्रम में जहां तक संभव हो सेल्फ सस्टेनेबल हों.