खुफिया नाकामी नहीं था 'लाल किला मिशन', तीन हफ्ते पहले से थी जानकारी

यह अलग सच्चाई है कि खुफिया तंत्र को लाल किले (Red Fort) के घटनाक्रम का आभास कम से कम तीन हफ्ते पहले ही हो गया था.

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Nihar Saxena
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Red Fort

तीन हफ्ते पहले से पता था कि खालिस्तानी लाल किले जा सकते हैं.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

ऐन गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर किसान आंदोलन की आड़ में दिल्ली खासकर लाल किले पर हुए उपद्रव को लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर है. न सिर्फ इस हिंसा को खुफिया तंत्र की विफलता बताया जा रहा है, बल्कि इसी को आधार बनाकर गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से इस्तीफा भी मांगा जा रहा है. हालांकि यह अलग सच्चाई है कि खुफिया तंत्र को लाल किले (Red Fort) के घटनाक्रम का आभास कम से कम तीन हफ्ते पहले ही हो गया था. बताते हैं कि जनवरी के पहले हफ्ते में आईबी की उच्च स्तरीय बैठक में खालिस्तान समर्थक संगठन सिख फॉर जस्टिस की ओर से इस तरह के कदम उठाए जाने की आशंका जताई जा चुकी थी. 

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जनवरी के पहले हफ्ते आईबी की बैठक में जताई गई थी आशंका
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इंटेलिजेंस ब्यूरो की इस उच्च स्तरीय बैठक में रॉ, एसपीजी, हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा दिल्ली पुलिस के 8 शीर्ष अधिकारी और आईबी के 12 शीर्ष अधिकारी शामिल थे. बैठक में इस स्थिति से निपटने के लिए प्रबंधों पर भी चर्चा की गई थी. यहां तक कहा गया था कि लाल किले को 20 से 27 जनवरी के बीच बंद कर दिया जाए. इसी कदम पर दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा गया था. इसी बैठक में सुरक्षा एजेंसियों को भी दिल्ली की ऐतिहासिक और राष्ट्रीय महत्व रखने वाली इमारतों पर सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश थे ताकि कट्टरपंथी सिख और एसएफजे की ओर से किसी भी तरह की गलत गतिविधि को होने से रोका जा सके.

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कुछ सिख हर साल गणतंत्र पर्व को मनाते हैं ब्लैक पर्व
एएनआई समाचार एजेंसी के मुताबिक एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, 'बैठक के दौरान अधिकारियों ने कहा कि सिख हर साल गणतंत्र दिवस को 'ब्लैक डे' के तौर पर मनाते हैं और इस साल इन संगठनों के कई नेता देश में चल रहे किसान आंदोलन में मौजूद हैं. दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को भी इन कट्टरपंथी नेताओं की तरफ से आर्थिक फंडिंग मिल रही है.' बैठक में खुफिया इनपुट के आधार पर साफ-साफ कहा गया था कि खालिस्तान समर्थक लाल किले पर झंडा फहरा सकते हैं. इस कड़ी में 26 जनवरी को ही दोपहर 12 बजे के आसपास एजेंसियों को यह भी इनपुट मिला कि ट्रैक्टर रैली निकाल रहे किसान पीएम आवास, गृह मंत्री आवास, राजपथ, इंडिया गेट और लाल किले की तरफ भी बढ़ सकते हैं.

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सिख फॉर जस्टिस जिंदा होने की कोशिश में
गौरतलब है कि लाल किले पर झंडा फहराने पर भारी-भरकम ईनाम की घोषणा करने वाले खालिस्तान समर्थक संगठन ने 26 जनवरी को ही दुनिया के कई देशों में भारतीय दूतावास के बाहर खालिस्तान के समर्थन में न सिर्फ नारेबाजी की, बल्कि खालिस्तानी झंडा भी लगाया. गौरतलब है कि अलगाववाददी संगठन सिख फॉर जस्टिस 2007 में बना था. यह अमेरिका स्थित संगठन सिखों के लिए अलग खालिस्तान की मांग करता है. इससे पहले एसएफजे ने गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले के लिए 3 लाख 50 हजार डॉलर की इनाम राशि की घोषणा की थी.

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