Raj Kapoor Death Anniversary: भारतीय सिनेमा के 'चार्ली चैप्लिन', जानें- दिलचस्प FACTS

एक ऐसे अभिनेता की पुण्यतिथि पर, जो किसी किंवदंती से कम नहीं है, यहां पांच प्रतिष्ठित भूमिकाएं हैं जिन्होंने राज कपूर के नाम को हमेशा के लिए हमारे दिलों में बसा दिया.

एक ऐसे अभिनेता की पुण्यतिथि पर, जो किसी किंवदंती से कम नहीं है, यहां पांच प्रतिष्ठित भूमिकाएं हैं जिन्होंने राज कपूर के नाम को हमेशा के लिए हमारे दिलों में बसा दिया.

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Pradeep Singh
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राज कपूर( Photo Credit : News Nation)

RAJ KAPOOR DEATH ANNIVERSARY : भारतीय सिनेमा के दिग्गजों के बारे में कोई भी चर्चा राज कपूर के उल्लेख के बिना पूरी नहीं हो सकती, जिन्होंने न केवल भारतीय सिनेमा का चेहरा बदल दिया, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर ले गए. आज हममें से अधिकांश को उस युग में बड़े होने का सौभाग्य नहीं मिला था, जब भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा 'शोमैन' क्लासिक्स पर मंथन कर रहा था, जिसे लंबे समय तक याद किया जाएगा, उनके अभिनय और निर्देशन के तरीके अभी भी 'युवा पीढ़ी को जानने के लिए उपलब्ध है. आज ही के दिन 2 जून 1988 को दिल्ली में राजकपूर का निधन हो गया था. आज उनकी 34वीं पुण्य तिथि है.

राज कपूर का प्रारम्भिक जीवन

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राज कपूर उनका फिल्मी नाम था. उनका असली नाम रणबीर राज कपूर था. राज सभी कपूर भाइयों का मध्य नाम था. शम्मी कपूर का पूरा नाम शमशेर राज कपूर था, जबकि शशि कपूर का असली नाम बलबीर राज था।.अब, राज कपूर ने अपना पहला नाम अपने पोते रणबीर कपूर के साथ साझा किया. राज ने अपने करियर की शुरुआत विस्कन्या के सेट से क्लैपर-बॉय के रूप में की थी, जिसे किदार शर्मा ने डायरेक्ट किया था.  

राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में कपूर हवेली में हुआ था. पिता पृथ्वीराज कपूर थियेटर से जुड़े थे. उनके दादा दीवान बशेश्वरनाथ कपूर उस क्षेत्र के जाने-माने हस्ती थे. कपूर परिवार बाद में बंबई  में बस गया. राजकपूर की शिक्षा कई शहरों में हुई. क्योंकि 1930 के दशक में उनके पिता  पृथ्वीराज कपूर अपने करियर की शुरुआत में एक शहर से दूसरे शहर का चक्कर लगा रहे थे, तो परिवार को भी इधर-उधर जाना पड़ा. राज कपूर ने कई अलग-अलग स्कूलों जैसे देहरादून में कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, कलकत्ता में सेंट जेवियर्स कॉलेजिएट स्कूल और बॉम्बे में कैंपियन स्कूल में पढ़ाई की. राज कपूर  को अपने जीवन की शुरुआत में सृष्टि नाथ कपूर के नाम से भी जाना जाता था. उनके पिता पृथ्वीराज कपूर उन्हें राजू के नाम से बुलाते थे

पुरस्कार और सम्मान

राजकपूर अभिनेता, फिल्म निर्माता और फिल्म निर्देशक थे. सिनेमा के लिए उन्हें भारत में तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर पुरस्कारों सहित कई पुरस्कार मिले. फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड का नाम कपूर के नाम पर रखा गया है. वह अपनी फिल्मों आवारा (1951) और बूट पोलिश (1954) के लिए कान फिल्म समारोह में पाल्मे डी'ओर भव्य पुरस्कार के लिए दो बार नामांकित थे. आवारा में उनके प्रदर्शन को टाइम पत्रिका द्वारा विश्व सिनेमा में अब तक के शीर्ष दस महानतम प्रदर्शनों में से एक के रूप में स्थान दिया गया था.

भारत सरकार ने उन्हें कला में उनके योगदान के लिए 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया. सिनेमा में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, उन्हें 1987 में भारत सरकार द्वारा प्रदान किया गया था. वह चार्ली चैपलिन से प्रेरित थे और उन्होंने आवारा (1951) और श्री 420 (1955) जैसी फिल्मों में द ट्रैम्प पर आधारित किरदार निभाए. 

हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और 'महानतम शोमैन' की शीर्ष 5 फिल्में

राज कपूर को भारतीय सिनेमा का चार्ली चैपलिन माना जाता है. भारतीय सिनेमा के सबसे महान शोमैन ने अपने अभिनय की एक ऐसी विरासत छोड़ी है जिसकी चमक आज तक बरकरार है. एक ऐसे अभिनेता की पुण्यतिथि पर, जो किसी किंवदंती से कम नहीं है, यहां पांच प्रतिष्ठित भूमिकाएं हैं जिन्होंने राज कपूर के नाम को हमेशा के लिए हमारे दिलों में बसा दिया.

मेरा नाम जोकर (1970)

मेरा नाम जोकर ने राज कपूर की पूरी प्रतिभा को एक फिल्म में उकेरा. उन्होंने न केवल फिल्म में अभिनय किया बल्कि इसका निर्देशन और निर्माण भी किया. फिल्म ने छह साल में पर्दे पर एक विचार से सिनेमाई अनुभव तक की यात्रा को कवर किया! यह फिल्म दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर की भी पहली फिल्म थी.

आवारा (1951)

आवारा को  राज कपूर अभिनीत प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक के रूप में गिना जा सकता है. फिल्म एक ऐसे व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपराध में लिप्त है, प्यार की मदद से द्वेषपूर्ण दुनिया से बाहर आता है. फिल्म में राज कपूर के अपोजिट नरगिस हैं.

श्री 420 (1955)

राज कपूर की एक और निर्देशन वाली फिल्म, फिल्म उद्योग की पूरी फिल्मोग्राफी में बेहद लोकप्रिय है. कॉमेडी-ड्रामा, एक चुभने वाले कथानक और पंचलाइनों को बढ़ावा देने के अलावा, मुकेश द्वारा गाए गए बहुत प्रसिद्ध मेरा जूता है जापानी सहित अद्भुत गाने भी थे.

चोरी चोरी (1956)

राज कपूर और नरगिस के बीच भावनाओं के बेदाग आदान-प्रदान को प्रदर्शित करने वाली एक और फिल्म, चोरी चोरी एक हॉलीवुड क्लासिक से प्रेरित एक रोमांस-कॉमेडी थी, जिसका शीर्षक इट हैपन्ड वन नाइट था. चोरी चोरी भी आखिरी फिल्म थी जो भारतीय दर्शकों को नरगिस और राज कपूर को एक जोड़े के रूप में पर्दे पर देखने को मिली थी.

बरसात (1949)

इस फिल्म की सफलता ने राज कपूर को 1950 में आरके स्टूडियो का स्वामित्व खरीदने की अनुमति दी. बरसात के कलाकारों में नरगिस और प्रेम नाथ और निम्मी शामिल थीं, जो फिल्म के साथ अपनी शुरुआत कर रही थीं. फिल्म के साउंडट्रैक में बहुत प्रसिद्ध गीत हवा में उड़ता जाए शामिल था.

भारतीय सिनेमा के महानतम शोमैन के बारे में रोचक तथ्य

दिलीप कुमार की शादी में बारात का नेतृत्व पृथ्वीराज कपूर, देव आनंद ने नहीं बल्कि राज कपूर ने किया था. राज कपूर के निधन के बाद ऋषिकेश मुखर्जी ने उनके जीवन से प्रेरित फिल्म'आनंद' बनाया था.

आवारा तीन पीढ़ियों को कास्ट करने वाली पहली फिल्म थी. 1951 में रिलीज़ हुई, आवारा में कपूर की तीन पीढ़ियों - दीवान बशेश्वरनाथ (राज कपूर के दादा), पृथ्वीराज कपूर और राज कपूर को दिखाया गया था. इसे बाद में रणधीर कपूर ने कल आज और कल के साथ दोहराया, जिसमें खुद, पिता राज कपूर और दादा पृथ्वीराज कपूर थे.

1948 में 24 साल की उम्र में उन्होंने अपना खुद का स्टूडियो-आरके फिल्म्स स्थापित किया. आरके स्टूडियोज का मेरा नाम जोकर 244 मिनट का था. यह दो इंटरवल वाली पहली फिल्म थी. हालांकि मेरा नाम जोकर ने बॉक्स ऑफिस पर ठोकर खाई, लेकिन बाद में यह भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक बन गई.

व्लादिमीर वायसोस्की का रूसी गीत 'योगियों के बारे में गीत' राज कपूर को भारतीय संस्कृति के सबसे प्रसिद्ध प्रतीकों में से एक के रूप में वर्णित करता है. अपनी मृत्यु के पहले राज कपूर फिल्म मेंहदी पर काम कर रहे थे. इसको बाद में उनके बेटों रणधीर और ऋषि कपूर ने पूरा किया और यह फिल्म 1991 में रिलीज़ हुई.

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