भारत में नशीले पदार्थों की सप्लाई के लिए पंजाब अब भी ISI का प्रमुख ठिकाना
1 जनवरी 2019 से 31 मई 2021 तक पिछले ढाई वर्षों में पंजाब सीमा से 979 किलोग्राम से ज्यादा हेरोइन जब्त की गई थी.
highlights
- हेरोइन भारत में तस्करी करके धन जुटाने के लिए प्रमुख मादक पदार्थ
- 31 मई तक राजस्थान सीमा पर अब तक कुल 23 किलो पोप्पी जब्त
- अब तक कुल 241.231 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई
नई दिल्ली:
पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) पंजाब के जरिए भारत में अवैध ड्रग्स की आपूर्ति कर रही है, जबकि खुफिया एजेंसियां इससे अनजान हैं. आतंकियों के लिए हेरोइन भारत में तस्करी करके धन जुटाने के लिए प्रमुख मादक पदार्थ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर में उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए इस फंड का उपयोग किया जाता है. हेरोइन के बाद अफीम सबसे ज्यादा तस्करी की जाने वाली दवा 'पोप्पी' (खसखस) है. गृह मंत्रालय (एमएचए) के आंकड़ों के अनुसार, 3,323 किलोमीटर भारत-पाकिस्तान सीमा पर सभी सीमाओं से इक्ठ्ठे किए आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2019 से 31 मई 2021 तक पिछले ढाई वर्षों में पंजाब सीमा से 979 किलोग्राम से ज्यादा हेरोइन जब्त की गई थी.
बीते साल चरम पर रही ड्रग्स की तस्करी
पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी पिछले तीन साल के दौरान 2020 में अपने चरम पर थी, जब पंजाब सीमा पर 506.241 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी. 2019 में यह संख्या लगभग आधी थी जब 232.561 किलो हेरोइन जब्त की गई थी. इस साल 31 मई तक के आंकड़ों से पता चलता है कि अबतक कुल 241.231 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी. हेरोइन के अलावा, अफीम और पोप्पी भी तस्करी का विकल्प रहा है, लेकिन यह संख्या तुलनात्मक रूप से बहुत कम थी. पोप्पी, हेरोइन के बाद पाकिस्तान से तस्करी कर लाया जाने वाला दूसरा सबसे पसंदीदा मादक पदार्थ है.
राजस्थान सीमा से होती है खसखस की तस्करी
खसखस की तस्करी मुख्य रूप से राजस्थान सीमा के रास्ते भारत में की जाती है. इस साल 31 मई तक राजस्थान सीमा पर अब तक कुल 23 किलो पोप्पी जब्त किया जा चुका है. 2020 में अफीम की रिकवरी की संख्या 70 किलोग्राम और 2019 में 54 किलोग्राम थी. सभी बरामदगी में, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में से एक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने पंजाब और राजस्थान में ड्रग तस्करों तक पहुंचने से पहले सीमा पर इन मादक दवाओं को जब्त कर लिया था. बीएसएफ के साथ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) भारत में नशीली दवाओं के खतरे को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसने इनपुट के आधार पर बीएसएफ जवानों के साथ संयुक्त छापेमारी में मादक पदार्थ की कई खेप जब्त की हैं.
पहला खुलासा 2018 में
आतंकवादियों और आईएसआई की भूमिका को जोड़ने वाले पाकिस्तान से मादक पदार्थों की तस्करी के दुष्चक्र का खुलासा 2018 के अंत में हुआ जब भारतीय सेना और केंद्रीय वित्त मंत्रालय की खुफिया शाखा, राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा जखीरा जब्त किया और कश्मीर में चंब (अखनूर सेक्टर) में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास आयोजित एक संयुक्त अभियान के दौरान 105 करोड़ रुपये की हेरोइन सहित ड्रग्स जब्त किया. ऐसा पहली बार हुआ जब यहां की एजेंसियों को पंजाब में धकेले जाने वाले ड्रग्स की तस्करी में आतंकवादियों की सीधी संलिप्तता के बारे में पता चला. घाटी में सक्रिय आतंकवादियों और पंजाब में मादक पदार्थों के तस्करों के बीच मजबूत संबंध भी तब उजागर हुआ था.
नशा बेच मिल रहा धन खर्च हो रहा आतंक पर
तब एजेंसियों को इस बात का भी पता चला कि कैसे आतंकवादी पाकिस्तान से पंजाब तक नशीले पदार्थों की आवाजाही को कोरियर के रूप में काम कर रहे हैं. पंजाब के नशीले पदार्थों के तस्करों द्वारा भुगतान किए जा रहे धन का उपयोग आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए अत्याधुनिक हथियारों की खरीद के लिए किया जाता है. एजेंसियों के इस तथ्य से अवगत होने के बावजूद, आईएसआई, जिसे खुफिया एजेंसियां भारत के खिलाफ सभी अवैध सीमा पार गतिविधियों के पीछे दिमाग के रूप में देखती हैं, उसने अपनी रणनीति नहीं बदली और ज्यादातर पंजाब को छूती हुई सीमा के माध्यम से ड्रग्स की सप्लाई करती रहती है.
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