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राष्ट्रपति चुनाव 2022 : गोपालकृष्ण गांधी बन सकते हैं विपक्ष के उम्मीदवार, जानें उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा  

विपक्ष की बैठक में शरद पवार के इनकार करने के बाद ममता बनर्जी ने नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी के नामों का प्रस्ताव रखा था.

Updated on: 16 Jun 2022, 05:49 PM

highlights

  • फारुक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गांधी के नामों पर भी हुई चर्चा
  • शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपसी संबंध बहुत अच्छे हैं
  • शरद पवार के नाम पर सारा विपक्ष एकजुट है लेकिन वह कर रहे इनकार  

नई दिल्ली:

देश में राष्ट्रपति के चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है. 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव का मतदान होना है और नतीजे 21 जुलाई को आएंगे. चुनाव में कुल 4809 सांसद और विधायक वोट करेंगे. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है उससे पहले देश को अपना 16वां राष्ट्रपति मिलना है. लेकिन अभी तक सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के उम्मीदवारों का चयन नहीं हो सका है. सत्तापक्ष और विपक्ष अपने-अपने लाभ के हिसाब के उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा कर रहा है, लेकिन दोनों तरफ अभी तक किसी नाम पर सर्व सहमति नहीं बन पायी है.

शरद पवार और नीतीश कुमार ने प्रत्याशी बनने से किया था इनकार

दिल्ली में विपक्ष की राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हुई बैठक बेनतीजा रही क्योंकि एनसीपी नेता शरद पवार ने विपक्ष का प्रत्याशी बनने से मना कर दिया. शरद पवार ने प्रत्याशी बनने से इनकार करने की जो वजह बताई वो ये है कि वो अभी भी सक्रिय राजनीति में हैं इसलिए राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ना चाहते. हालांकि राजनीतिक पंडित इसके पीछे की वजहें कुछ और ही बता रहे हैं. शरद पवार के इनकार के बाद से अब अगले सप्ताह नए नाम पर चर्चा के लिए विपक्षी दलों की दिल्ली में फिर से बैठक होगी.

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गौरतलब है कि शरद पवार के नाम पर सारा विपक्ष एकजुट है मगर उनके इनकार के पीछे की वो संभावित वजहें बताते हैं जिसके चलते वो दावेदारी से पीछे हट रहे हैं. वो ये है कि शरद पवार एक मंझे हुए सियासतदां हैं, वो आंकड़ों के खेल को बहुत अच्छे से समझते हैं. लोकसभा में विपक्ष काफी कमजोर है जबकि राज्यसभा और विधानसभाओं में मजबूत स्थिति में है. चूंकि सारा विपक्ष एकजुट भी नहीं है इसलिए शरद पवार ऐसे में कोई रिस्क लेना नहीं चाहते.

फारुक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गांधी के नामों पर भी हुई चर्चा

सूत्रों ने बताया कि विपक्ष की बैठक में शरद पवार के इनकार करने के बाद ममता बनर्जी ने नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी के नामों का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, बैठक में फारूक अब्दुल्ला के बेटे और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने  राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपने पिता के नाम पर चर्चा नहीं करने के लिए कहा. वहीं राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ के बारे में पूछे जाने पर, गांधी ने कहा, "इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी."
 
मोदी के साथ हैं अच्छे संबंध

शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपसी संबंध बहुत अच्छे हैं . महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद भी उन्होने कभी भी केंद्र की मोदी सरकार पर सीधे हमला नहीं किया. इसलिए वो खुद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित करके अपने रिश्ते खराब करना नहीं चाहते.

सबसे बड़ी बात जिसकी वजह से शरद पवार बैकफुट पर हैं कि उनकी खुद की पार्टी एनसीपी के अंदर भी कई तरह के गुट बने हुए हैं जिनका पावर बैलेंस शरद पवार ने ही बना रखा है. शरद पवार अगर केंद्र की राजनीति में आ जाते हैं तो इसका नुकसान उनकी पार्टी को 2024 के लोकसभा और आगामी विधानसभा चुनावों में उठाना पड़ सकता है.

ममता की बैठक में आए 17 दल

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गैर भाजपा दलों के लगभग 22 नेताओं जिसमें 8 राज्यों के मुख्यमंत्री और सोनिया गांधी, को विपक्ष की मीटिंग में शामिल होने के लिए चिट्ठी लिखी थी और विपक्ष का साझा उम्मीदवार तय करने की बात की थी. लेकिन ममता की बैठक में 17 सियासी दल कांग्रेस, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआई एमएल, आरएसपी, शिवसेना, एनसीपी, राजद, सपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, जद (एस), डीएमके, आरएलडी, आईयूएमएल और झामुमो शामिल हुए और चार बड़े दलों आम आदमी पार्टी, बीजेडी, अकाली दल, तेलगांना राष्ट्र समिति ने दूरी बनाए रखी. जबकि टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव पूरे देश में घूम घूम कर विपक्ष को एकजुट करने का काम कर रहे थे. बीजेडी के नेता ममता की इस पहल को जल्दबाजी में उठाया हुआ कदम बता रहे हैं इसलिए वो इस बैठक में शामिल नहीं हुए. उनका मानना है कि एनडीए का प्रत्याशी उतारने के बाद विपक्ष को अपना प्रत्याशी तय करना चाहिए.

नंबर गेम
सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास 440 सांसद हैं जबकि विपक्षी यूपीए के पास लगभग 180 सांसद हैं, इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के 36 सांसद हैं. अगर मोटे तौर पर गणना की जाए, तो एनडीए के पास सभी मतदाताओं के कुल 10,86,431 वोटों में से लगभग 5,35,000 वोट हैं. इसमें इसके सांसदों और सहयोगियों के समर्थन से 3,08,000 वोट शामिल हैं. गठबंधन को वाईएसआरसीपी, बीजद और अन्नाद्रमुक जैसे स्वतंत्र क्षेत्रीय दलों से समर्थन की उम्मीद है.

राष्ट्रपति कौन बन सकता है?

कोई भी व्यक्ति जो भारतीय नागरिक है और कुछ अतिरिक्त आवश्यकताओं को पूरा करता है वह भारत का राष्ट्रपति बनने के योग्य है. एक उम्मीदवार की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए और उसे लोकसभा या संसद के निचले सदन के सदस्य के रूप में चुनाव के लिए योग्य होना चाहिए. उम्मीदवार को लाभ का पद धारण नहीं करना चाहिए.