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केरल में ताबड़तोड़ दो राजनीतिक हत्याएं, PFI और RSS में टकराव की आशंका

बीते 17 सालों में सीपीएम के 85, आरएसएस या बीजेपी के 65, कांग्रेस के 11 और कई आईयूएमएल कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है. 2000 से 2016 के बीच सिर्फ कन्नूर में ही 69 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं.

Updated on: 18 Apr 2022, 09:24 AM

highlights

  • पहले पीएफआई फिर उसी अंदाज में संघ के कार्यकर्ता की हत्या
  • महज पंद्रह सालों में कुन्नूर में ही हुईं 69 राजनीतिक हत्याएं
  • कुन्नूर को राजनीतिक हत्याओं की राजधानी करार दिया गया

तिरुवनंतपुरम:

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक कार्यकर्ता और आरएसएस के एक पूर्व कार्यकर्ता की एक के बाद एक हत्याओं ने केरल (Kerala) में तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है. खुफिय एजेंसियों ने आशंका जताई है कि इन राजनीतिक हत्याओं (Political Murder) से सांप्रदायिक भावनाएं भड़क सकती है. राज्य की खुफिया एजेंसियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर इन घटनाओं में शामिल रहे अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है तो स्थिति बिगड़ सकती है. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यकर्ता सुबैर की शुक्रवार को एक स्थानीय मस्जिद में नमाज अदा करने के बाद अपने पिता अबू बकर के साथ घर लौटते समय एक कार की चपेट में आने से मौत हो गई. सुबैर की हत्या के महज 24 घंटे के भीतर ही पीएफआई/एसडीपीआईआर गिरोह ने कथित रूप से श्रीनिवासन की हत्या कर दी.

आंकड़े भी दे रहे चेतावनी
अगर आंकड़ों की भाषा में बात करें तो बीते 17 सालों में सीपीएम के 85, आरएसएस या बीजेपी के 65, कांग्रेस के 11 और कई आईयूएमएल कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है. 2000 से 2016 के बीच सिर्फ कन्नूर में ही 69 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं. इनमें से मारे गए ज्यादातर कार्यकर्ता संघ से जुड़े हुए थे. बताते हैं कि केरल में पहली राजनीतिक हत्या 1969 में हुई थी. वडिक्कल रामाकृष्णन को कुल्हाड़ी से काट डाला गया था. इस हत्या के आरोपियों में एक पिन्नारई विजयन भी थे. कन्नूर को राजनीतिक हत्याओं की राजधानी तक करार दिए जाने लगा है. 

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एक हत्या के बदले में होती है दूसरी हत्या
पुलिस ने कहा कि सुबैर की हत्या आरएसएस कार्यकर्ता संजीत की 15 नवंबर 2021 को की गई हत्या के प्रतिशोध में होने का संदेह है. केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने भी राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि अगर इस मुद्दे पर सख्ती से निपटा नहीं गया तो चीजें नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं. गौरतलब है कि हाल ही में एक एसडीपीआई कार्यकर्ता एमके केरल के मुवत्तुपुझा के अशरफ को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन के गबन और आय से अधिक स्रोतों के लिए गिरफ्तार किया था. आरोप है कि अशरफ एसडीपीआई और पीएफआई की फंडिंग के मुख्य स्रोतों में से एक है. उत्तर प्रदेश में पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की गिरफ्तारी एसडीपीआई के लिए भी एक झटका था, जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोप लगाया था कि केरलवासी पीएफआई समूह का हिस्सा थे.

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एसडीपीआईआर पर है आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या का संदेह
पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने कप्पन की जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि वह कई राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल था और इसका केरल में एसडीपीआई पर भी असर पड़ा है. आरएसएस नेता की हत्या के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से और कार्रवाई की संभावनाएं हैं और इसलिए राज्य सरकार को अपराध करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी. सूत्रों के मुताबिक पलक्कड़ में आरएसएस और पीएफआई के करीब 50 कार्यकर्ता हिरासत में हैं. इसके अलावा दोनों संगठनों के कुछ जिला स्तर के नेताओं से पूछताछ की जाएगी और जरूरत पड़ने पर उन्हें हिरासत में लिया जाएगा. पिछले दो दिनों में हुई हत्याओं ने राज्य में उत्सव की रौनक छीन ली है. केरल में नया साल शुक्रवार को मनाया गया, जबकि ईस्टर रविवार को मनाया गया और मुस्लिम समुदाय के लिए यह पवित्र रमजान का महीना है.