New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2022/06/06/shehbazsharif-50.jpeg)
शहबाज शरीफ, प्रधानमंत्री, पाकिस्तान( Photo Credit : News Nation)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
शहबाज शरीफ, प्रधानमंत्री, पाकिस्तान( Photo Credit : News Nation)
पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी को लेकर पाकिस्तान, सउदी अरब, कतर, ईरान के साथ-साथ इस्लामिक देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC)ने तीखा विरोध जताया है. खी देशों ने अपने देशों में भारत के राजदूतों से अपनी नाखुशी दर्ज कराते हुए सफाई मांगी तो कुछ भारत से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग कर रहे हैं. ऐसे देशों की मांग पर भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यह सरकार नहीं बल्कि असामाजिक तत्वों का विचार है. यह बात अलग है कि टिप्पणी करने वाले भाजपा के प्रमुख पदों पर थे और पार्टी ने विवादित बयान के बाद उन दोनों को पार्टी से निलंबित कर दिया है. लेकिन इस निलंबन के बाद भी विरोध थम नहीं रहा है.
पाकिस्तान क्यों दे रहा है मुद्दे को हवा
अब इस विवाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी कूद पड़े हैं. उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भारत पर सवाल उठाया है. PM शहबाज शरीफ ने ट्वीट कर कहा कि वह बीजेपी नेता के बयान की निंदा करते हैं. उन्होंने कहा कि, 'मैं हमारे प्यारे पैगंबर मोहम्मद के बारे में भारत के बीजेपी नेता की आहत करने वाली टिप्पणियों की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं. हमने बार-बार कहा है कि मोदी के नेतृत्व में भारत धार्मिक स्वतंत्रता को रौंद रहा है और मुस्लिमों को सता रहा है. दुनिया को इस बारे में ध्यान देना चाहिए और भारत को कड़ी फटकार लगानी चाहिए.'
शहबाज शरीफ ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'हमारा प्यार पैगंबर मोहम्मद के लिए सर्वोच्च है. सभी मुस्लिम पैगंबर मोहम्मद के प्रेम और इज्जत के लिए अपनी जान दे सकते हैं.'
बता दें कि कथित तौर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के बाद से भी पाकिस्तान इस मुद्दे को हवा दे रहा है. पाकिस्तान इस मसले पर इस्लामिक देशों को एकजुट कर भारत को घेरना चाह रहा है. लेकिन बारत सराकर ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. इसके साथ ही भारत ने इस्लामिक सहयोग संगठन के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजक टिप्पणी के मामले में अरब देशों में भारत का कड़ा विरोध देखने को मिला और भारतीय सामानों के बहिष्कार की मांग उठी. सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन में स्टोर से भारतीय चीजें हटाई जानें लगीं. भारतीय सामानों के विरोध की शुरुआत ओमान से हुई जिसे पाकिस्तान ने हवा दी.
पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान पाने वाले ओमान के ग्रैंड मुफ्ती शेख अहमद बिन हमाद अल खलीली ने बीजेपी के खिलाफ मुहिम की शुरुआत की. ग्रैंड मुफ्ती ने ट्वीट किया कि भारत की सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ता ने इस्लाम के दूत के खिलाफ एक ढीठ और अपमानजनक टिप्पणी की है. ये एक ऐसा मामला है जिसके खिलाफ दुनिया भर के मुस्लिमों को एक साथ आना चाहिए. ग्रैंड मुफ्ती ने भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का भी आह्वान किया, वहीं कई ट्विटर हैंडल ने सभी भारतीय निवेश को अपने कब्जे में लेने और भारतीयों की छंटनी करने का आग्रह किया.
पाकिस्तान ने जमकर चलाया ट्रेंड
भारत का विरोध हो तो भला पाकिस्तान इसमें कैसे पीछे रह सकता है. ग्रैंड मुफ्ती के इस बयान को सबसे पहले पाकिस्तान ने लपक लिया और जमकर भारत के खिलाफ खाड़ी देशों में ट्विटर पर मुहिम चलाई. तुर्की भी भारत विरोध में पाकिस्तान के साथ आ गया. खाड़ी देशों में इससे जुड़े टॉप-10 हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड करते दिखे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खाड़ी देशों में इन ट्वीट्स को ट्रेंड कराने में पाकिस्तान ने बड़ा रोल निभाया है. पाकिस्तान से जुड़े ट्विटर हैंडल ने भारत के खिलाफ इस मुहिम को चलाया.
ओमान के भारत से हैं अच्छे रिश्ते
ओमान के भारत से हमेशा अच्छे रिश्ते रहे हैं. ओमान के अंतिम शासक सुल्तान कबूस बिन सईद अल सैद ने मस्कट में एक शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और एक यज्ञ के लिए भी पुजारियों को आमंत्रित किया. 2018 में ओमान के दौरे पर गए पीएम नरेंद्र मोदी ने भी शिव मंदिर का दौरा किया था. एक ऐसे समय में जब खाड़ी देश पाकिस्तान की ओर झुके हैं, ऐसे में ओमान के भारत से गहरे संबंध हैं. भारतीय नौसेना और एयरफोर्स के बेस यहां मौजूद हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि ओमान की लगभग एक चौथाई आबादी भारतीय प्रवासियों की है और वे ओमान के सबसे अमीर समुदायों में से एक हैं.
ईरान ने राजदूत को किया तलब
अपने विदेश मंत्री की भारत यात्रा से कुछ सप्ताह पहले ईरान ने पैगंबर मोहम्मद पर भाजपा नेताओं की टिप्पणियों को लेकर अपने विदेश मंत्रालय में भारतीय राजदूत को तलब किया है. ईरान से पहले कतर और कुवैत ने भी भारत के राजदूतों को तलब किया और उन्हें विरोध पत्र सौंपे. कतर में भारतीय दूतावास ने पहले ही एक बयान जारी कर कहा था कि ‘‘राजदूत की विदेश कार्यालय में एक बैठक थी, जिसमें भारत में व्यक्तियों द्वारा धार्मिक व्यक्तित्व को बदनाम करने वाले कुछ आपत्तिजनक ट्वीट्स के संबंध में चिंता व्यक्त की गई. राजदूत ने बताया कि ट्वीट किसी भी तरह से भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाता है, ये तुच्छ तत्वों के विचार हैं. वहीं तालिबान ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अफगानिस्तान पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजन टिप्पणी की आलोचना करता है. हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वे इन तत्वों को इस्लाम का अपमान न करने दें. इससे मुस्लिमों की भावनाएं आहत होती हैं.