Pakistan का आर्थिक संकट आतंकवाद को समर्थन, दोषपूर्ण नीतियों का है परिणाम
यह बड़ा आर्थिक झटका देश की आबादी के लाखों लोगों को गरीबी और भुखमरी की ओर धकेल रहा है. यही नहीं, बुनियादी और आवश्यक वस्तुओं के आयात पर भी बड़ी रुकावट डाल रहा है.
highlights
- पाकिस्तान 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के कर्ज का सामना कर रहा
- पाकिस्तान को 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज 2023 के अंत तक चुकाना है
- भारत संग प्रत्यक्ष या छद्म युद्ध छेड़ अदूरदर्शिता का प्रदर्शन और किया हुक्मरानों ने
नई दिल्ली:
पाकिस्तान (Pakistan) वास्तव में राजनीतिक अर्थव्यवस्था की किताब में पढ़ाया जाने वाला एक सबक बन चुका है. यह नाकाम देश जीती जागती मिसाल है कि किस तरह चरमपंथ को बढ़ावा देने वाले, राज्य प्रायोजित आतंकवाद (Terrorism) में लिप्त होने वाले, विकास और आगे बढ़ने की कोई रणनीति नहीं होने और अपने आम नागरिकों से जुड़े जनकल्याण की घोर अवहेलना करने वाले राष्ट्र अंततः ढह जाते हैं. सच तो यह है कि पाकिस्तान में मौजूदा आर्थिक संकट (Economic Crisis) दशकों की उसकी दोषपूर्ण नीतियों का ही परिणाम है. यह अपने आप में युद्धरत देश बन गया है. एशियन लाइट की रिपोर्ट के मुताबिक जिहाद (Jihad) के नाम पर उग्रवाद और आतंकवाद का समर्थन और संरक्षण करते हुए पाकिस्तान ने शायद ही कभी दीर्घकालिक आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया हो. इसके बजाय अपने पड़ोसी देश के साथ प्रत्यक्ष या छद्म युद्ध छेड़ अदूरदर्शिता का ही प्रदर्शन किया है.
तेजी से जकड़ता जा रहा दिवालियेपन का फंदा
पाकिस्तान पर दिवालियेपन का साया तेजी से गहराता जा रहा है. पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बेलआउट पैकेज की मांग कर रहा है ताकि देश को ढहने से बचाया जा सके. पाकिस्तान के लिए यह करो या मरो की स्थिति है. आईएमएफ का एक प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान का दौरा करने वाला है और कह सकते हैं कि पाकिस्तान के लिए और कठिन समय भी अब शुरू होने वाला है. एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ से बेल आउट पैकेज हासिल करने के लिए पाकिस्तान को सब्सिडी में भारी कटौती और बाजार के लिहाज से सुधारवादी नीतियों सरीखे बहुत अलोकप्रिय कदम उठा खर्चों में कमी लानी होगी. इस रिपोर्ट में रेटिंग एजेंसी मूडीज के एक बयान का भी हवाला दिया गया है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पाकिस्तान की खुद की कर्ज चुकाने की क्षमता संप्रभु देशों में सबसे कमजोर है. 2023 में पाकिस्तान को ऋण चुकाने के लिए 15.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की दरकार है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान का सिर्फ ब्याज भुगतान दायित्व ही इस वर्ष देश के राजस्व का आधा है, जो 2022 की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है. एशियन लाइट रिपोर्ट के अनुसार हालत ऐसी है कि विदेशी ऋण वित्तीय वर्ष 2017 के 66 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर आज 100 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है.
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चहुंओर से पड़ रही आर्थिक फटकार
एशियन लाइट की रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रिपोर्ट को आधार बना कहती है कि पाकिस्तान 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के कर्ज का सामना कर रहा है, जो पाकिस्तानी की वहन क्षमता से कहीं अधिक है. इसमें उसे 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज 2023 के अंत तक चुकाना है. पाकिस्तानी रुपये (पीकेआर) की निरंतर गिरावट आज उसे 267.48 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर ले आई है. इस कारण भी पाकिस्तान का आर्थिक संकट और गहराता जा रहा है. यह बड़ा आर्थिक झटका देश की आबादी के लाखों लोगों को गरीबी और भुखमरी की ओर धकेल रहा है. साथ ही बुनियादी और आवश्यक वस्तुओं के आयात पर भी असर डाल रहा है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार खतरनाक गति से कम हो रहा है. अब यह सिर्फ 3.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया है, जो 2014 के बाद से सबसे कम है. इसके जरिये केवल तीन सप्ताह के आयात को कवर किया जा सकता है.
कई कारणों से गहराई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान का संकट इसकी लड़खड़ाती जीडीपी वृद्धि, वैश्विक आर्थिक मंदी, यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ती वैश्विक मुद्रास्फीति सहित कई कारणों से और गहरा गया है. पाकिस्तानी रुपये में गिरावट से आयात महंगा हो गया, एक भयावह बाढ़ से परिस्थितियां और जटिल हो गई हैं, जिससे 33 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए. एशियन लाइट की रिपोर्ट ने दावा किया है कि देश की अर्थव्यवस्था में मौजूदा मंदी उसकी अपनी वजह से है. दशकों की दोषपूर्ण नीतियों और उग्रवाद और आतंकवाद का समर्थन करने की पराकाष्ठा ने पाकिस्तान को यहां तक पहुंचाने में महती भूमिका निभाई है. पाकिस्तान ने शायद ही कभी लंबी अवधि के आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया है और भारत के साथ प्रत्यक्ष या छद्म युद्ध छेड़ अदूरदर्शिता का प्रदर्शन और किया है.
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अदूरदर्शी नीतियों ने किया और बेड़ा गर्क
पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा समर्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे आतंकवादी समूहों का उदय अब उसके लिए भस्मासुर साबित हो रहा है. टीटीपी सरीखे आतंकी समूहों ने पाकिस्तान के खिलाफ ही युद्ध छेड़ रखा है. निर्दोष नागरिकों और कानून लागू करने वालों की नृशंस हत्याएं हो रही हैं. वर्तमान आर्थिक संकट के लिए इसकी अदूरदर्शी नीतियों से जुड़े निर्णय जिम्मेदार हैं. इन अदूरदर्शी निर्णयों के तहत गैर-विकासात्मक और आर्थिक रूप से अव्यावहारिक परियोजनाओं पर अत्यधिक खर्च किया गया. पाकिस्तान देश की वित्तीय और मौद्रिक नीतियों में संरचनात्मक और आर्थिक सुधार नहीं ला पाया. रही सही कसर अर्थव्यवस्था में दीमक की तरह लगे भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद ने पूरी कर दी.
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