logo-image

MP Election 2023: टिकट मिलने पर छलका कैलाश विजयवर्गीय का दर्द तो इन नेताओं को कटने का मलाल

MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट के बाद छलक रहा नेताओं का दर्द. कोई टिकट मिलने से तो कोई ना मिलने से दुखी.

Updated on: 27 Sep 2023, 12:47 PM

highlights

  • मध्य प्रदेश में बीजेपी उम्मीदवारों की दूसरी सूची पर घमासान
  • किसी को टिकट मिलने से नाराजगी तो कोई कटने से हुआ परेशान
  • बीजेपी के लिए चुनाव बन सकता है बड़ी चुनौती

New Delhi:

MP Election 2023: देश के पांच राज्यों में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) होना है. इन्हीं पांच राज्यों में एक राज्य है मध्य प्रदेश जो इन दिनों पूरे देश के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है. इसके पीछे बड़ी वजह है कि यहां पर भारतीय जनता पार्टी (BJP Candidate List) के शीर्ष नेतृत्व की ओर से चला गया मास्टरस्ट्रोक. दरअसल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Assembly Election 2023) में उम्मीदवारों की दूसरी सूची ने हर किसी को चौंका दिया. इस सूची में एक दो नहीं बल्कि सात सांसदों को पार्टी ने विधायकी के चुनाव के लिए मैदान में उतारा है. जाहिर है सांसदों को जब विधायक बनाया जा रहा है तो यहां खुशी और गम दोनों तरह के भाव सामने आएंगे ही. हुआ भी कुछ ऐसा ही है. टिकट मिलने के बाद जहां कुछ दिग्गज नेताओं का दर्द छलका है तो कुछ नेताओं को टिकट नहीं मिलने का मलाल है. आइए जानते हैं कि मध्य प्रदेश में बीजेपी के उम्मीदवारों की दूसरी सूची के बाद क्यों हर तरफ चर्चा बनी हुई है. 

कैलाश विजयवर्गीय इंदौर से चुनाव लड़ना नहीं चाहते
आमतौर पर देखा गया है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व जो भी फैसला लेता है नेता उस फैसले को तुरंत मानकर आगे बढ़ जाते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश में इस बार हालात कुछ अलग नजर आ रहे हैं. यहां पर एक तरफ बीजेपी ने अब तक सीएम फेस से पत्ते नहीं खोले हैं तो दूसरी तरफ सात सांसदों को चुनावी मैदान में खड़ा कर दिया है. मकसद है इस चुनाव को हर हाल में जीतना. 

यह भी पढ़ें - Lok Sabha Election 2024: क्यों NDA से अलग हुआ AIADMK, BJP को क्या होगा फायदा?

सूत्रों की मानें तो बीजेपी के आंतरिक सर्वे में इस बार शिवराज सिंह चौहान को लेकर सकारात्मक संकेत नहीं है. बीते चुनाव में भी शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ के हाथों पटखनी खा चुके थे. लिहाजा बीजेपी इस बार किसी भी तरह के जोखिम लेने के मूड में नहीं है. 

हालांकि बीजेपी के इस कदम से पार्टी के कुछ नेताओं में नाराजगी देखने को मिल रही. इतना ही नहीं ये नाराजगी सार्वजनिक रूप से बाहर भी आ गई है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक कैलाश विजयवर्गीय ने दर्द बयां किया है. उन्होंने कहा है कि वो इंदौर से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे बावजूद इसके उन्हें यहां से टिकट दिया गया है. 

 

क्या बोले कैलाश विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय इंदौर में एक गणेश उत्सव में हिस्सा लेने पहुंचे थे. यहां पर गणेश पंडाल में उन्होंने कहा कि, 'मेरा चुनाव लड़ने का ही मन नहीं था. टिकट मिलने पर मैं खुश नहीं हूं.' अब जरा सोचिए कोई नेता टिकट मिलने के बाद सार्वजनिक तौर पर इस तरह का बयान दे डाले तो पार्टी के लिए ये कितना घातक हो सकता है. लेकिन दर्द है तो छलकेगा ही. 

इतना ही नहीं कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, मैं सोच रहा था मैं बड़ा नेता बन गया हूं. भाषण देना चाहता हूं. हेलिकॉप्टर में घूमना चाहता हूं, जनसभाएं करना चाहता हूं. जनता के सामने हाथ हिलाउंगा, अब कौन जाकर जनता के सामने वोट के लिए हाथ जोड़े.'

नरेंद्र तोमर ने भी टिकट मिलने पर दबी जुबां में बयां किया दर्द
वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर उम्मीदवारों की दूसरी सूची में नाम आने के बाद से बयान नहीं दे रहे थे, लेकिन आखिरकार उनकी प्रतिक्रिया और दर्द भी छलका. जब तोमर से पूछा गया कि आप केंद्रीय मंत्री हैं, सांसद हैं या फिर अब विधायक बनेंगे? इस बार तोमर ने जवाब दिया कि चाहे केंद्रीय मंत्री हो, सांसद हो या फिर विधायक हर कोई पहले बीजेपी का कार्यकर्ता है और कार्यकर्ता को वही करना होता है, जो पार्टी या शीर्ष नेतृत्व आदेश करता है. 

टिकन ना मिलने पर इन नेताओं में नाराजगी
सीधी से केदारनाथ शुक्लाः मध्य प्रदेश में उम्मीदवारों की दूसरी सूची कई नेताओं की नाराजगी की वजह बन चुकी है. इनमें सीधी से विधायक केदारनाथ शुक्ला हैं. इस बार सूची में इन्हें टिकट नहीं दिया गया है, शुक्ला की जगह बीजेपी ने रीति पाठक को उम्मीदवार बनाया है. इसके बाद शुक्ला ने पार्टी को लेकर बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने कहा कि मेरे अलावा जो भी यहां से लड़ेगा उस उम्मीदवार की सबसे बड़ी हार होगी. उनके इस तरह के बयान का एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है, हालांकि न्यूज नेशन इसकी पुष्टि नहीं करता है. 

सतना से नारायण त्रिपाठी: टिकट काटे जाने पर नारायण त्रिपाठी ने भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर तंज कसा है. उन्होंने कहा, पार्टी ने दूसरी सूची जारी की है, इस सूची में जिन्हें टिकट मिला है उन्हें मेरी ओर से शुभकामनाएं. 'मैं विंध्य के अलग राज्य बनने तक अपनी जंग जारी रखूंगा. हालांकि उन्होंने तंज कसते हुए यह भी कहा कि अगर दूसरी सूची में इतने वरिष्ठ सांसदों को उतारा गया है तो फिर लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज नेताओं को भी मैदान में उतारा जा सकता है.'

अब फूंक-फूंक कर रखना चलना होगा हर कदम
बहरहाल बीजेपी की दूसरी सूची का असर साफ तौर पर प्रदेश ही नहीं देश की सियासत में भी देखने को मिल रहा है. बीजेपी ने भले ही यहां पर अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए दिग्गजों का दांव चला है, लेकिन चुनाव के नतीजों के अगर पार्टी जीतती है और ये सभी नेता भी जीत दर्ज करने में कामयाब होते हैं तो इनके हितों के टकराव से पार्टी को बचाकर रखना एक बड़ी चुनौती होगी.

मध्य प्रदेश में गुटबाजी का दंश कांग्रेस अच्छा कोई नहीं जानता. यहां दिग्गजों के बीच हितों के टकराव ने पार्टी का जो हश्र किया है वो किसी से छिपा नहीं है. ऐसे में बीजेपी के अब आगे के सभी कदम फूंक-फूंक कर रखना होंगे. क्योंकि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लेकर बगावती सुर सुनाई देने लगे हैं.