Monopolistic Market : Amul के चक्कर में Nandini का नुकसान, Milma से मिली चुनौती
Monopolistic Market, Nandini Destroying own business in Kerala instead of Amul in Karnataka : राजनीति के चक्कर में ब्रांड्स खराब हो रहे हैं. बिजनेस पर असर पड़ रहा है. स्थानीयता हावी होती जा रही है. सामान को पहचान से जोड़ा जाने लगा है. एक ब्रांड का दूसरे ब्रांड वाले इलाकों में विरोध हो रहा है. ये सब उस हिंदुस्तान में हो...
highlights
- बाजार में खत्म होनी चाहिए कंपनियों-ब्रांड की मोनोपली
- अमूल के विरोध में नंदिनी का हो जाएगा बंटाधार !
- दक्षिण भारत के डेयरी उद्योग में स्थापित नाम है नंदिनी
नई दिल्ली:
Monopolistic Market, Nandini Destroying own business in Kerala instead of Amul in Karnataka : राजनीति के चक्कर में ब्रांड्स खराब हो रहे हैं. बिजनेस पर असर पड़ रहा है. स्थानीयता हावी होती जा रही है. सामान को पहचान से जोड़ा जाने लगा है. एक ब्रांड का दूसरे ब्रांड वाले इलाकों में विरोध हो रहा है. ये सब उस हिंदुस्तान में हो रहा है, जो संघीय गणराज्य व्यवस्था वाला देश है. जहां हर नागरिक को पूरे देश में कहीं भी आने-जाने की आजादी है ( कुछ प्रोटेक्टेड इलाकों को छोड़कर ). हर ब्रांड को पूरे देश में बेचने की आजादी है. लेकिन राजनीति को बीच में लाकर जहां एक ब्रांड का विरोध ( अमूल का कर्नाटक में) हो रहा है, जहां नंदिनी ब्रांड को स्थानीयता से जोड़ा जा रहा है, तो अब कर्नाटक से सटे केरल में नंदिनी का भी विरोध होना शुरू हो गया है, क्योंकि केरल अलग राज्य है और वहां पर मिलना दूध ब्रांड काफी बड़े बाजार पर एकाधिकार रखती है.
नंदिनी का केरल में विरोध शुरू
नंदिनी ब्रांड मूलत: कर्नाटक का है. जिसकी ब्रांडिंग और बिजनेस का जिम्मा कर्नाटक दुग्ध सहकारी संघ के पास है. ठीक वैसे ही, जैसे अमूल का जिम्मा गुजरात की सहकारी समिति का है. चुनाव के दौरान ही अमूल ( Amul ) ने बेंगलुरू के मार्केट में उतरने का ऐलान कर दिया था, तो इसे कर्नाटक के नेताओं ने स्थानीय वर्सेज बाहरी जैसा मुद्दा बना दिया था और नंदिनी ब्रांड को स्थानीय पहचान से जोड़ अमूल के विरोध में एकजुट हो गए. हवा चली, अमूल ने बाजार में उतरने के फैसले को थोड़ा आगे बढ़ा दिया. मामला थमता नजर आया, लेकिन तभी नंदिनी ब्रांड ( Nandini Brand in Karnataka ) ने केरल में खुले अपने दो नए स्टोरों को चलाने की कोशिश की, तो जो आग नंदिनी के समर्थन में कर्नाटक में लगी थी, वही आग केरल में नंदिनी के विरोध में लग गई. क्योंकि केरल में मिलमा ब्रांड ( Milma Brand Milk) के तरह केरल की सहकारी समिति डेयरी प्रोडक्ट्स के बिजनेस में है.
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बाजार पर एकाधिकार के दिन गए
हालांकि ये भी सच है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, जोकि गुजरात से आते हैं. उन्होंने कहा था कि कर्नाटक में, बेंगलुरु में अमूल ब्रांड नंदिनी के साथ मिलकर काम करेगा तो नंदिनी ब्रांड का भी फायदा होगा. क्योंकि कर्नाटक के बाहर नंदिनी को अमूल का साथ मिलेगा. ये एक जैसा बिजनेस करने वाले समूहों को बड़ा बाजार उपलब्ध कराने की कोशिश भर थी. लेकिन सच ये है कि अमूल, मदर डेयरी जैसे ब्रांड्स का बाजार के बड़े हिस्से पर एकतरफा राज है. चूंकि ये ब्रांड भरोसे पर भी खरा उतरते हैं. ऐसे में एक तरह से मान सकते हैं कि इन दोनों कंपनियों का डेयरी उद्योग ( Dairy Industry ) और आइसक्रीम मार्केट पर मोनोपली की तरह है. चूंकि कुछ और कंपनियां भी इस बिजनेस में हैं, लेकिन वो इनसे टक्कर लेने की स्थिति में नहीं है. कुछ ऐसा ही नंदिनी के साथ भी है. हालांकि, ब्रांड वैल्यू, बाजार पूजीकरण के मामले में नंदिनी अमूल से कहीं पीछे है, तो केरल की मिलमा इन सबके पीछे. लेकिन बाजार में मोनोपली की स्थिति खत्म की जाए, यही सबके लिए बेहतर रहेगा.
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