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Taliban के खिलाफ पर्दे के पीछे से काम कर रही मोदी सरकार

भारत ईरान, कतर, तजाकिस्तान, जर्मनी, इटली सहित कई देशों से कूटनीतिक बातचीत कर रहा है. ये सभी देश अफगानिस्तान में किसी भी फैसले के लिए आपसी समन्वय पर जोर दे रहे हैं.

Updated on: 30 Aug 2021, 06:57 AM

highlights

  • तालिबान पर कूटनीतिक दबाव बनाने की मुहिम में जुटी भारत सरकार
  • ईरान, कतर, तजाकिस्तान, जर्मनी, इटली सहित कई देशों से संपर्क में
  • कुछ मुद्दों पर राय अलग होने के बावजूद आतंक के खिलाफ सभी एकमत

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan) पर लगभग दो दशकों बाद तालिबान (Taliban) राज की वापसी पर भारत की आगे की रणनीति को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि सामरिक जानकार बता रहे हैं कि मोदी सरकार (Modi Government) पर्दे के पीछे अपना काम कर रही है. वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अपनी अध्यक्षता में अफगानिस्तान मसले पर चर्चा कर तालिबान पर दबाव बना रहा है. इसके अलावा क्वाड समेत अलग-अलग देशों के भी संपर्क में है. विशेषज्ञों की मानें तो भारत (India) बड़े देशों को इस बात के लिए राजी करने की कूटनीति पर काम कर रहा है कि यदि अफगानिस्तान में समावेशी सरकार आकार नहीं लेती है, तो तालिबान को मान्यता नहीं देनी चाहिए. 

तालिबान की उदारवादी छवि के झांसे में नहीं है भारत
अगर आतंक के खिलाफ वैश्विक दबाव की बात करें तो काबुल एय़रपोर्ट पर आतंकी हमले के बाद तमाम देश खासे सतर्क हो गए हैं. भले ही यह साफ हो गया है कि इस आतंकी हमले के पीछे आईएसकेपी यानी खुरासान मॉडल जिम्मेदार है, लेकिन इस बात से भी कोई इंकार नहीं कर सकता है कि तालिबान की आतंकी समूहों से कोई न कोई दुरभिसंधि जरूर है. भारतीय खुफिया को भी इनपुट मिले हैं कि अफगानिस्तान में सक्रिय तमाम आतंकी संगठनों से तालिबान लड़ाकों की सांठगंठ है. इनमें से कई ऐसे आतंकी संगठन है, जिन्हें खाद-पानी मुहैया कराने का काम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के जिम्मे हैं. 

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कई देशों के संपर्क में है मोदी सरकार
इस तल्ख सच्चाई को जानने के बाद भारत तालिबान को लेकर खासी सतर्कता से काम ले रहा है. अन्य देश भी उदारवादी छवि पेश कर तालिबान पर पैनी नजर रखे हुए हैं. भारत की इस मसले पर रूस समेत अमेरिका और कई अन्य मुस्लिम देशों से लगातार बात हो रही है. सूत्रों के मुताबिक भारत ईरान, कतर, तजाकिस्तान, जर्मनी, इटली सहित कई देशों से कूटनीतिक बातचीत कर रहा है. ये सभी देश अफगानिस्तान में किसी भी फैसले के लिए आपसी समन्वय पर जोर दे रहे हैं. अच्छी बात यह है कि कुछ मुद्दों पर राय अलग होने के बावजूद आतंक के खिलाफ सभी में एक आम सहमति है. यही बात भारत की पर्दे के पीछे चल रहा कवायद को सार्थक कर रही है.