चीन से मोदी सरकार की जैसे को तैसा नीति, अरुणाचल की सीमा पर मॉडल विलेज
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों पर भारत की मोदी सरकार (Modi Government) ने भी शठे-शाठ्यम समाचरेत सिद्धांत अपनाने की ठान ली है.
highlights
- चीन को शठे-शाठ्यम समाचरेत वाली भाषा में जवाब देगी मोदी सरकार
- अरुणाचल प्रदेश से लगी एलएसी पर मोदी सरकार बसा रही मॉडल गांव
- सभी मॉडल गांव कनेक्टिविटी और दूरसंचार के लिहाज से होंगे मजबूत
नई दिल्ली:
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों पर भारत की मोदी सरकार (Modi Government) ने भी शठे-शाठ्यम समाचरेत सिद्धांत अपनाने की ठान ली है. वह भी बेहद तीखे अंदाज में ड्रैगन (China) को आईना दिखाने के लिए भारत अब उसके अवैध दावे अरुणाचल प्रदेश पर आधारभूत संरचना में तेजी से विकास कर रहा है. इस तरह वह एक तीर से दो निशाने साध रहा है. एक तो सीमा पर अपनी स्थिति मजबूत करेगा और दूसरे बीजिंग को दो-टूक संदेश देगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है. गौरतलब है कि चीन ने अपनी सीमा पर डिफेंस विलेज के नाम से सैनिकों के लिए छोटे-छोटे गांव बसाए हुए हैं.
तीन मॉडल विलेज बन रहे
प्राप्त जानकारी के मुताबिक चीन की इस हरकत के जवाब में भारत भी अब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अरुणाचल प्रदेश के हिस्से में तीन मॉडल विलेज बना रहा है. इन मॉडल विलेज में शानदार स्मार्ट क्लासरूम, आधुनिक स्वास्थ्य उपकेंद्र और एक मल्टी-स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है. अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा विकसित किए जा रहे मॉडल गांवों को कुछ इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है, जिससे यहां पर पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सके. जानकारों के मुताबिक चीन ने तीन साल पहले ही अपनी सीमा के इलाकों में गांव बनाना शुरू कर दिया था. एलएसी के दूसरी तरफ चीन अब तक इस तरह के करीब 600 से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर बना चुका है, जिसे बॉर्डर डिफेंस विलेज कहते हैं. इनमें से करीब 400 बॉर्डर डिफेंस विलेज ईस्टर्न सेक्टर में हैं.
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डिजिटली और दूरसंचार कनेक्टिविटी होगी मजबूत
केंद्र और राज्य सरकार के सूत्रों के मुताबिक यह भी प्रस्तावित किया गया है कि किबिथू, कहो और मुसाई में स्थापित किए जाने वाले मॉडल गांवों में मजबूत डिजिटल और दूरसंचार कनेक्टिविटी हो. इसके साथ ही यहां पर कीवी, संतरे और अखरोट की खेती को बढ़ावा देने की भी तैयारी है. पर्यटन को आकर्षित करने के लिए 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए गए बंकरों को एडवेंचर के लिए विकसित किया जाएगा. मुख्य रूप से मैदानी इलाकों में सीमावर्ती आबादी के बढ़ते प्रवास को कम करने के लिए सरकार ने ये पूरी तैयारी है. चीन की संसद ने पिछले शनिवार एक कानून पारित किया, जिसमें ये बताया गया कि सैन्य और स्थानीय अधिकारी भारत समेत 14 देशों के साथ साझा की गई देश की 22,000 किमी भूमि सीमा को कैसे गवर्न करेंगे और उसकी रक्षा करेंगे.
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