मोदी सरकार 2.O: चुनौतियों से भरे रहे दो साल
शुरुआती एक साल में मोदी सरकार ने कई अहम फैसले लिए जिन्हें ऐतिहासिक माना गया. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो या फिर नागरिकता संशोधन एक्ट को पास करना हो, बड़े फैसलों के मोर्चे पर मोदी सरकार ने आक्रामक रुख अपनाया.
highlights
- चुनौतियों से भरा रहा दूसरे कार्यकाल का दूसरा साल
- आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में उठे कई बड़े कदम
- कोरोना ने पग-पग पर खड़ी की मुसीबतें
नई दिल्ली:
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के लगातार दूसरे कार्यकाल का आज दूसरा साल पूरा हो गया है. इन दो सालों में मोदी सरकार ने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं तो पग-पग पर चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा. मोदी सरकार (Modi Government 2.0) के दूसरे कार्यकाल में अमित शाह (Amit Shah) को भी जगह मिली. मोदी-शाह की इस जोड़ी ने कुछ ही महीनों में असंभव को संभव कर दिखाया. अमित शाह को गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने 70 सालों से लटका मामला पल-भर में खत्म कर दिया. दूसरे कार्यकाल के कुछ महीनों के भीतर ही जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 खत्म करके अपने इरादों को साफ कर दिया.
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राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय
शुरुआती एक साल में मोदी सरकार ने कई अहम फैसले लिए जिन्हें ऐतिहासिक माना गया. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो या फिर नागरिकता संशोधन एक्ट को पास करना हो, बड़े फैसलों के मोर्चे पर मोदी सरकार ने आक्रामक रुख अपनाया. लेकिन इन्हीं फैसलों की वजह से कई बार विरोध का सामना भी करना पड़ा. लेकिन सरकार ने दिखा दिया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति यदि मजबूत हो तो कठिन फैसले लिए जा सकते हैं.
अच्छे दिन से आत्मनिर्भर तक
नरेंद्र मोदी ने 2014 में अच्छे दिन के वादे के जरिए सत्ता पर काबिज हुए और 2020 में आत्मनिर्भर का नारा दिया. दूसरे कार्यकाल के 2 सालों में मोदी की ऐसी छवि बनी है कि वो कड़े फैसले लेने में हिचकते नहीं हैं और नई लीक बनाने की भी कोशिश करते हैं. मोदी इस बात से भी बेफिक्र रहते हैं कि जिस राह पर चलने का फैसला किया है वो कहां जाएगी और क्या नतीजे मिलेंगे. कश्मीर में अलगाववाद और विद्रोह को चारा मुहैया करना वाले अनुच्छेद 370 का खात्मा सरकार ने ऐसे ही किया तो आतंकवाद पर भी नकेल कसने का काम सरकार ने किया.
सालों पुरानी शिक्षा नीति में बदलाव
जुलाई 2020 में पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) को मंजूरी दी. नई शिक्षा नीति में 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. अभी तक हमारे देश में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता है लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा. इसका मतलब है कि प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12 तक आखिरी हिस्सा होगा. इसके तहत उच्च शिक्षा के लिए भी बड़े सुधार शामिल किए गए हैं.
कोरोना की पहली लहर
साल 2020 के शुरुआती महीनों में कोरोना ने देश में दस्तक दी. जिसके बाद से ये महामारी पग-पग पर सरकार की परीक्षा लेने में लगी हुई है. जिस वक्त देश में कोरोना की पहली लहर आई थी, उस वक्त देश में ना तो पीपीई किट का उत्पादन होता था ना ही सेनिटाइज का निर्माण. मास्क बनाने वाली कंपनियां भी बहुत कम थीं. यही नहीं गिनती की कुछ ही लैब थीं जहां कोविड का टेस्ट होता था. लेकिन आज देश में पीपीई, मास्क और सेनिटाइज का उत्पादन इतना ज्यादा होता कि देश इसे दूसरे देशों में भी भेज रहा है. तो वहीं अब सिर्फ यूपी में हर रोज एक लाख टेस्ट होते हैं.
लॉकडाउन एक मुश्किल निर्णय
कोरोना को रोकने के लिए पीएम मोदी ने लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया था. ये फैसला मुश्किल इसलिए हो गया कि प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो गया. और विपक्ष इसको लेकर सरकार पर हमले करने लगा. हालांकि बाद में सरकार ने प्रवासी मजदूरों की समस्या को देखते हुए रेलवे को इस काम में लगाया. रेलवे ने देश भर से प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया.
वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना लागू
एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के पात्र लाभार्थी पूरे देश में कहीं भी उचित मूल्य की दुकान से अपने राशन कार्ड का इस्तेमाल कर अनाज उठा सकेंगे. फिर भले ही उनका राशन कार्ड किसी भी राज्य या जिले में बना हो. इससे पहले राशन कार्ड के मामले में नियम यह था कि व्यक्ति का राशन कार्ड जिस जिले का बना है, उसी जिले की राशन दुकानों से उसे राशन मिल सकता था.
काम आई जनधन योजना
कोरोना काल में जनधन योजना सरकार के सबसे ज्यादा काम आई. लॉकडाउन के वक्त गरीब परिवारों की मदद के लिए सरकार ने डायरेक्ट जनधन योजना में हर महीने सहायता राशि भेजी. जिससे करोड़ों परिवारों को फायदा मिला और इस मदद में किसी भी तरह की दलाली नहीं हो पाई.
राम मंदिर और नए संसद का निर्माण
मोदी सरकार 2.0 में ही राम मंदिर और संसद के निर्माण की नींव रखी गई. खास बात ये है कि इन दोनों का भूमि पूजन कोरोनाकाल के अंदर हुआ. नए संसद भवन को लेकर सरकार जहां अहम प्रोजेक्ट बता रही है, तो वहीं विपक्ष इसे लेकर हमलावर है. विपक्ष ने इसे फिजूलखर्ची बताया है. विपक्ष के अनुसार मोदी सरकार अपनी तानाशाही का परिचय दे रही है.
कोरोना दूसरी लहर ने धूमिल की छवि
कोरोना की पहली लहर को रोकने में सरकार ने जितनी सक्रियता दिखाई. दूसरी लहर का अंदाजा लगाने में सरकार उतनी ही बड़ी गलती कर बैठी. पहली लहर को रोकने में मोदी सरकार की पूरी दुनिया में तारीफ हुई, लेकिन कोविड की दूसरी लहर ने देश में हाहाकार मचा दिया. इस लहर में अस्पतालों में दवाईयों, बेड्स और ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखने को मिली. जिसके कारण मरने वालों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई. ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए सरकार ने विदेशों से भारी मात्रा में ऑक्सीजन मंगाया. इसके अलावा सरकार ने देश भर में अब 551 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी दी है.
वैक्सीन का निर्माण
कोरोना को मात देने के लिए मोदी सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी. और देश के वैज्ञानिकों ने भी दिन-रात काम करके वैक्सीन का निर्माण कर लिया. महज एक साल के अंदर ही देश में दो वैक्सीन का निर्माण हो गया. ये देश और सरकार दोनों के लिए बड़ी उपलब्धि है. हालांकि केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन की जो मुहिम शुरू की थी. वो अब धीमी पड़ चुकी है और इसका सबसे बड़ा कारण है वैक्सीन की कमी. वैक्सीन की कमी को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है. वहीं मोदी सरकार भी लगातार इस दिशा में काम कर रही है. देश में अब विदेशी वैक्सीन भी लाई जा रही हैं. रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी की खेप भारत पहुंच भी चुकी है. जल्द ही अमेरिकी और ब्रिटेन की वैक्सीन भी भारत आ जाएंगी.
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किसान आंदोलन बड़ी समस्या बना
मोदी राज के आज 7 साल पूरे हो रहे हैं और दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के 6 महीने भी पूरे हो रहे हैं. नए कृषि कानून मोदी सरकार के लिए गले में हड्डी बनकर रह गए हैं. मोदी सरकार इन कानूनों को किसान के हित में बता रही है तो वहीं किसान इन्हें रद्द कराने की मांग पर पिछले 6 महीने से अड़े हुए हैं. सरकार ने कानूनों में बदलाव करने का भी प्रस्ताव रखा था, जिसे किसान नेताओं ने अस्वीकार कर दिया था. किसान नेता इन कानूनों को रद्द कराने की मांग पर ही अड़े बैठे हैं.
दिल्ली-बंगाल में मिली करारी हार
दिल्ली और बंगाल के चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. मोदी-शाह की जोड़ी ने दोनों राज्यों में जमकर चुनाव प्रचार किया. लेकिन इसके बाद भी जीत हासिल नहीं हो सकी. दिल्ली में बीजेपी को महज 8 सीटें मिलीं तो वहीं बंगाल में 77 सीटों पर कब्जा जमाया. दोनों ही राज्यों में बीजेपी प्रमुख विपक्षी दल भले बन गई हो लेकिन पूरी कोशिश करने के बाद भी सत्ता से दूर रही. दिल्ली में केजरीवाल तो वहीं बंगाल में ममता ने जीत की हैट्रिक मारी.
यूपी चुनाव है अग्निपरीक्षा
कोरोना की दूसरी लहर के बीच लोगों में सरकार को लेकर काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. ऐसे में अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी और सीएम योगी दोनों की अग्निपरीक्षा होने वाली है. विपक्ष भी हमलावर रुख अपनाकर सरकार की मुश्किलों को बढ़ाने में लगा है. हालांकि इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी मैदान में उतर चुका है. और ग्राउंड स्तर पर सरकार की छवि सुधारने का काम शुरू कर दिया है.
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