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Mann Ki Baat@100: यह सिर्फ कार्यक्रम नहीं, आध्यात्मिक सफर रहा... जानें पीएम मोदी की प्रमुख बातें

'मन की बात' 3 अक्टूबर 2014 को शुरू हुआ था, जो सरकार के नागरिकों तक पहुंचने का एक जरिया बन गया. 'मन की बात' फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली सहित 11 विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित होता है.

Updated on: 30 Apr 2023, 01:05 PM

highlights

  • 'मन की बात' भारत की सकारात्मकता और इसके लोगों का जश्न मनाने का त्योहार
  • 22 भारतीय भाषाओं के अलावा 'मन की बात' का 11 विदेशी भाषाओं में भी प्रसारण
  • 'मन की बात' सद्भावना, सेवा-भावना और कर्तव्य-बोध के साथ सदैव आगे बढ़ी है

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 100वें एपिसोड को संबोधित करते हुए कहा कि यह लाखों भारतीयों (Indians) की 'मन की बात' है और उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति है. 3 अक्टूबर 2014 को शुरू हुआ यह कार्यक्रम महिलाओं, युवाओं और किसानों समेत कई सामाजिक समूहों को संबोधित करते हुए सरकार के नागरिकों तक पहुंचने का एक प्रमुख स्तंभ बन गया. 'मन की बात' (Mann Ki Baat) ने सामुदायिक पहलों को भी बढ़ावा दिया है. 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा 'मन की बात' फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली सहित 11 विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित किया जाता है. 

केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने भी अलग-अलग स्थानों से सुनी 'मन की बात'
'मन की बात' के 100वें एपिसोड के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कुछ लोगों के साथ टेलीफोन पर बातचीत भी की, जिन्हें उनकी अनूठी पहल के लिए पहले के प्रसारणों में दिखाया गया था. केंद्रीय मंत्रियों सहित भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने विभिन्न स्थानों पर मोदी के संबोधन को सुना, क्योंकि सत्तारूढ़ दल 100वें एपिसोड को जनता से जोड़ने की एक बड़ी कवायद बनाने के लिए जी तोड़ कोशिश में लगा रहा था. भाजपा ने पहले कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम का प्रसारण सुनने के लिए करीब चार लाख स्थानों पर व्यवस्था की जाएगी. 100वीं कड़ी को संयुक्त राष्ट्र के ट्रस्टीशिप काउंसिल चैंबर के अलावा यूनाइटेड किंग्डम में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग भी रविवार को सुबह स्थानीय समयानुसार 6:30 बजे सुना गया. आईआईएम रोहतक के एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 'मन की बात' के 23 करोड़ नियमित श्रोता थे और 96 प्रतिशत आबादी रेडियो कार्यक्रम से अवगत थी. सर्वेक्षण में पीएम मोदी के सक्षम और निर्णायक नेतृत्व और दर्शकों के साथ भावनात्मक जुड़ाव को श्रोताओं द्वारा कार्यक्रम की लोकप्रियता का कारण बताया गया.

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Mann Ki Baat@100 की प्रमुख बातें

  • 'मन की बात' भारत की सकारात्मकता, इसके लोगों का जश्न मनाने वाला त्योहार बन गया है.
  • 'मन की बात' ने मुझे लोगों से जुड़ने का समाधान दिया. यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि मेरे लिए विश्वास, आध्यात्मिक यात्रा है.
  • 'स्वच्छ भारत' हो, खादी हो या 'आजादी का अमृत महोत्सव' 'मन की बात' में उठाए गए मुद्दे जन आंदोलन बन गए.
  • मेरे पास हजारों पत्र, लाखों संदेश आते हैं. मैंने उनमें से अधिक से अधिक पढ़ने की कोशिश की है. कई बार आपके पत्र पढ़कर मैं भावुक हो गया, भावनाओं में बह गया और फिर अपने आप को संभाल लिया.
  • हर कड़ी में देशवासियों की सेवा भावना और क्षमता ने दूसरों को प्रेरित किया है. इस कार्यक्रम में हर देशवासी दूसरे देशवासियों के लिए प्रेरणा बनता है. एक तरह से 'मन की बात' का हर एपिसोड अगले एपिसोड के लिए जमीन तैयार करता है.
  • 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान तकनीक या किसी और चीज के बारे में नहीं है, बल्कि बेटियों के बारे में है.
  • 'मन की बात' ने आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने से लेकर मेक इन इंडिया और अंतरिक्ष स्टार्टअप तक, विविध क्षेत्रों में प्रतिभाशाली व्यक्तियों की कहानियों को प्रदर्शित किया है.
  • 'मन की बात' सद्भावना, सेवा-भावना और कर्तव्य-बोध के साथ सदैव आगे बढ़ी है.
  • देश में टूरिज्म सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है. हमारे प्राकृतिक संसाधन हों, नदियां हों, पहाड़ हों, तालाब हों या हमारे तीर्थस्थल हों उन्हें स्वच्छ रखना जरूरी है.
  • इस साल जहां हम आजादी का अमृतकाल में आगे बढ़ रहे हैं, वहीं जी-20 की अध्यक्षता भी कर रहे हैं. यह भी एक कारण है कि शिक्षा के साथ-साथ विविध वैश्विक संस्कृतियों को समृद्ध करने का हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है.
  • जब मैंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ संयुक्त रूप से 'मन की बात' की थी, तो पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हुई थी.
  • मुझे याद है जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो आम लोगों से मिलना और बातचीत करना स्वाभाविक था. हालांकि 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन बहुत अलग है. कार्य की प्रकृति अलग है. जिम्मेदारी अलग है. एक परिस्थितियों से बंधा है. सुरक्षा की कठोरता और समय सीमा से बंधा है. शुरुआती दिनों में कुछ अलग सा लगा... एक खालीपन था.
  • पचास साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन मुझे मेरे अपने देश के लोगों से संपर्क करना मुश्किल होगा. वह देशवासी जो मेरे सब कुछ हैं… मैं उनसे अलग नहीं रह सकता था. 'मन की बात' ने मुझे इस चुनौती का समाधान दिया, आम आदमी से जुड़ने का एक तरीका दिया.
  • मेरे लिए संतोष की बात है कि 'मन की बात' में हमने देश भर में नारी शक्ति की सैकड़ों प्रेरक कहानियों का जिक्र किया है. वह चाहे हमारी सेना हो या खेल जगत, जब भी मैंने महिलाओं की उपलब्धियों की बात की है उसकी खूब तारीफ हुई है.
  • इस बार 'मन की बात' के संबंध में यूनेस्को की डीजी ऑड्रे अज़ोले का एक और विशेष संदेश मुझे प्राप्त हुआ है. उन्होंने 100 एपिसोड्स के इस शानदार सफर के लिए सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं.
  • मैं आपके परिवार का सदस्य होने के नाते 'मन की बात' के माध्यम से आपके बीच रहा हूं. हम अगले महीने फिर मिलेंगे. हम फिर से देशवासियों की सफलताओं को नए विषयों और नई जानकारी के साथ मनाएंगे, तब तक के लिए मैं आपसे विदा लेता हूं. अपना और अपने प्रियजनों का अच्छे से ख्याल रखें.