कांग्रेस नेताओं के हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार 11 बजे तक स्थगित

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी को लेकर राज्यसभा में गुरुवार को भी हंगामा जारी रहा।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी को लेकर राज्यसभा में गुरुवार को भी हंगामा जारी रहा।

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Deepak Kumar
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कांग्रेस नेताओं के हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार 11 बजे तक स्थगित

दोनो सदन में हंगामा

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी को लेकर राज्यसभा में गुरुवार को भी हंगामा जारी रहा।

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इससे पहले बुधवार को भी इसी मामले को लेकर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदन में हंगामा चलता रहा।

कई बार सदन की कार्यवाही को बीच में रोकनी पड़ी थी। बाद में सदन का कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

गुरुवार को इसी क्रम में एक बार फिर से हंगामे के साथ शुरुआत हुई। गुरुवार को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति एम वेंकैया नायडू ने सांसदों से संसद पटल पर पेपर रखने को कहा और फिर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को बोलने की अनुमति दी।

आजाद ने कहा, 'कल (बुधवार) तक हम मनमोहन सिंह जी के खिलाफ प्रधान मंत्री की टिप्पणी पर उनसे स्पष्टीकरण की मांग कर रहे थे लेकिन आज एक और घटना हुई और अब हमें दोनों मुद्दों पर स्पष्टीकरण चाहिए।'

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आजाद ने आगे कहा, 'अब उन्हें साबित करना चाहिए कि किस आधार पर उन्होंने आरोप लगाया था कि 1.76 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। झूठे अभियान के माध्यम से यूपीए के खिलाफ माहौल बनाया गया और यही कारण है कि हम यहां विपक्ष में हैं और आप वहां सत्ता में हैं।'

सभापति ने आजाद से इस मुद्दे पर नहीं बोलने का आग्रह किया क्योंकि उन्होंने इस संबंध में कोई नोटिस नहीं दिया है लेकिन आजाद ने बोलना जारी रखा।

इसके बाद कांग्रेस सांसद सभापति के आसन के पास इकट्ठा हो गए और नारेबाजी शुरू कर दी।

सभापति के अनुरोधों के बावजूद कांग्रेस के सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा, जिसके देखते हुए सभापति ने सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने गुरुवार को 2जी घोटाले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान 2008 में दूरसंचार विभाग द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में कथित तौर पर अनियमितता हुई थी, जिसका 2010 में कैग की रिपोर्ट के बाद व्यापक स्तर पर खुलासा हुआ। 

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Source : News Nation Bureau

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