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तालिबान सरकार में एक से बढ़कर एक आतंकी चेहरे, क्या करेगी दुनिया

तालिबान की नई कैबिनेट में खुफिया, सुरक्षा जैसे अहम पदों पर एक से बढ़कर एक दुर्दांत आतंकियों को स्थान दिया गया है.

Updated on: 08 Sep 2021, 01:12 PM

highlights

  • कार्यवाहक पीएम अखुंद यूएन की आतंकी सूची में शामिल
  • सिराजुद्दीन हक्कानी पर है 36 करोड़ रुपए का इनाम
  • मुल्ला उमर का बेटा भी तालिबान सरकार की कैबिनेट में

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान ने कार्यवाहक सरकार की घोषणा कर दी है. इसकी कमान यानी प्रधानमंत्री बतौर मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद (Mohammad Hasan Akhund) के नाम की घोषणा की गई है, जो संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक आतंकवादी में शुमार है. सिर्फ अंतरिम प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी (Sirajuddin Haqqani) पर एफबीआई ने 36 करोड़ का इनाम रखा हुआ है. सिराजुद्दीन भारत को अपना दुश्मन नंबर एक मानता है. औऱ तो और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के साथ गहरे संबंध रखने वाले मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री बनाया गया है. यही नहीं तालिबान की नई कैबिनेट में खुफिया, सुरक्षा जैसे अहम पदों पर एक से बढ़कर एक दुर्दांत आतंकियों को स्थान दिया गया है. अब सवाल यह उठता है कि दुनिया ऐसी तालिबानी सरकार को मान्यता कैसे दे सकती हैं, जहां आतंकियों का ही बोलबाला हो.  

मुल्ला अहमद हसन अखुंद (प्रधानमंत्री) 
मुल्ला हसन अखुंद फिलहाल रहबारी शूरा (लीडरशिप काउंसिल) का मुखिया है. रहबारी शूरा तालिबान की सबसे शक्तिशाली निर्णय लेने वाली संस्था है. मुल्ला हसन अखुंद का जन्म उसी कंधार में हुआ है, जहां तालिबान की शुरुआत हुई. सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत करने वाले लोगों में मुल्ला हसन शामिल था. हसन का नाम संयुक्‍त राष्‍ट्र की आतंकी सूची में भी शामिल है. तालिबान की पिछली सरकारों में भी मुल्ला हसन अहम पदों पर रहा. मुल्ला मोहम्मद रब्बानी अखुंद जब अफगान के प्रधानमंत्री थे यानी 1996 से 2001 के दौर में मुल्ला हसन को पहले विदेश मंत्री और फिर डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बनाया गया था. मुल्ला हसन पिछले 20 सालों से रहबारी शूरा का काम देख रहा है, इसलिए तालिबान लड़ाकों में उसे काफी इज्जत के तौर पर देखा जाता है. फिलवक्त मुल्ला हसन को उनके चरित्र और भक्ति भाव के लिए ही जाना जाता है. मुल्ला अखुंद आधुनिक अफगानिस्तान के संस्थापक अहमद शाह दुर्रानी का वंशज माना जाता है. मुल्ला मोहमद उमर के राजनीतिक सलाहकार बतौर भी अखुंद काम कर चुका है. 

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मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (उप-प्रधानमंत्री) 
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की हैसियत तालिबान के सबसे कद्दावर नेता मुल्ला उमर के बाद नंबर दो की थी. बरादर की शादी मुल्ला उमर की बहन से हुई है. मुल्ला उमर की मौत के बाद बरादर की पोज़ीशन नंबर एक की है. मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की गिनती उन चार लोगों में होती है, जिन्होंने 1994 में तालिबान की शुरुआत की थी. बरादर अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता के दौरान रक्षा उपमंत्री भी रहा. इसे मिलिट्री स्ट्रेटेजिस्ट और कमांड का एक्सपर्ट माना जाता है. बरादर ने तालिबान को फंडिंग उपलब्ध कराने का भी अपना नेटवर्क खड़ा किया था. बरादर का अफगानिस्तान में अपना बड़ा मजबूत इंटेलिजेंस नेटवर्क है. मुल्ला बिरादर ने अफगान फोर्स के खिलाफ लड़ी जाने वाली सभी लड़ाइयों को लीड किया. हेरात और काबुल की घेरेबंदी में मुल्ला उमर की प्लान का बड़ा हिस्सा था. अमेरिकी फोर्स के खिलाफ मुल्ला बरादर ने कई बड़े हमले को अंजाम दिया है. मुल्ला बरादर ऐसे नेताओं में से है जो अमेरिका और अफगानिस्तान सरकार के साथ बातचीत का पक्षधर रहा. बरादर के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ करीबी संबंध रहे हैं. 2010 में बरादर को यूएस पाकिस्तान की जॉइंट फ़ोर्स ने कराची से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के तीन साल बाद ही 2013 में मुल्ला बरादर को रिहा कर दिया गया.

सिराजुद्दीन हक्कानी (गृह मंत्री)
जलालुद्दीन हक्कानी की मौत के बाद बेटा सिराजुद्दीन हक्कानी, हक्कानी नेटवर्क की कमान संभाले हुए है. सामरिक विशेषज्ञों की मानें तो हक्कानी समूह पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति की देखरेख करता है. कुछ विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि हक्कानी ही अफगानिस्तान में आत्मघाती हमलों का जिम्मेदार है. हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कई हाई-प्रोफाइल हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या का प्रयास भी इनमें से एक है. माना जाता है कि सिराजुद्दीन हक्कानी की उम्र 40 से 50 के बीच में है, जो अज्ञात ठिकाने से अपने नेटवर्क को संचालित करता है. यह वही आतंकी है जिसने 7 जुलाई 2008 को काबुल में भारतीय दूतावास पर आत्मघाती कार बम हमला करवाया था.

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मौलवी मोहम्मद याकूब मुजाहिद (रक्षा मंत्री)
तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है मोहम्मद याकूब है, जिसे एक बार तालिबान का सर्वोच्च पद दिए जाने की चर्चा थी. हालांकि अब याकूब के बारे में बहुत ही कम जानकारी है. उसने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के एक मदरसे में शिक्षा हासिल की और अब वह अफगानिस्तान में रहता है. वह सिराजुद्दीन हक्कानी के साथ समूह की सैन्य गतिविधियों की निगरानी करता है.

अमीर खान मुत्तकी (विदेश मंत्री)
तालिबान की अंतरिम सरकार में मुल्ला अमीर खान मुत्तकी नए विदेश मंत्री होंगे, जबकि भारत में पढ़े शेर मोहम्मद अब्बास स्तनिकजई को उप विदेश मंत्री बनाया गया है. अमीर खान पिछली तालिबान सरकार में संस्‍कृति, सूचना और शिक्षा मंत्री था. बाद में उसे कतर भेज दिया गया. दोहा में अमेरिका के साथ बातचीत की और अंतत: समझौते पर हस्‍ताक्षर हुआ. उमुत्तकी को हाल ही में तालिबान में उदारवादी आवाज घोषित किया गया. उन्‍होंने पंजशीर के विद्रोहियों से बातचीत की अपील की थी. मुल्‍ला अमीर के सहयोगी शेर मोहम्‍मद अब्‍बास बनाए गए हैं. भारत में पढ़े शेर मोहम्‍मद का पाकिस्‍तान की सेना के साथ गहरे संबंध हैं.