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जानें कौन हैं 1971 के युद्ध में वॉर ऑफ मूवमेंट की रणनीति बनाने वाले जैकब

जैकब ने नियाज़ी को आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के लिए आधे घंटे का समय दिया. उन्होंने यह साफ कर दिया था कि अगर दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए गए तो नियाज़ी और उनके परिवारवालों की सुरक्षा करेंगे.

Updated on: 16 Dec 2020, 10:58 AM

नई दिल्ली:

जैकब फ़र्ज राफ़ेल जैकब जिन्हें मुख्यतः उनके नाम के प्रथम अक्षरों जेएफआर के नाम से ही जाना जाता है, भारत के पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल थे. वो 1971 के भारत-पाक युद्ध में विजय और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के लिए जाने जाते हैं. उनका जन्म साल 1923 में हुआ था, उनकी मृत्यु 13 जनवरी 2016 हुई थी. जैकब को बांग्लादेश में भी काफी सम्मान मिलता है.

मेजर जनरल जैकब को 1971 में भारतीय सेना की पूर्वी कमान के चीफ ऑफ स्टाफ थे. जैकब को भारत ही नहीं बांग्लादेश में भी अनेक सम्मानों से नवाज़ा गया. सन् 1971 के युद्ध में जैकब ने 'वॉर ऑफ मूवमेंट' की रणनीति बनाई थी. इसके तहत भारतीय सेना को पाकिस्तानी सेना के कब्जे वाले शहरों को छोड़कर वैकल्पिक रास्तों से भेजा गया. 16 दिसंबर को फील्ड मार्शल मानेकशॉ ने लेफ्टिनेंट जनरल जैकब को ढाका जाकर पाकिस्तान से आत्म समर्पण कराने की तैयारी करने का आदेश दिया.

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इसके बाद जैकब सरेंडर दस्तावेजों के के साथ ढाका की ओर निकल गए. उस समय तक नियाज़ी के 26 हजार 400 सैनिक ढाका में मौजूद थे, जबकि भारत के लगभग 3000 सैनिक ढाका को घेरे खड़े थे. हालांकि, पाकिस्तानी सेना के हौसले पस्त हो चुके थे. जैकब ढाका पहुंचे और वहां पाकिस्तानी जनरल एएके नियाज़ी से कहा कि अपनी फौज को आत्मसमर्पण का आदेश दें.

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जैकब ने नियाज़ी को आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के लिए आधे घंटे का समय दिया. उन्होंने यह साफ कर दिया था कि अगर दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए गए तो नियाज़ी और उनके परिवारवालों की सुरक्षा करेंगे. इसके बाद ढाका के रेसकोर्स मैदान में जनरल नियाज़ी ने मेजर जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे और बांग्लादेश को आज़ादी मिल गई थी.