QRSAM Missile: चंद पलों में दुश्मन के लड़ाकू विमान हो जाएंगे खाक
यह मिसाइल सभी मौसम और सभी इलाकों में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो एयरक्राफ्ट राडार द्वारा जाम करने के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक काउंटर से लैस है.
नई दिल्ली:
भारत ने चार दिन में दूसरी बार मंगलवार को त्वरित प्रतिक्रिया वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (क्यूआरएसएएम) प्रणाली का सफल परीक्षण किया. ओडिशा के चांदीपुर स्थित परीक्षण केंद्र से दागी गई मिसाइल ने हवाई लक्ष्य पर सटीक निशाना साधकर बंशी ड्रोन को नष्ट कर दिया. इससे पहले 13 नवंबर को भी भारत ने ओडिशा के बालासोर तट पर ऐसा ही एक और सफल परीक्षण किया था. यह सिस्टम इतना सक्षम है कि यह मूव करते हुए टारगेट को डिटेक्ट और ट्रैक कर सकता है. इन सफलताओं पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को बधाई भी दी. इस मिसाइल से सीमा पर युद्ध या किसी सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त भारतीय सेना को आसमानी कवर देने में प्रभावी सफलता मिलेगी.
खासियत
- इस मिसाइल की रेंज 25 से 30 किलोमीटर तक है.
- मिसाइल 4.7 मैक स्पीड से दुश्मन पर वार करती है. इस तरह इसकी स्पीड लगभग 5800 किलोमीटर प्रति घंटा है.
- यह मिसाइल सिंगल स्टेज सॉलिड प्रोपलेंट रॉकेट मोटर से संचालित है. यानी इसके लिए ठोस ईंधन का उपयोग होता है.
- मिसाइल को मोबाइल लॉन्चर से दागा जाता है, जो एक साथ छह मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है.
- क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित एक मिसाइल है.
- इसे भारतीय सेना के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के सहयोग से तैयार किया गया है.
- यह मिसाइल सभी मौसम और सभी इलाकों में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो एयरक्राफ्ट राडार द्वारा जाम करने के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक काउंटर से लैस है.
- सभी क्यूआरएसएएम हथियार सिस्टम में बैटरी मल्टीफंक्शन रडार, बैटरी सर्विलांस रडार, बैटरी कमांड पोस्ट व्हीकल और मोबाइल लॉन्चर शामिल है, जिन्हें भारत में ही तैयार किया गया है.
- यह सिस्टम इतना सक्षम है कि यह मूव करते हुए टारगेट को डिटेक्ट और ट्रैक कर सकता है.
- इसे एक कनस्तर में भी रखा जा सकता है, जो इलेक्ट्रॉनिक काउंटर सिस्टम से लैस है. इससे यह एयरक्राफ्ट रडार के जैमर के खिलाफ जाकर मार कर सकता है.
- इसका पहला परीक्षण चार जून 2017 को हुआ था. इससे पहले 16 फरवरी 2016 को इसका सफल परीक्षण किया गया था.
बीते 45 दिनों में मिसाइल परीक्षण
अक्टूबर 1: लेजर गाइडेड एंटी टैंक गाइडेट मिसाइल (ATGM) महाराष्ट्र के अहमदनगर में एमबीटी अर्जुन टैंग से दागी गई. एजीटीएम हर तरह के टैंक को नष्ट करने में सक्षम है. इस मिसाइल की रेंज पांच किलोमीटर तक है.
अक्टूबर 3: ओडिशा तट से परमाणु शक्ति संपन्न शौर्य मिसाइल के नए वर्जन का सफलतापूर्वक परीक्षण. यह मिसाइल सतह से सहत पर मार करने वाली परमाणु क्षमता से लैस बैलिस्टिक मिसाइल है. शौर्य मिसाइल 50 किलोमीटर की ऊंचाई से जाकर दुश्मन को खत्म कर सकती है मिसाइल की रफ़्तार 7 मैक यानी 2.4 किलोमीटर प्रति सेकेंड है. टारगेट को हिट करते वक्त इसकी रफ्तार 4 मैक हो जाती है. 800 किलोमीटर के रेंज तक दुश्मन को टारगेट कर सकती है. 160 किलोग्राम तक का वज़नी हथियार लेकर जा सकता है ये मिज़ाइल टू-स्टेज रॉकेट वाली खूबी से लैस है.
अक्टूबर 5: भारत ने एंटी-सबमरीन वारफेयर को विकसित किया और स्वदेशी निर्मित स्मार्ट टोरपेडो सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो कि टोरपीडो रेंज के पार एंटी सबमनरीन वारफेयर ऑपरेशंस के लिए आवश्यक है.
अक्टूबर 5: SMART का सफल परीक्षण – स्मार्ट मिसाइल मुख्य रूप से टॉरपीडो सिस्टम का हल्का रूप है, जिसे लड़ाकू जहाजों पर तैनात किया जाएगा. पूरी तरह तैयार होने पर इस हथियार प्रणाली की रेंज 650 किलोमीटर होगी.
अक्टूबर 10: भारत ने पहले एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-1 का सफल परीक्षण किया, जोकि जमीन पर दुश्मनों के रडार को डिटेक्ट कर सकता है. रूद्रम-1 भारत का प्रथम स्वदेश विकसित एंटी रेडिएशन हथियार है. इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी से बढ़ाकर 400 किमी की दूरी तक की गई है. ये मिसाइल किसी भी तरह के सिग्नल और रेडिएशन को पकड़ सकती है. साथ ही अपनी रडार में लाकर ये मिसाइल नष्ट कर सकती है.
अक्टूबर 16: भारत ने 250 किमी तक वार करने वाली पृथ्वी-2 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. लिक्विड-प्रोपेल्ड पृथ्वी -2 में 250 किमी की रेंज है और यह 1 टन का सामग्री ले जा सकता है. यह भारत की पहली स्वदेशी सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है. तीन सप्ताह से भी कम समय में पृथ्वी -2 का यह दूसरा परीक्षण था.
अक्टूबर 18: आईएनएस चेन्नई युद्धपोत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया गया. नौसेना ने यह टेस्ट अरब सागर में अपने जंगी पोत आईएनएस चेन्नई के जरिये किया था.
अक्टूबर 22: नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर दिया है. यह 4 से 7 किलोमीटर तक निशाना लगा सकती है. यह थर्ड जनरेशन एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल है, जो दिन के अलावा रात में भी दुश्मनों के टैंक को निशाना बन सकती है.
अक्टूबर 23: एंटी-शिप मिसाइल उरन का सफल टेस्ट किया. INS प्रबल पर 16 रूस निर्मित KH-35 'Uran' एंटी-शिप मिसाइल तैनात हैं. इनकी अनुमानित क्षमता 130 किलोमीटर तक की है.
अक्टूबर 28: भारतीस नौसेना ने एक एंटी शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया. उस समय एंटी शिप मिसाइल को भारतीय नौसेना के ‘फ्रंटलाइन कोरवेट आईएनएस प्रबल' से दागा गया था, जिसने अपने निशाने पर सटीकता से वार किया था.
अक्टूबर 30: भारतीय नौसेना ने एंटी शिप मिसाइल दागी. नौसेना ने गाइडेड मिसाइल कार्वेट आईएनएस कोरा की मदद से मिसाइल को दागा. यह मिसाइल सही सटीकता के साथ अधिकतम सीमा तक लक्ष्य को मारती है.
नवंबर 13: क्यूआरएसएएम प्रणाली का परीक्षण 13 नवंबर को किया गया. इस प्रणाली को भारतीय सेना के प्रहार कॉलमों के बरक्स हवाई रक्षा कवरेज देने के लिए डिज़ाइन किया गया है. परीक्षण के दौरान रडार ने दूर की रेंज से लक्ष्य की टोह ले लिया और लक्ष्य के मारक क्षेत्र के भीतर आने पर मिसाइल कोदाग दिया गया.
नवंबर 17: क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल ने हवा में मौजूद एक मानवरहित विमान को निशाना बनाया. यह मिसाइल जमीन से हवा में मार करने वाला हथियार है. यह मिसाइल 3 किलोमीटर से लेकर 30 किलोमीटर तक की रेंज में आने वाले दुश्मन की मिसाइलों, विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन्स को नष्ट कर सकती है.
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