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PM Modi की दिवाली पर लोंगेवाला जाने की थी खास वजह, जानें 1971 भारत-पाक युद्ध का इतिहास

इस युद्ध में भारत की एकतरफा जीत के नायक बने थे ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी, जिन्हें वीरता के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था

Updated on: 09 Aug 2021, 01:32 PM

highlights

  • लोंगेवाला की लड़ाई सबसे खतरनाक टैंक युद्धों में है शुमार
  • इस जीत के नायक बने थे ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी
  • भारतीय सेना और वायु सेना ने बर्बाद कर दिए थे पाक के 45 टैंक

नई दिल्ली:

बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिवाली मनाने थार के रेगिस्तान में स्थित लोंगेवाला गए थे. अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित यह जगह भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध की वजह से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है. इस साल इस लड़ाई के 50 साल पूरे हो रहे हैं, जिसने भारतीय सेना को शौर्य के प्रदर्शन का ऐसा मौका दिया कि दुनियाभर में उसके चर्चे होते हैं. लोंगेवाला की लड़ाई दुनिया के सबसे खतरनाक टैंक युद्धों में गिनी जाती है. भारतीय सेना के पास एक टैंक नहीं था, जबकि पाकिस्‍तान 45 टैंक लेकर सामने खड़ा था. इस युद्ध के नायक थे ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी, जिन्होंने पाकिस्तान के टैकों को भारी गोलाबारी के बावजूद भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों के पहुंचने तक आगे नहीं बढ़ने दिया था. 

जीत के नायक बने थे कुलदीप सिंह चांदपुरी
1971 के भारत-पाकिस्तान के बीच हुए लोंगेवाला के युद्ध को याद करते हुए कर्नल अजमेर सिंह ग्रेवाल (सेवानिवृत्त) बताते हैं कि पाकिस्तान को यह दुस्साहस बहुत महंगा पड़ा था. पाकिस्तान सेना ने बगैर किसी ठोस रणनीति के हमला तो बोल दिया था, लेकिन जवाब में भारतीय सेना और अगले दिन सुबह भारतीय लड़ाकू विमानों ने उसके टैंकों को चुन-चुन कर मारा था. इस युद्ध में भारत की एकतरफा जीत के नायक बने थे ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी, जिन्हें वीरता के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. कर्नल अजमेर सिंह बताते हैं कि भारत ने लोंगेवाला के युद्ध में अदम्य शौर्य का परिचय दिया था. 

4 दिसंबर की रात पाकिस्तान ने बोला था हमला
कर्नल ग्रेवाल लोंगेवाला युद्ध की याद कर बताते हैं कि लोंगेवाला की पोस्‍ट बॉर्डर के बहुत करीब थी. यहां पर मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी 120 जवानों संग तैनात थे और पंजाब रेजिमेंट की 23वीं बटालियन का नेतृत्‍व कर रहे थे. 4 दिसंबर की रात पाकिस्‍तान ने लोंगेवाला पर हमला कर दिया. पाकिस्तान सेना के 2800 जवानों ने लोंगेवाला पर धावा बोला था, जिनके पीछे उसके 45 टैंकों का एक पूरा कॉलम साथ चल रहा था. उस वक्त कर्नल ग्रेवाल लोंगेवाला से 8 किमी दूर साड्डेवाला पर तैनात थे. पाकिस्तान के हमले की सूचना पर वह ब्रिगेडियर चांदपुरी की मदद के लिए आगे बढ़े, लेकिन दुश्मन टैंकों की भारी गोलाबारी से उनका रास्ता तय करना दूभर हो गया था.

पाकिस्तान के टैंकों को रोके रखा रात भर औऱ कई कर दिए तबाह
कर्नल ग्रेवाल के मुताबिक उस रात ब्रिगेडियर चांदपुरी ने अपने दस्ते के साथ रात के अंधेरे में चतुराई से मोर्चा संभाल लिया था. दुश्मन को धोखा देने के लिए थोड़ी दूर पर एंटी माइंस भी लगाई गई थी, जिसकी चपेट में आकर एक टैंक सबसे पहले बर्बाद हुआ. उसके बाद चांदपुरी की टुकड़ी ने 106 एमएम की एम40 रिक्‍वॉइललेस राइफल से दो टैंक और उड़ा दिए. इसके बाद पाकिस्तान सेना के टैंक रुक गए, लेकिन भारतीय जवानों ने भारी गोलीबारी कर 12 टैंक और तबाह कर दिए. चांदपुरी के नेतृत्व में भारतीय जवान थोड़ी ऊंची जगह पर थे, जहां थोड़ा निर्माण था ताकि दुश्मन की सीधी रेंज में आने से बचते हुए उसे आगे बढ़ने से रोक सकें. इस तरह उन्होंने रात भर मोर्चा संभाला.

भारतीय वायुसेना के हमले से टैंक औऱ बख्तरबंद गाड़ियां छोड़ भाग खड़े हुए पाकिस्तानी जवान
पाकिस्तान सेना भी जानती थी कि सुबह होते ही भारतीय सेना की रिइंफोर्समेंट लोंगेवाला पहुंच जाएगी और उसकी राह औऱ कठिन हो जाएगी. कर्नल ग्रेवाल के मुताबिक ब्रिगेडियर चांदपुरी ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे. रात भर में ही उन्होंने भारी तबाही मचाई थी. वह बताते हैं कि सुबह हो चुकी थी और पाकिस्तानी टैंक थार के रेगिस्तान से निकलने का रास्‍ता ढूंढ रहे थे. तब तक वायुसेना के एचएफ-24 मारुत और हॉकर हंटर लड़ाकू विमानों ने लोंगेवाला पहुंचते ही जो गोलीबारी शुरू की कि पाकिस्‍तानी फौज में हड़कंप मच गया. टैंक और हथियारबंद गाड़ियां इधर-उधर भगाए जाने लगे. पाकिस्‍तानी सैनिक टैंक और गाड़ी छोड़कर भागे निकले. जीत के बाद लोंगेवाला पोस्‍ट के पास पाकिस्तान सेना की लगभग 100 गाड़ियां मिली थीं, जो लगभग तबाह हो चुकी थीं.