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जानें किस तरह हुआ था वीर सावरकर का निधन

वीर सावरकर की निधन 26 फरवरी 1966 को हुआ था. जब उनका निधन हुआ, उस समय वह 82 साल के थे. आम तौर पर माना जाता है कि उन्होंने खुद अपने लिए इच्छामृत्यु चुनी थी.

Updated on: 26 Feb 2021, 09:37 AM

नई दिल्ली:

वीर सावरकर को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं. लोग उनके जीवन और सजा के बारे में भी जानना चाहते हैं लेकिन लोगों के मन में सवाल है कि आखिर वीर सावरकर की मौत कैसे हुई थी? वीर सावरकर की निधन 26 फरवरी 1966 को हुआ था. जब उनका निधन हुआ, उस समय वह 82 साल के थे. आम तौर पर माना जाता है कि उन्होंने खुद अपने लिए इच्छामृत्यु चुनी थी. कहा जाता है कि काला पानी की सजा ने उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला था. जिसके बाद उन्होंने खुद के लिए इच्छामृत्यु का रास्ता चुना. दरअसल वह इसे स्व बलिदान बताते थे

कैसे हुआ निधन? 
ऐसा माना जाता है कि वीर सावरकर ने खुद अपने लिए इच्छा मृत्यु जैसी स्थिति चुनी थी. अपनी मृत्यु से करीब एक महीने पहले से उन्होंने उपवास करना शुरू कर दिया था. माना जाता है कि इसी उपवास के कारण उनका शरीर कमजोर होता गया और फिर 82 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया.  

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इच्छा मृत्यु के थे समर्थक
सावरकर ने अपनी मृत्यु से दो साल पहले 1964 में 'आत्महत्या या आत्मसमर्पण' नाम का एक लेख लिखा था. इस लेख में उन्होंने अपनी इच्छा मृत्यु के समर्थन को स्पष्ट किया था. इसके बारे में उनका कहना था कि आत्महत्या और आत्म-त्याग के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर होता है. इसके पीछे सावरकर का तर्क था कि एक निराश इंसान आत्महत्या से अपना जीवन समाप्त करता है लेकिन जब किसी के जीवन का मिशन पूरा हो चुका हो और शरीर इतना कमजोर हो चुका हो कि जीना असंभव हो तो जीवन का अंत करने को स्व बलिदान कहा जाना चाहिए.

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दवाई लेना भी कर दिया था बंद
ऐसा कहा जाता है कि वीर सावरकर ने अपने आखिरी अपने आखिरी दिनों में दवाई लेना भी बंद कर दिया था. सावरकर की आत्मकथा 'मेरा आजीवन कारावास' के परिशिष्ट में उनके अंतिम दिनों में लिखे गए कई पत्र प्रकाशित हैं. इसमें कहा गया है कि जीवन में आए क्षणों के जरिए इच्छा मृत्यु की व्याख्या भी की है. इसी के कारण उन्होंने दवाई और खाना पीना तक बंद कर दिया था. इसलिए लोग कहते हैं कि उन्होंने इच्छा मृत्यु चुनी.