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ये हैं कृषि क्षेत्र के वो तीन कानून जिनपर देशभर में मचा हुआ है बवाल, जानें यहां

लोकसभा से पारित 3 प्रमुख कृषि कानून को लेकर विपक्ष के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में भी विरोध के स्वर सामने आये हैं. शिरोमणि अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को कृषि कानूनों के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

Updated on: 05 Dec 2020, 07:03 PM

नई दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का भारी विरोध हो रहा है. देशभर के किसान इन कानूनों का भारी विरोध कर रहे हैं. विपक्ष के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल भी सरकार के इन कानूनों को किसान विरोधी होने का आरोप लगा रही है. लोकसभा से पारित तीन प्रमुख कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष के साथ ही सत्तारूढ़ गठबंधन में भी विरोध के स्वर सामने आये हैं.

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शिरोमणि अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को कृषि कानूनों के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. किसान सड़कों पर उतरकर इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं. ऐसा क्या है इन कृषि विधेयकों में जिसको लेकर इतना बवाल मचा हुआ है. आइए इन तीनों कानूनों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.

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कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Ordinance, 2020):

प्रस्तावित कानून का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद अधिसूचित कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) यानी तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट देना है. इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है. इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई उपकर या शुल्क नहीं लिया जायेगा.

फायदा:

यह किसानों के लिये नये विकल्प उपलब्ध करायेगा. उनकी उपज बेचने पर आने वाली लागत को कम करेगा, उन्हें बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करेगा. इससे जहां ज्यादा उत्पादन हुआ है उन क्षेत्र के किसान कमी वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे.

विरोध:

यदि किसान अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के बाहर बेचते हैं, तो राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा क्योंकि वे 'मंडी शुल्क' प्राप्त नहीं कर पायेंगे. यदि पूरा कृषि व्यापार मंडियों से बाहर चला जाता है, तो कमीशन एजेंट बेहाल होंगे, लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है, किसानों और विपक्षी दलों को यह डर है कि इससे अंततः न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आधारित खरीद प्रणाली का अंत हो सकता है और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ सकता है.

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मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Ordinance, 2020):

इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा.

लाभ:

इससे किसान का अपनी फसल को लेकर जो जोखिम रहता है वह उसके उस खरीदार की तरफ जायेगा जिसके साथ उसने अनुबंध किया है. उन्हें आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट तक पहुंच देने के अलावा, यह विपणन लागत को कम करके किसान की आय को बढ़ावा देता है.

विरोध:

किसान संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि इस कानून को भारतीय खाद्य व कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप बनाया गया है. यह किसानों की मोल-तोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा. इसके अलावा, बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है.

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आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 (Essential Commodities (Amendment) Ordinance, 2020):

यह प्रस्तावित कानून आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू जैसी कृषि उपज को युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि व प्राकृतिक आपदा जैसी 'असाधारण परिस्थितियों' को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों में हटाने का प्रस्ताव करता है तथा इस तरह की वस्तुओं पर लागू भंडार की सीमा भी समाप्त हो जायेगी.

लाभ:

इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निजी निवेश / एफडीआई को आकर्षित करने के साथ-साथ मूल्य स्थिरता लाना है.

विरोध:

इससे बड़ी कंपनियों को इन कृषि जिंसों के भंडारण की छूट मिल जायेगी, जिससे वे किसानों पर अपनी मर्जी थोप सकेंगे.

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सरकार का पक्ष:

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों के लिये फसलों के न्यमनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी. इसके अलावा, प्रस्तावित कानून राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानूनों का अतिक्रमण नहीं करता है. ये विधेयक यह सुनिश्चित करने के लिये हैं कि किसानों को मंडियों के नियमों के अधीन हुए बिना उनकी उपज के लिये बेहतर मूल्य मिले. उन्होंने कहा कि इन विधेयकों से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिले, इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निजी निवेश के साथ ही कृषि क्षेत्र में अवसंरचना का विकास होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे.