logo-image

Karnataka : क्या नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी में बैठेगा सामंजस्य? कांग्रेस के लिए ये है नई चुनौती

Karnataka : भारतीय जनता पार्टी के लिए दक्षिण भारत की सत्ता में एंट्री के लिए कर्नाटक मुख्य द्वार था, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखा दिया. प्रचंड बहुमत हासिल कर कांग्रेस सूबे में सरकार बनाने में जुट गई है.

Updated on: 14 May 2023, 08:17 AM

highlights

  • कर्नाटक में कांग्रेस को मिला प्रचंड बहुमत
  • दक्षिण भारत के राज्यों से भाजपा हुई बाहर 
  • कांग्रेस के विधायक दल की आज होगी बैठक 

नई दिल्ली:

Karnataka : भारतीय जनता पार्टी के लिए दक्षिण भारत की सत्ता में एंट्री के लिए कर्नाटक मुख्य द्वार था, लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखा दिया. प्रचंड बहुमत हासिल कर कांग्रेस सूबे में सरकार बनाने में जुट गई है. कांग्रेस के विधायक दल की बैठक आज होगी, जिसमें विधायक दल का नेता चुना जाएगा और वही कर्नाटक के अलगे सीएम होंगे. मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार पूर्व सीएम सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार माने जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी में सामंजस्य बैठ पाएगा या फिर कांग्रेस के लिए कर्नाटक में भी मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसी चुनौती उत्पन्न हो जाएगी.  

मध्य प्रदेश में कांग्रेस को नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच की लड़ाई भारी पड़ा. एक तरफ कमलनाथ और दूसरे तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया... कांग्रेस ने कमलनाथ को सीएम बनाकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार कर दिया था. कांग्रेस के इस फैसले से सिंधिया नाराज होकर भारतीय जनता पार्टी में चले गए और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई. दूसरी तरफ राजस्थान कांग्रेस में भी इसी तरह का मतभेद देखने को मिल रहा है. 

यह भी पढ़ें : Karnataka: BJP को ढूंढना पड़ेगा इन नेता का विकल्प! कांग्रेस ने ऐसे पाई सत्ता

राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मनमुटाव किसी से छिपा नहीं है. एक तरफ अशोक गहलोत सीएम पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं तो दूसरी तरफ सचिन पायलट भी पीछे नहीं हट रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण यह है कि पायटल बिना कांग्रेस की सहमति के राज्य में जन संघर्ष यात्रा निकाल चुके हैं, जिसका नुकसान आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को हो सकता है. अगर छत्तीसगढ़ पर एक नजर डालें तो यहां पर भी कांग्रेस को भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव में गुटबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. इन तीनों राज्यों से सबक लेते हुए कांग्रेस को कर्नाटक में उचित कदम उठाना पड़ेगा.