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इसे कहते हैं 'हलाल' और ये होता है 'झटका' मीट, हिंदू-सिख के लिए ये नॉनवेज डिश है मना

दिल्ली नगर निगम ने एक प्रस्ताव पारित करने की तैयारी की है, जिसमें अब होटलों और रेस्त्रां को लिखना होगा कि उनका नॉनवेज डिश 'हलाल' या 'झटका' है.

Updated on: 26 Dec 2020, 03:34 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली नगर निगम ने एक प्रस्ताव पारित करने की तैयारी की है, जिसमें अब होटलों और रेस्त्रां को लिखना होगा कि उनका नॉनवेज डिश 'हलाल' या 'झटका' है. फिलहाल दक्षिण दिल्ली नगर निगम के क्षेत्राधिकार वाले इलाके में यह अनिवार्य होने जा रहा है. इन इलाकों में होटलों और रेस्त्रां को पोस्टर लगाकर बताना होगा कि उनके यहां परोसे जाना वाला मीट हलाल (Halal) है या झटका (Jhatka). लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'हलाल' और 'झटका' मीट में क्या अंतर होता है. नहीं पता तो चलिए हम आपको बताते हैं कि कि इन दोनों नॉनवेज डिश में क्या अंतर होता है. 

'हलाल' (Halal) मीट में जानवर को तड़पा कर काटा जाता है

हलाल (Halal) की तकनीक विशिष्ट समुदाय (मुस्लिम) के निपुण लोग करते हैं. इसमें जानवर के शरीर से खून का अंतिम कतरा निकलने तक उसका जिंदा रहना जरूरी होता है. यह ‘झटका’ की तुलना में काफी दर्दनाक है. हलाल विधि में जानवर की गर्दन को थोड़ा सा काटकर एक टब में छोड़ देते हैं. ऐसा करने से जानवर की धीरे-धीरे खून बहने से तड़प-तड़प कर मौत हो जाती है. मुस्लिमों में हलाल विधि से काटे गए जानवरों को खासकर खाया जाता है.

झटका (Jhatka) मीट में जानवर को पहले मारकर फिर काटा जाता है

वहीं झटका (Jhatka) विधि में जानवर की रीढ़ पर प्रहार किया जाता है, जिसमें उसकी तुरंत मौत हो जाती है. कहा यह भी जाता है कि झटका विधि में जानवर को काटने से पहले शॉक देकर उसके दिमाग को सुन्न किया जाता है, ताकि वो ज्यादा संघर्ष न करे. उसके अचेत होने पर झटके से धारदार हथियार से उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया जाता है. मांसाहार करने वाले हिंदू और सिख समुदाय के लोग 'झटका' मीट खाते हैं.

एसडीएमसी की स्थायी समिति ने प्रस्ताव को मंजूरी दी

दरअसल, बीजेपी के नेतृत्व वाली दक्षिण दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है, जिसमें रेस्तरां या दुकानों से इसका अनिवार्य प्रदर्शन करने के लिए कहा गया है कि क्या उनके द्वारा बेचा या परोसा जा रहा मांस 'हलाल' या 'झटका' विधि का उपयोग करके काटा गया है. हालांकि इस प्रस्ताव को अब एसडीएमसी के सदन में पारित किया जाना बाकी है जिसमें बीजेपी का नियंत्रण है.

एसडीएमसी के पैनल द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया, 'दक्षिण दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले चार जोन के 104 वार्डों में हजारों रेस्तरां हैं. इनमें से लगभग 90 प्रतिशत रेस्तरां में मांस परोसा जाता है, लेकिन उसमें इसके बारे में नहीं बताया जाता है कि रेस्तरां द्वारा परोसा जा रहा मांस 'हलाल' विधि से काटा गया है या 'झटका' विधि से.' इसी तरह मांस की दुकानों में भी यह नहीं बताया जाता है.

हिंदू धर्म और सिख धर्म के अनुसार, 'हलाल' मांस खाना मना

प्रस्ताव में आगे कहा गया है, 'हिंदू धर्म और सिख धर्म के अनुसार, 'हलाल' मांस खाना मना है और धर्म के खिलाफ है. इसलिए, समिति इस संबंध में प्रस्ताव पारित करती है कि रेस्तरां और मांस की दुकानों को यह निर्देश दिया जाए कि वे उनके द्वारा बेचे जाने और परोसे जाने वाले मांस के बारे में अनिवार्य रूप से लिखें कि यहां 'हलाल' या 'झटका' मांस उपलब्ध है.' स्थायी समिति के अध्यक्ष राजदत्त गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि इस प्रस्ताव को सदन द्वारा मंजूरी मिलने के बाद, रेस्तरां और मांस की दुकानों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना होगा कि क्या उनके द्वारा बेचे जा रहे मांस 'हलाल या झटका' विधि का उपयोग करके काटे गए हैं.