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इंडियन नेवी की शान रहे INS विराट को यूं ही 'विराट' नहीं कहा जाता

भारत के पास 2024 तक 2 एयरक्राफ्ट केरियर हो जाएंगे, जो देश की समुद्री रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. जल्द नए विराट का काम भी शुरू हो जाएगा.

Updated on: 01 Oct 2020, 09:54 AM

highlights

  • दुनिया के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट INS विराट ने कहा अलविदा
  • हिंदुस्तान की समुद्री सुरक्षा पर 30 साल तक तैनात रहा
  • 30 साल में करीब 11 लाख किमी समुद्री यात्रा की
  • गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज है INS विराट का कारनामा
  • नए रूप में आईएनएस विराट दोबारा जन्म लेगा

नई दिल्ली:

देश की आन-बान और शान रहा एयरक्राफ्ट करियर विराट, जो हिंदुस्तान की समुद्री सुरक्षा पर 30 साल तक तैनात रहा. जिसकी ताकत ने हिंदुस्तान की ताकत को दोगुना कर दिया है. एक ऐसा युद्धपोत जिसने कारगिल लड़ाई से लेकर कई देशों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि जरा सी टेढ़ी निगाहें दुश्मनों को चुटकियों में ध्वस्त करने की कूबत रखती है. जिस पर भारत के बेहतरीन तकनीक से लैस लड़ाकू विमान से लेकर लड़ाई के साजो सामान बड़ी संख्या में रखे जाते रहे. अब अपनी 70 साल की सर्विस के बाद उसे रिसाइकिल करने के लिए गुजरात के भावनगर में स्थित दुनिया के सबसे बड़े शिप ग्रेवियार्ड लाया गया और विदा कर दिया गया. इस बात के साथ कि नए विराट का जन्म जल्द होगा.

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गुजरात के अलंग के लिए 28 सितंबर का दिन काफी भावनात्मक और हमेशा के लिए यादगार बन गया. हालांकि भारतीय नौसेना ने तीन साल पहले इस युद्धपोत को सेवानिवृत्त कर दिया था. सेंटॉर-श्रेणी के इस विमानवाहक पोत ने करीब 30 साल तक भारतीय नौसेना में अपनी सेवाएं दीं. इसके नाम सबसे अधिक सेवा देने वाले युद्धपोत का गिनीज बुक में रिकॉर्ड है. मगर 28 सितंबर को इस एयरक्राफ्ट की विदाई हुई और इस विदाई का गवाह न्यूज़ नेशन भी बना. आज हम आपको बताएंगे विराट को विराट क्यों कहा जाता है. एक बार जो विराट का हुआ, वो हमेशा विराटी हो जाता है.

आईएनएस विराट को 'विराट' क्यों कहा जाता है?

  • आईएनएस विराट को 1959 में ब्रिटिश नौसेना में शामिल किया गया था. तब इसका नाम एचएमएस हर्मिस था.
  • विराट को ब्रिटिश रॉयल नेवी ने इसके बनने के बाद 1959 को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था और 1984 तक करीब 25 साल ये रॉयल नेवी के पास रहा.
  • 1984 में इसे सेवानिवृत्त कर दिया गया. बाद में इसे भारत को बेचा गया.
  • भारतीय नौसेना में आईएनएस विराट को 12 मई 1987 में शामिल किया गया और 2017 तक 30 साल की लंबी सर्विस के बाद रिटायर कर दिया गया.
  • 226 मीटर लंबे एयरक्राफ्ट विराट में करीब 33 लड़ाकू विमानों को रखने की सुविधा थी.
  • भारत में कमीशंड हुआ एयरक्राफ्ट करियर विराट 1987 में भारत की बड़ी ताकत बना.
  • 1987 से लेकर 2017 तक 30 साल में विराट ने करीब 11 लाख किलोमीटर की समुद्री यात्रा की है, जो धरती के 27 चक्कर लगाने के बराबर है.
  • आईएनएस विराट पहला ऐसा वॉरशिप है, जिसे इतना बूढ़ा होने के बाद भी इस्तेमाल किया जा रहा था.
  • भारत के पास अब एक आईएनएस विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट करियर मौजूद है, विराट का नया वर्जन भी जल्द बनना शुरू होगा.
  • आईएनएस विराट कई महत्वपूर्ण अभियानों में शामिल रहा. इनमें 'ऑपरेशन ज्यूपिटर' और 1989 में श्रीलंका में शांति बरकरार रखने का अभियान शामिल है.
  • इसके अलावा 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद यह 'ऑपरेशन पराक्रम' में भी शामिल रहा.

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इस जहाज को 2012 में सेवानिवृत्त किया जाना था, लेकिन आईएनएस विक्रमादित्य के आने में देरी की वजह से इसे टालना पड़ा. आईएनएस विक्रमादित्य को 2014 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. अंतत: आईएनएस विराट को छह मार्च, 2017 को सेवानिवृत्त किया गया. भारत के पास 2024 तक 2 एयरक्राफ्ट करियर हो जाएंगे, जो देश की समुद्री रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. जल्द नए विराट का काम भी शुरू हो जाएगा. न्यूज़ नेशन से बातचीत में केंद्रीय शिपिंग मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि नए विराट बनाने पर भी जल्द काम शुरू हो जाएगा.

गौरतलब है कि दुनिया का सबसे बड़ा शिपिंग ग्रेवियार्ड अलंग भावनगर गुजरात में मौजूद है, जहां विराट पहुंचा. चीन की नजरें भी इस शिपिंग ग्रेवियर्ड पर रहती हैं. टग बोट से लेकर तमाम तकनीकी सामानों पर चीनी बोलबाला था, लेकिन अब नहीं. शिपिंग इंडस्ट्री पर मेक इन इंडिया का कब्ज़ा हो चुका है. टग बोट से लेकर बड़ी तकनीक भारत में बनने लगी है, जिससे चीन को अपना कारोबार यहां से समेटना पड़ा है. अरब सागर पर भारत काफी मजबूत हो चुका है और आईएनएस विराट इसका हमेशा से गवाह रहा है. 

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एमएसटीसी लिमिटेड द्वारा की गई एक नीलामी में इस जहाज को गुजरात के श्रीराम ग्रीन शिप रिसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा 38.50 करोड़ रुपये में खरीदा गया. अब इसे रिसाइकिल किया जाएगा, जिसमें 1 साल तक का वक़्त लगेगा. आईएनएस विराट खरीदने वाले मुकेश पटेल ने कहा कि विराट को अलविदा कह दिया गया है. नए रूप में आईएनएस विराट दोबारा जन्म लेगा.