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Independence Day 2020: आजादी की रात पंडित नेहरू का ऐतिहासिक भाषण, पढ़ें पूरा अंश यहां

भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. आजादी की रात यानि 14 अगस्त की रात 12 बजे के बाद पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण दिया था. इस स्वतंत्रता दिवस पर आप भी उनके भाषण का पूरा अंश पढ़ें.

Updated on: 14 Aug 2020, 05:52 PM

नई दिल्ली:

भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. आजादी की रात यानि 14 अगस्त की रात 12 बजे के बाद पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण दिया था. इस स्वतंत्रता दिवस पर आप भी उनके भाषण का पूरा अंश पढ़ें. इस भाषण का शीर्षक था- 'ट्रिस्ट विद डेस्टनी' यानी 'भाग्य के साथ वादा'. इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना. नेहरू का यह भाषण 20वीं सदी के 11 महानतम भाषणों में शामिल माना जाता है.

भारत जाग रहा है और स्वतंत्र है

वर्षों पहले, हमने नियति को मिलने का एक वचन दिया था और अब समय आ गया है कि हम अपने वचन को निभाएं, पूरी तरह न सही पर बहुत हद तक तो निभाएं. आधी रात को जब पूरी दुनिया सो रही है, भारत जीवन और स्वतंत्रता की नई सुबह के साथ उठेगा. एक ऐसा क्षण जो इतिहास में एक बार ही आता है. आज हम दुर्भाग्य के एक युग का अंत कर रहे हैं और भारत फिर से खुद को खोज पाने के लिए आजाद है. आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वो महज एक कदम है, नए अवसरों के खुलने का. इससे भी बड़ी जीत और उपलब्धियां हमारा इंतजार कर रही हैं. आज एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत जाग रहा है और स्वतंत्र है.

ये समय आराम करने या चैन से बैठने का नहीं है

ये समय आराम करने या चैन से बैठने का नहीं है, बल्कि लगातार प्रयास करने का है. भारत की सेवा का मतलब लाखों पीड़ित लोगों की सेवा करना है. मतलब गरीबी, अज्ञानता, बीमारी और अवसर की असमानता को समाप्त करना होगा. हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की महत्वाकांक्षा है कि हर आंख से एक-एक आंसू पोंछे जाएं. हो सकता है ये काम कठिन हो ये भी संभव है कि ये असंभव हो लेकिन हमें प्रतिज्ञा लेनी होगी कि जब तक पीड़ितों के आँसू खत्म नहीं हो जाते, तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा.

कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या काम संकीर्ण रहेगा

भविष्य हमें बुला रहा है. हमें किधर जाना चाहिए और हमें क्या करना चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और कामगारों के लिए आजादी और अवसर ला सकें, हम गरीबी, हम एक समृद्ध, लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश बना सकें. हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं को बना सकें जो हर आदमी-औरत के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके. कोई भी देश तब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या काम संकीर्ण रहेगा.