जानें अपने अधिकार: कैदियों को है फ्री कानूनी सहायता और मैलिक अभिव्यक्ति का हक़
संविधान के अनुच्छेद-22 के तहत अदालत की ड्यूटी है कि जब भी कोई आरोपी अदालत में पेश हो तो कोर्ट उससे पूछे कि क्या उसे वकील चाहिए?
नई दिल्ली:
जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के अधिकारों को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा होती रही है। जब किसी शख्स पर कोई आरोप लगता है तो वह केवल आरोपी होता है।
किसी भी आरोपी का यह संवैधानिक अधिकार है कि अदालत में सुनवाई के दौरान उसे अपने बचाव का मौका मिले।
संविधान के अनुच्छेद-22 के तहत अदालत की ड्यूटी है कि जब भी कोई आरोपी अदालत में पेश हो तो कोर्ट उससे पूछे कि क्या उसे वकील चाहिए? इसके बाद अदालत आरोपी को सरकारी खर्चे पर वकील मुहैया कराती है। ऐसे वकील को एमिकस क्युरी कहते हैं।
हमारे देश के संविधान में भी कैदियों को अनुच्छेद 14, 19 और 21 के मुताबिक मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।
कैदियों को जेल के अंदर अपने मौलिक अधिकारों के हितों की रक्षा करने के लिए स्वास्थ्य, मनोरंजन, अभिव्यक्ति, फ्री कानूनी सहायता (सक्षम नहीं होने पर), केस के जल्दी निपटारा, जमानत जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं दी गई हैं।
बता दें कि संविधान के अनुच्छेध 10(1) में कहा गया है कि 'सभी व्यक्तियों को, जिनसे उनकी स्वतंत्रता का अधिकार ले लिया गया हो, उनके आदर और मानवता की भावना से पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।'
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कैदियों को दी जाने वाली सुविधाएं
- अपने परिजनों से मिलने और पत्र व्यवहार का अधिकार
- अपने कानूनी सलाहकार या वकील से बात करने या सलाह लेने का अधिकार
- रेडिया, संगीत, टेलीविजन जैसी मनोरंजन की सुविधाओं का अधिकार
- घर में महत्वपूर्ण घटनाओं में भाग लेने का अधिकार
- सांस्कृतिक शिक्षा पाने का अधिकार
शिकायत निवारण के उपाय
प्रत्येक बंदी गृह में एक शिकायत पेटी लगाई जाती है। इसमें कैदी हो रही समस्याओं की लिखित में शिकायत कर सकते हैं। इसकी फाइल सेशन जज या एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज बनाते हैं और शिकायतों को दूर करते हैं।
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कैदियों को मतदान का अधिकार
जेल में बंद कैदी अपने मतदान के अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है। इसके लिए वह पत्र व्यवहार के जरिए अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट दे सकता है।
वेतन और मजदूरी का अधिकार
संविधान में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि कैदियों को उनके काम के एवज में जेल के अंदर न्यूनतम मजदूरी दी जाएगी। यह बेरोजगारी से सुरक्षा के अधिकार के तहत आता है।
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