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हिंदी दिवस पर खास पेशकस जानें क्या वजह है हिंदी के पीछे रहने की

हिंदी दिवस पर खास पेशकस जानें क्या वजह है हिंदी के पीछे रहने की

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Vaishnavi Dwivedi
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RESIZE HINDI

Hindi Diwas( Photo Credit : NewsNation)

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देश प्रति वर्ष साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है.  चौथे नम्बर में हिंदी दुनिया सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. देश विकास तो लगातार हो रहा है पर कभी ऐसा लगता है कुछ है जो पीछे ही रह गया है .सब कुछ का ज्ञान होने के बाद भी ऐसा लगता है कि हम अज्ञानी है .हिन्दी सबसे ज्यादा बोलने वाली भाषाओं में रहकर भी काफी ज्यादा पीछे रह गई है.  आज हिन्दी भाषा बैसाखियों के सहारे चल रही है. वजह क्या है इसकी सभी को पता है. लेकिन इनके सुधार करने के लिए कोई भी नहीं आना चाहता है. इतिहास गवाह है कि इसके सुधार के लिए काफी ज्यादा प्रयास किये गये है . हिन्दी भाषा को 14 सितम्बर 1949 के दिन मातृभाषा के रूप में चुना गया था .जिस वजह से प्रति वर्ष  14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है..  आज भी कुछ लोग ऐसे है जो केवल हिंदी भाषा को ही महत्व देते है . साथ ही देश में  हिंदी भाषा को बढ़ाने के लिए कई प्रयास किये जा रहें है..आखिर कार ऐसी क्या  वजह है जो हमारी हिंदी इतने पीछे रह गए है . जब तक हम अपने देश की धरोहर का सम्मान नही करेंगे तो उसे आगे कैसे बढ़ा पाएंगे . यहां बात इसके झूठे प्रचार प्रसार के लिए नही की जा रही बस बात इतनी सी है हम क्यों अपनी  मातृभाषा पीछे छोड़ते चले आ रहें है. क्यों हम बातो से हटकर कुछ सच प्रयास कर रहें . अगर देश का प्रत्येक नागरिग प्रयास करे तो  आज इन सब बातों की जरूरत ही ना पड़े  इसलिए हम सबको आगे आकर अपनी मातृभाषा को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए.

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 जैसे सभी देश अपनी मातृभाषा को महत्व देतें है वैसै ही हमें भी अपनी  मातृभाषा को आगे बढ़ाना चाहिए, इसके साथ ही  हम आपको अटल बिहारी बाजपेयी की एक मशहूर कविता पर प्रकाश डालना चाहेंगे जिसे पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे कि उन्हें हिंदी में महारथ किस  कदर हासिल थी तो चलिए हम आपको यह कविता सुनाते है .............

स्वप्न हुआ साकार;

राष्ट्र संघ के मंच से,

हिन्दी का जयकार;

हिन्दी का जयकार,

हिन्दी हिन्दी में बोला;

देख स्वभाषा-प्रेम,

विश्व अचरज से डोला;

कह कैदी कविराय,

मेम की माया टूटी;

भारत माता धन्य,

स्नेह की सरिता फूटी

Source : News Nation Bureau

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