ISI के संपर्क में थे नवलखा, सरकार के खिलाफ की धड़ेबंदी

गौतम नवलखा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के संपर्क में थे और उन्हें सरकार के खिलाफ बुद्धिजीवियों को एकजुट करने का काम सौंपा गया था.

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Nihar Saxena
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Gautam Navlakha

गौतम नवलखा के आईएसआई थे संबंध.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के संपर्क में थे और उन्हें सरकार के खिलाफ बुद्धिजीवियों को एकजुट करने का काम सौंपा गया था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भीमा कोरेगांव एल्गर परिषद मामले में अपने पूरक आरोप पत्र (चार्जशीट) में यह दावा किया है. एनआईए ने यह भी दावा किया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू नक्सली क्षेत्रों में विदेशी मीडिया की यात्राओं के आयोजन में सहायक थे और उन्हें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (आरडीएफ) के कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

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एनआईए ने आठ आरोपियों - नवलखा, बाबू, आनंद तेलतुम्बडे, सागर गोरखे, रमेश गाइचोर, ज्योति जगताप, मिलिंद तेलतुम्बडे और स्टेन स्वामी के खिलाफ मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत में पूरक आरोप पत्र दायर किया. इन आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के साथ ही भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. भीमा कोरेगांव मामले में नवलखा की भूमिका और भागीदारी को उजागर करते हुए, एनआईए ने अपने आरोप पत्र में दावा किया कि जांच के दौरान यह पाया गया कि उसके सीपीआई (माओवादी) कैडरों के बीच गुप्त संचार हुआ था.

एनआईए ने कहा, 'नवलखा को सरकार के खिलाफ बुद्धिजीवियों को एकजुट करने का काम सौंपा गया था. वह कुछ तथ्य-खोज समितियों का हिस्सा थे और उन्हें सीपीआई (माओवादी) की गुरिल्ला गतिविधियों के लिए कैडर भर्ती करने का काम सौंपा गया था.' एजेंसी ने कहा, 'इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ भी उनके संबंध सामने आए हैं.' एनआईए ने यह भी कहा कि बाबू सीपीआई (माओवादी) क्षेत्रों में विदेशी पत्रकारों की यात्राओं के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था और उसे रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (आरडीएफ) के वर्तमान और भविष्य के कार्य सौंपे गए थे.

बाबू प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, मणिपुर की कुंगलपाक कंगलेपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) के संपर्क में था और दोषी अभियुक्त जी. एन. साईबा सीपीआई (माओवादी) के निर्देशों पर चल रहा था और उसी के लिए धन जुटा रहा था. एनआईए ने इस साल 28 जुलाई को बाबू को नोएडा स्थित उसके आवास से गिरफ्तार किया था, जबकि नवलखा को 14 अप्रैल को आनंद तेलतुम्बडे के साथ गिरफ्तार किया गया था. स्वामी की भूमिका का हवाला देते हुए, जिसे रांची से गिरफ्तार किया गया था और मुंबई में एक अदालत के समक्ष पेश किया गया था, एनआईए ने कहा कि वह एक सीपीआई (माओवादी) कैडर है और उसकी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है.

आरोप पत्र में कहा गया है कि स्वामी अन्य सीपीआई (माओवादी) कैडरों के साथ संचार में थे. एनआईए ने यह भी आरोप लगाया कि स्वामी ने अपनी गतिविधियों के लिए अन्य माओवादी कैडरों से धन प्राप्त किया. राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि वह सीपीआई (माओवादी) के फ्रंटल संगठन पीपीएससी का संयोजक है. एजेंसी ने कहा, 'भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए संचार से संबंधित दस्तावेजों और प्रचार सामग्री को जब्त कर लिया गया है.'

आरोपपत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि आनंद तेलतुम्बडे, नवलखा, बाबू, गोरखे, गाइचोर, जगताप और स्वामी ने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर भाकपा (माओवादी) की विचारधारा को आगे बढ़ाया और कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति असहमति पैदा करते हुए विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति और समुदाय को लेकर दुश्मनी को बढ़ावा दिया. एनआईए ने आरोप पत्र में दावा किया, 'फरार आरोपी मिलिंद ने अन्य आरोपी व्यक्तियों को हथियार प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए.' इस मामले में एनआईए ने इस साल 24 जनवरी को मामला दर्ज किया था.

मालूम हो कि पुणे के पास भीमा कोरेगांव में एक युद्ध स्मारक के पास एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गई थी. इसके एक दिन पहले ही पुणे शहर में हुए एल्गार परिषद सम्मेलन के दौरान कथित तौर पर उकसाने वाले भाषण दिए गए थे. पुणे पुलिस ने इस मामले में क्रमश: 15 नवंबर, 2018 और 21 फरवरी, 2019 को एक आरोप पत्र और एक पूरक आरोप पत्र दायर किया था. एनआईए ने सात सितंबर को गोरखे और गाइचोर को गिरफ्तार किया था.

Source : IANS/News Nation Bureau

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