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Dussehra:खलनायक नहीं, कई मायनों में नायक भी था रावण

Dussehra यानि बुराई का अंत. आज के दिन भगवान राम ने रावण का वध करके विजय प्राप्त की थी. इतिहास में रावण को केवल बुरा आदमी बताकर पेश किया गया है.

Updated on: 15 Oct 2021, 05:12 PM

highlights

  • जानें रावण की कुछ अनसुलझी कहानियां 
  • पैदा होने के बाद बहुत तेज रोने के चलते रखा गया था नाम रावण 
  • राम से पहले भी तीन लोगों से हार चुका था रावण 

नई दिल्ली :

Dussehra यानि बुराई का अंत. आज के दिन भगवान राम ने रावण का वध करके विजय प्राप्त की थी. इतिहास में रावण को केवल बुरा आदमी बताकर पेश किया गया है. उसका मूल स्वभाव भी राक्षसों वाला ही था. लेकिन क्या आपको पता है कि रावण कई मायनों में अच्छा आदमी भी था. उसने कई अच्छे काम भी किये जिन्हे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. हैरत करने वाली बात ये भी है कि रावण के कई अच्छे सपने भी थे. हालाकि मूल रूप से रावण बुरा व्यक्ति ही था. इसलिए दशहरा के दिन भगवान राम ने उसका अंत कर दिया. आइये जानते हैं रावण से जुड़ी कुछ बातें..

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देवताओं से लड़ने के लिए हुआ था पैदा 
विश्रवा व कैकसी के चार संताने थी. जिसमें रावण सबसे बड़े थे. रावण के अलावा कुंभकरण, विभिषण और उनकी बहन शूपर्नखा.. जानकारी के मुताबिक जब देवता दानवों को हरा चुके थे. तब रावण का जन्म हुआ था. इसके बाद रावण ने देवताओं को काफी परेशान किया.

क्यों पड़ा नाम रावण?
पोराणिक कथाओं में दिखाया गया है कि रावण जब पैदा हुआ था तो बहुत तेज रोया था. उसके रोने की आवाज से तीनों लोक कांप गए थे. जिसके बाद उसका नाम रावण रखा गया. हालाकि रावण नाम के पीछे अन्य कई कारण भी बताए जाते हैं.

वेदों का प्रकांड पंडित 
रावण बहुत ही बुद्दीमान पंडित थे. इसके अलावा वह पूजा पाठी भी बहुत थे. इसी के फलस्वरुप उसे भगवान ब्रह्मा ने दस सरों से नवाजा था. जिसके चलते उनका नाम दशानन भी पड़ गया था.

महा अहंकारी 
रावण प्रकांड पंडित होने के साथ महा अहंकारी भी था. वह अपने से ब़ड़ा किसी को नहीं मानता था. रावण भगवान शिव का बहुत ब़ड़ा भक्त था. उन्होने भगवान शिव के कई मंत्रों की रचना भी की. रावण संहिता में इसका उल्लेख भी है.

सौतेले भाई से छीन ली लंका 
दरअसल, सोने की लंका रावण की नहीं थी. बल्कि उसके सौतेले भाई कुबेर की थी. इसके अलावा पुष्पक विमान भी कुबेर का ही था. लेकिन अपने बल के चलते रावण ने इसे छीन लिया था.