दिल्ली को मिलेगा पहला सबसे बड़ा स्मॉग टॉवर, ऐसे करेगा हवा शुद्ध और बचाएगा प्रदूषण से
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highlights
- 22 करोड़ की लागत से बन रहा आनंद विहार में एंटी स्मॉग टॉवर
- 24 मीटर ऊंचाई वाला यह स्मॉग टॉवर है देश का सबसे ऊंचा
- एक से डेढ़ वर्ग किलोमीटर तक रख सकेगा हवा को शुद्ध
नई दिल्ली:
सर्दी के मौसम में राजधानी दिल्ली को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए देश का 24 मीटर ऊंचाई का सबसे बड़ा एंटी स्मॉग टॉवर (Smog Tower) आनंद विहार (Anand Vihar) बस अड्डा परिसर में आकार ले रहा है. करीब 22 करोड़ की लागत से बन रहे इस स्मॉग टॉवर की क्षमता का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि यह एक किलोमीटर की परिधि में 90 फीसदी तक हवा को स्वच्छ करेगा. पर्यावरण पर इसके असर को आम लोग वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के रूप में डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड पर देख सकेंगे. टॉवर के ऊपर एक घड़ी भी लगेगी, जिसकी वजह से दूर से यह घंटाघर की तरह दिखेगा. इसे स्वतंत्रता दिवस की 75वीं सालगरिह पर शुरू करने की योजना है. यह अपने तय समय में आराम से बनकर तैयार हो जाता, लेकिन कोरोना लॉकडाउन की वजह से इसमें अड़चन आ गई. ऐसे में इसे बनाने वालों पर इसके निर्माण को लेकर खासा दबाव है.
अमेरिकी डिजाइन के अनुरूप है स्मॉग टॉवर
विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरह के एंटी स्मॉग टॉवर अमेरिका में बने हैं. मिनेसोटा विश्वविद्यालय से इस टॉवर को बनाने का डिजाइन लिया गया है. उनके डिजाइन को भारतीय परिस्थिति के अनुसार तब्दील कर इस टॉवर को बनाया गया है. डिजाइन के लिए मिनेसोटा विश्वविद्यालय को रॉयल्टी अदा की गई है. 15 अगस्त तक स्मॉग टॉवर का काम पूरा हो जाएगा. फिर विशेषज्ञ इसका अध्ययन करेंगे और उपयुक्त परिणाम आने पर दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर इस प्रकार के और स्मॉग टॉवर लगाए जाएंगे. मकसद यही है कि दिल्ली को लोगों को शुद्ध हवा देना.
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ऐसे काम करता है एंटी स्मॉग टॉवर
आनंद विहार में बन रहे एंटी स्मॉग टॉवर में नीचे 1.40 मीटर व्यास के चारों तरफ 10-10 पंखे यानी कुल 40 पंखे लगाए गए हैं. ये पंखे टॉवर के ऊपरी हिस्से से प्रति सेकंड 960 घन मीटर दूषित हवा खीचेंगे. ये पंखे 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगे और हवा को शुद्ध करके बाहर फेकेंगे. पंखों के आसपास नोवेल ज्योमेट्री फिल्टरेशन सिस्टम (एनजीएफएस) से दो तरह के दस हजार फिल्टर लगेंगे. दूषित हवा उनसे छनने के बाद शुद्ध होकर टॉवर के निचले हिस्से से बाहर जाएगी. दावा है कि प्रति सेकंड करीब 864 घन मीटर स्वच्छ हवा टॉवर से बाहर निकलेगी. यह भी बताया गया कि आनंद विहार बस अड्डे के आसपास सर्दियों में पीएम 2.5 का स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक रहता है. इस टॉवर की मदद से पीएम 2.5 का स्तर को 60 फीसद तक कम होगा.
1 से डेढ़ वर्ग किमी तक करेगा असर
विशेषज्ञों की मुताबिक इस तरह का स्मॉग टॉवर चीन में भी लगाया गया है, लेकिन दिल्ली में लगाए जा रहे टॉवर की तकनीक में अंतर है. चीन के टॉवर में नीचे से हवा खींचकर ऊपर छोड़ी जाती है, जबकि यहां पर लगाए जा रहे स्मॉग टॉवर ऊपर से प्रदूषित हवा को खींचकर नीचे छोड़ी जाएगाी. इसके पंखे वायु को शुद्ध कर दस मीटर की ऊंचाई पर छोड़ेंगे. अनुमान है कि एक वर्ग किलोमीटर तक इसका प्रभाव रहेगा. एक्सपर्ट का कहना है कि स्मॉग टॉवर की तेज हवा की रफ्तार की जद में पेड़ भी आएंगे. इसके आसपास सड़क बनेगी और पानी निकालने के लिए ड्रेन भी बनाई जाएगी.
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दिल्ली और फिर देश में लगेंगे ऐसे ही स्मॉग टॉवर
आनंद विहार वाले एंटी स्मॉग टॉवर को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बनाया गया है. साल भर तक केवल इसकी दक्षता जांची जाएगी. टॉवर में जगह-जगह सेंसर लगाए जाएंगे, जिनकी मदद से सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन (स्काडा) तकनीक के माध्यम से सामान्य, गर्मी, सर्दी, आर्द्रता और बारिश के मौसम में एंटी स्मॉग टॉवर के प्रदर्शन पर नजर रखेगा. सबकुछ निर्धारित लक्ष्य के अनुसार रहा तो इसे सफल मानते हुए देश के विभिन्न शहरों के प्रदूषित इलाकों में ऐसे टॉवर बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया जाएगा. कमी पाई गई तो उसे दूर किया जाएगा. दिल्ली के कनॉट प्लेस में भी ऐसा ही एक स्मॉग टावर बनाया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल चुकी है और अब जल्द इस पर भी काम शुरू कर दिया जाएगा. गौरतलब है कि दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर ने भी लाजपत नगर में एक प्रोटो टाइप एयर प्यूरीफायर लगवाया था. आनंद विहार और उसके बाद कनॉट प्लेस में बनने वाली एंटी स्मॉग टावर उसी का बड़ा रूप है, जिसका निर्माण डीपीसीसी के साथ आईआईटी मुंबई, एनबीसीसी और टाटा प्रोजेक्ट संयुक्त रूप से कर रहे हैं.
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