अब बच्चों से रेप करने वालों की खैर नहीं, लोसकभा में आपराधिक कानून (संशोधन) बिल 2018 पारित

संशोधित विधेयक के संसद में पारित होने के बाद यह 21 अप्रैल को जारी किए गए आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा।

संशोधित विधेयक के संसद में पारित होने के बाद यह 21 अप्रैल को जारी किए गए आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा।

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Deepak Kumar
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अब बच्चों से रेप करने वालों की खैर नहीं, लोसकभा में आपराधिक कानून (संशोधन) बिल 2018 पारित

रेप करने वालों की खैर नहीं (फाइल फोटो)

आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018 को आज (सोमवार) लोकसभा में पास हो गया। इसमें 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ बलात्कार के दोषियों को कड़ी सजा, यहां तक कि मृत्युदंड तक का प्रावधान है।

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संशोधित विधेयक के संसद में पारित होने के बाद यह 21 अप्रैल को जारी किए गए आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा। जम्मू - कश्मीर के कठुआ में एक बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या तथा उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक महिला के साथ बलात्कार की घटना के बाद संबंधित अध्यादेश लागू किया गया था।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्तावित विधेयक में बलात्कार के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा, विशेषकर 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले में दोषियों को मौत की सजा देने तक का भी प्रावधान है।

महिलाओं से बलात्कार के मामले में न्यूनतम सजा सात वर्ष के सश्रम कारावास से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दी गई है , जो उम्रकैद तक विस्तारित हो सकती है।

मसौदा विधेयक के अनुसार 16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले में न्यूनतम सजा को 10 वर्ष कैद से बढ़ाकर 20 वर्ष किया गया है, जो उम्रकैद तक विस्तारित हो सकती है। इसका मतलब है कि दोषी अंतिम सांस तक जेल में रहेगा।

इस संबंध में एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषी को अनिवार्य रूप से उम्रकैद की सजा होगी।

उन्होंने कहा, '12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले में दोषी को न्यूनतम 20 वर्ष की जेल हो सकती है, जो उम्रकैद या मौत की सजा में विस्तारित हो सकती है। 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में उम्रकैद या मौत की सजा का प्रावधान है।'

इसमें मुकदमा और जांच तेज गति से किए जाने का भी प्रावधान किया गया है। बलात्कार के सभी मामलों की जांच के लिए समयसीमा भी निर्धारित की गई है, जिसका दो महीने में पूरा होना अनिवार्य होगा।

बलात्कार के मामलों में मुकदमे को दो महीने में पूरा करना होगा। इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि बलात्कार के मामलों की अपील का निपटारा छह माह के भीतर करना होगा।

वहीं, 16 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं होगा।

16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले में जमानत संबंधी याचिका पर निर्णय लेने से पहले अदालत को लोक अभियोजक तथा पीड़िता के प्रतिनिधि को 15 दिन का नोटिस देना होगा।

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Source : News Nation Bureau

Lok Sabha monsoon-session Criminal Law Amendment Bill 2018
      
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