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कोरोना का डेल्टा वेरिएंट और खतरनाक, अब गैंगरीन बहरापन जैसे लक्षण

डेल्टा को बी.1.617.2 वेरिएंट के नाम से भी जाना जाता है. इसने पिछले छह महीने में करीब 60 देशों में अपना आतंक फैलाया था.

Updated on: 08 Jun 2021, 03:29 PM

highlights

  • डेल्टा को बी.1.617.2 वेरिएंट के नाम से भी जाना जाता है
  • गैंगरीन समेत पेट संबंधी बीमारियों को दे रहा न्योता
  • कोरोना की दूसरी लहर को घातक बनाने में योगदान

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Corona Virus) का डेल्टा वेरिएंट काफी खतरनाक होता जा रहा है. बहरापन, गंभीर उदरसंबंधी रोग, खून के थक्के जमकर उसका गैंगरीन में बदलना, जैसे लक्षण सामान्यतः कोविड (COVID-19) संक्रमितों में नहीं देखे गए थे. अब डॉक्टर भारत में इन बीमारियों को कथित डेल्टा वैरिएंट से जोड़ कर देख रहे हैं. इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में शुरुआती अध्ययन से पता चलता हैं कि इस प्रभावशाली स्ट्रेन की वजह से अस्पताल जाने का खतरा ज्यादा है. गौरतलब है कि डेल्टा को बी.1.617.2 वेरिएंट के नाम से भी जाना जाता है. इसने पिछले छह महीने में करीब 60 देशों में अपना आतंक फैलाया था. 

दूसरे वेरिएंट के मुकाबले काफी खतरनाक
विशेषज्ञों के मुताबिक इस वेरिएंट में दूसरे वेरिएंट की तुलना में संक्रमण की तीव्रता, वैक्सीन के असर को कम करना, जैसी तमाम वजहों से यह स्ट्रेन काफी खतरनाक हो चला है. एनडीटीवी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, चैन्नई के अपोलो अस्पताल के संक्रमण बीमारियों के फिजिशियन डॉ अब्दुल गफूर का कहना है कि बी.1.617 का नई लक्षणों से संबंध है या नहीं ये पता करने के लिए हमें और वैज्ञानिक शोध की ज़रूरत है. गफूर का कहना है कि महामारी की शुरूआती लहर की अपेक्षा इस बार डायरिया के कहीं ज्यादा मरीज देखने को मिल रहे हैं.

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वेरिएंट के नए रूप से सभी हतप्रभ
पिछले साल तक ऐसा लग रहा था कि वैज्ञानिक वायरस के बारे में जान गए हैं, लेकिन इस बार फिर इसने अपने नए रूप से सभी को चौंका दिया है. इस बार पेट में दर्द, उबकाई, उल्टी, भूख में कमी, बहरापन, जोड़ो में दर्द जैसे कई लक्षण कोविड-19 के मरीजों में देखने को मिल रहे हैं. बीटा और गामा वैरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पाए गए थे. यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के शोधार्थियों ने पिछले महीने एक शोध की जिसके मुताबिक उस दौरान इस में बहुत कम या ना के बराबर लक्षण देखने को मिले थे. यही नहीं डॉक्टर का कहना है कि इस बार कुछ मरीजों में माइक्रो थ्रोंबी और छोटे खून के थक्के देखने को मिल रहे हैं. यही आगे चलकर गैंगरीन में तब्दील हो जाता है.

खून के थक्के बने गंभीर परेशानी
भारत में पिछले साल के 1करोड़ 3 लाख के मुकाबले 2021 में कोविड-19 के अब तक 1 करोड़ 86 लाख मामले दर्ज किए गए. भारत सरकार की एक पैनल के हाल ही में हुए अध्ययन के मुताबिक भारत में दूसरी लहर के घातक होने के पीछे डेल्टा वैरिएंट था, ये स्ट्रेन यूके में पहली बार पाए गए अल्फा स्ट्रेन के मुकाबले 50 फीसद ज्यादा संक्रामक था. इस लहर में कोविड-19 में जो लक्षण और पेचीदगी देखने को मिली वो बहुत ज्यादा थी. यहां तक कि खून के थक्के जमने की दिक्कते जिन मरीजों में देखने को मिली उनमें पहले इस तरह के कोई लक्षण नहीं थे.

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पेट को भी पहुंचा रहा नुकसान
कुछ मामलों में ये भी देखने को मिला है कि उन नसों में खून के थक्के जमे जो आंत तक खून पहुंचाती है. इस वजह से कई मरीजों को पेट दर्द की शिकायत भी हो रही है. दिलचस्प बात ये है कि दूसरी लहर में हर मरीज में अलग लक्षण देखने को मिल रहे हैं. डेल्टा वैरिएंट ने भारत में अपना भयानक रूप दिखाना शुरू कर दिया है. वर्तमान में भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात इसका तेजी से फैलना है और इसका बच्चों पर भी असर देखने को मिल रहा है. इस बार पूरे परिवार में कोविड के लक्षण देखने को मिले जबकि पिछली बार ऐसा देखने को कम मिल रहा था. यही नहीं इस बार कोविड की वजह से पनपी म्यूकरमायकोसिस ने भी भारत को एक नए सिर दर्द दिया है.