कांग्रेस के चिंतन शिविर के साइड इफेक्ट, पार्टी में क्यों बढ़ रही अंदरूनी कलह

कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद से पार्टी के अंदर अंदुरुनी कलह तेज हो चुकी है. पार्टी में कई असंतुष्ट नेताओं ने अपनी आवाज उठानी शुरू कर  दी है.

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Mohit Saxena
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Congress Chintan Shivir( Photo Credit : file photo)

कांग्रेस के चिंतन शिविर (congress chintan shivir) के बाद से पार्टी के अंदर अंदुरुनी कलह तेज हो चुकी है. पार्टी में कई असंतुष्ट नेताओं ने अपनी आवाज उठानी शुरू कर  दी है. इसका सबसे ताजा उदाहरण पंजाब के कद्दावर नेता सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar)  का भाजपा (BJP) में शामिल होना है. सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़कर अपना अगला सफर भाजपा के साथ शुरू कर दिया है. हालांकि कांग्रेस में रहते  हुए, उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ने का ऐलान किया था. उनके भाजपा में शामिल होने के बाद से कांग्रेस (Congress) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इस घटनाक्रम के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी में मंथन के बजाय टकराहट क्यों बढ़ रही है. चिंतन शिविर में सोनिया गांधी और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पार्टी की मजबूती को लेकर कई सुझाव दिए. मगर इन हिदायतों का असर पार्टी कार्याकर्ताओं पर नहीं दिखाता है.  

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मजबूत पार्टी अध्यक्ष की कमी

कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी समस्या एक मजबूत पार्टी अध्यक्ष की कमी है. पार्टी में अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कई वरिष्ठ नेता लगातार मांग कर रहे हैं, मगर इसे अनसुना किया जा रहा है. जी 23 नेताओं ने कई बार इस मुद्दे को उठाने का प्रयास किया है. मगर कांग्रेस हाईकामन इसे अनसुना कर  रही हैं. हाल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पार्टी को संवारने के लिए कई सुझाव दिए थे. इसे लेकर एक अहम बैठक भी की. इसका एक प्रेजेंटेशन भी तैयार किया. मीडिया से बातचीत में प्रशांत ने बताया ​कि पार्टी उनसे कुछ खास मुद्दों सहमत थी और अमल में लाने की जिम्मेदारी दे रही थी. मगर पार्टी की कानूनी व्यवस्था में उन्हें जगह नहीं देना चाहती थी. ऐसे में उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर लिया.    

सबसे बड़ी जातिवादी पार्टी कांग्रेस  

कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले हार्दिक पटेल ने हाल में पार्टी के हाईकमान पर निशाना साधा था. कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद हार्दिक पटेल पहली बार मीडिया के सामने आए. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधा. गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सबसे बड़ी जातिवादी पार्टी है. उन्होंने कहा, यहां कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सिर्फ पेपर पर दी जाती है. हार्दिक पटेल ने कहा, मैं दो साल तक गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष रहा, मगर मुझे कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई. 

हार्दिक पटेल ने कहा, राहुल गांधी जब भी गुजरात आते हैं. वे राज्य के एक भी मुद्दे पर बात तक नहीं करते हैं. उनका कहना है कि राहुल गांधी जब यहां आते हैं, तब कांग्रेस के नेताओं में चर्चा रहती है ​कि कौन सा चिकन सैंडविच देना है या कौन सी डाइट कोक देनी होगी. बस इसकी चर्चा होती है. उन्होंने कहा, कांग्रेस में जातिवादी राजनीति के अलावा कुछ नहीं होता.

अंदरूनी कलह भी जगजाहिर

भाजपा के प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा है कि उदयपुर में आयोजित कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद से इसके साइड इफेक्ट भी शुरू हो गए हैं. इस शिविर के बाद कांग्रेस नेताओं की अंदरूनी कलह भी जगजाहिर हो गई है. जिस तरह से सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इस्तीफा दिया. वहीं, राजस्थान में भी कांग्रेस के कई विधायक असंतुष्ट हैं. 

सांगोद विधायक भरत सिंह पहले ही सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कई सवाल खड़े कर चुके हैं. उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि चिंतन शिविर में प्रदेश में हो रहे भ्रष्टाचार पर भी चिंतन की आवश्यकता है.  रामलाल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की कार्यशैली से खफा होकर यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने भी इस्तीफे की पेशकश कर दी है.

 

HIGHLIGHTS

  • सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़कर अपना अगला सफर भाजपा के साथ शुरू कर दिया है
  • कांग्रेस नेताओं की अंदरूनी कलह भी जगजाहिर हो गई है
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