भवानीपुर में जीत के बाद ममता की नजर अब दिल्ली पर, बनाया ये प्लान
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में अपना परचम लहरा दिया है. इस सीट से ममता बनर्जी ने रिकॉर्ड 58,832 मतों से बीजेपी प्रत्याशी प्रियंका टिबरेवाल को हरा दिया है.
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में अपना परचम लहरा दिया है. इस सीट से ममता बनर्जी ने रिकॉर्ड 58,832 मतों से बीजेपी प्रत्याशी प्रियंका टिबरेवाल को हरा दिया है. हालांकि, इससे पहले इस विधानसभा सीट से ममता दो बार जीत दर्ज कर चुकी हैं, लेकिन मतों के अंतर के लिहाज से यह उनकी सबसे बड़ी जीत है. भवानीपुर में शानदार जीत के बाद अब सीएम ममता बनर्जी की नजर दिल्ली पर है. इसे लेकर ममता ने अपना प्लान तैयार कर लिया है.
2024 के लिए ममता का प्लान
- पश्चिम बंगाल में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की शानदार जीत से उत्साहित है.
- तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए हाल में ही विपक्षी एकता का आह्वान किया था.
- तृणमूल प्रमुख, जो अपने करियर के सबसे कठिन चुनावों में से एक को जीतने के बाद सबसे मजबूत विपक्षी चेहरे के रूप में उभरी हैं, जाहिर तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाने की कोशिश करती नजर आ रही हैं.
- मोदी के सामने 2024 में मजबूत चुनौती पेश करने के लिए उन्होंने काम करना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में उन्होंने विपक्ष को एक करने का आह्वान किया है.
- जुलाई की शुरुआत में पार्टी की 'शहीद दिवस रैली' में उन्होंने अपना वार्षिक संबोधन हिंदी, अंग्रेजी और बंगाली में दिया था. इस दौरान बनर्जी ने विपक्षी नेताओं से मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के वास्ते एकजुट होने और 'गठबंधन' के गठन की दिशा में काम शुरू करने के लिए कहा था.
- तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष के अनुसार, 'कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि ममता बनर्जी विपक्षी राजनीति के केंद्र के रूप में उभरी हैं. यदि आप उनके भाषण को देखते हैं, तो आपको पता चलेगा कि वह बीजेपी विरोधी वोटों को एकत्र करना चाहती हैं और बीजेपी के खिलाफ लोगों का गठबंधन बनाना चाहती हैं.'
क्या है ममता बनर्जी का प्लान?
- राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस विभिन्न दलों के नेताओं के साथ तालमेल का फायदा उठाकर करके उन्हें मेज पर ला सकती है. 2019 में विपक्षी दलों की सबसे बड़ी कमी जो निकली, वह थी बीजेपी के अभियान का मुकाबला करने के लिए एक साझा रणनीति का अभाव. तृणमूल कांग्रेस की ओर से मौजूदा मौहाल में बनर्जी के लिए उन सभी को एक मंच पर लाना तुलनात्मक रूप से आसान होगा.
- राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बंगाल चुनावों को लेकर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा 'मोदी बनाम ममता की लड़ाई' के रूप में पेश करके देशव्यापी मीडिया प्रचार ने केवल तृणमूल कांग्रेस प्रमुख को खुद को ऐसे नेता के रूप में स्थापित करने में मदद की है जो 2014 से चले आ रहे बीजेपी के विजयी रथ को रोक सकती है.
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