चीन की सरकार ने किया एक बड़ा फैसला और अमेरिका के साथ हो गया बड़ा खेल!
एप्पल के शेयर में आई इस गिरावट से फेडरल रिजर्व भी परेशान है. फेडरल रिजर्व अमेरिका के केंद्रीय बैंक को कहते हैं. जैसे भारत का RBI. अब ये जो फेडरल रिजर्व है, वो पहले से ही अमेरिका में लगातार बढ़ रही महंगाई का सामना कर रहा है.
नई दिल्ली:
चीन ने एक बड़ा फैसला किया है. सरकारी नौकरी करने वालों को कहा है कि वो एप्पल के फोन इस्तेमाल न करें. इस खबर के बाद एप्पल कंपनी के शेयर टूट गए. कंपनी को लाखों करोड़ों का नुकसान हो गया. अब एप्पल कंपनी है अमेरिका की. चीन के इस फैसले ने अमेरिका को भी नाराज कर दिया है. वहीं एप्पल भी अब अपनी मैन्यूफैक्चरिंग को चीन से भारत शिफ्ट कर सकती है. 5 सितंबर को एप्पल के शेयर का दाम करीब 190 डॉलर पर था जो अब 177.56 डॉलर पर पहुंच गया है. कंपनी के शेयर में करीब 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. ब्लूमबर्ग ने इस मामले में लिखा है कि केवल दो दिनों में एप्पल को करीब करीब 200 बिलियन डॉलर का नुकसान हो गया है. चीन न केवल आईफोन के लिए एक बहुत बड़ा बाजार है, बल्कि उसके लिए ये ग्लोबल प्रोडक्शन बेस भी है. सबसे अधिक आईफोन यहीं बनाए जाते हैं.
एप्पल के शेयर में आई इस गिरावट से फेडरल रिजर्व भी परेशान है. फेडरल रिजर्व अमेरिका के केंद्रीय बैंक को कहते हैं. जैसे भारत का RBI. अब ये जो फेडरल रिजर्व है, वो पहले से ही अमेरिका में लगातार बढ़ रही महंगाई का सामना कर रहा है, और अब ये नई मुसीबत उसके सामने आ खड़ी हुई है. इस मामले में ब्लूमबर्ग ने एक वरिष्ठ मार्केट एनालिस्ट से भी बात की.जिन्होंने कहा कि इससे अमेरिकी शेयर बाजार यानी नेस्डेक पर भी असर पड़ेगा, और टेक स्टॉक्स में गिरावट का रुख आ सकता है. अगर चीन ने आगे भी इस तरह के फैसले लिए तो उन कंपनियों पर भी असर होगा जो चीन के कारोबार पर निर्भर हैं. अगर चीन की सरकार उन डिवाइसों या तकनीकों को बैन करती है, जो अमेरिकी हैं और जो सेल्स और प्रोडक्शन के लिए चीन पर निर्भर हैं तो यकीनी तौर पर इन सभी को तगड़ा नुकसान होगा.
अब ये समझ लीजिए कि अगर अमेरिकी कंपनियों को नुकसान तो अमेरिका को नुकसान, लेकिन चीन ने इतना बड़ा कदम उठाया क्यों? अभी तक तो उसने अपने कर्मचारियों पर ऐसा कोई बैन नहीं लगाया था. फिर अचानक ऐसा क्या हो गया जो चीन ने अपने सरकारी कर्मचारियों को कह दिया कि आईफोन का इस्तेमाल न करें. इसका जवाब भी आपको देंगे लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि एप्पल कितनी बड़ी कंपनी है.
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कितनी बड़ी कंपनी है एप्पल?
एप्पल का मार्केट कैप है 2.78 trillion अमेरिकी डॉलर. एक ट्रिलियन यानी एक लाख करोड़. दुनिया के केवल छह देश ऐसे हैं जिनकी जीडीपी एप्पल के मार्केट कैप से ज्यादा है. अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम और भारत. साल 2022-23 में भारत की जीडीपी 3.4 ट्रिलियन डॉलर की थी. यानी एप्पल बहुत बड़ी कंपनी है, अपने आप में एक अर्थव्यवस्था है. दुनिया की सबसे वैल्युएबल पब्लिक कंपनी है.
पिछले साल कंपनी ने जो रेवेन्यू हासिल किया उसका पांचवां हिस्सा केवल चीन से था. कुल राजस्व था 394 बिलियन डॉलर, जिसमें से 18 प्रतिशत हिस्सा केवल चीन से था. वैसे तो एप्पल ये नहीं बताता कि उसने किस देश में कितने आईफोन बेचे लेकिन दुनियाभर के रिसर्च फर्म एनालिस्ट ये मानते हैं कि पिछले क्वाटर में एप्पल ने जितने आईफोन अमेरिका में बेचे, उससे ज्यादा आईफोन चीन में बेचे गए. यानी चीन, एप्पल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. चीन एप्पल के लिए सबसे बड़ा विदेशी बाजार भी है और बड़ा बड़ा प्रोडक्शन हब भी है. और अब चीन में आईफोन की बिक्री करीब 5 फीसदी तक कम हो सकती है और यदि कथित ग्रेटर चाइना यानी हांगकांग और ताइवान में भी ऐसा ही होता है तो ये एप्पल के लिए और बड़ा झटका साबित हो सकता है, या यूं भी कह सकते हैं कि अमेरिका के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.
आखिर चीन ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया?
चीन की एक कंपनी है जिसका नाम है हुआवेई. अमेरिका और भारत में ये कंपनी प्रतिबंधित है. 2019 में अमेरिका ने इस कंपनी पर बैन लगाया था. अमेरिका को शक है कि चीन इस कंपनी के उपकरणों के जरिए जासूसी कर सकता है. हाल ही में हुआवेई का एक नया फोन भी लॉन्च हुआ है. इसकी चिप भी चीन में ही बनी है लेकिन अमेरिका में ये फोन नहीं बिकेगा. हालांकि ये फोन चीन में बिकेगा. इसमें जिस 9000एस चिप का इस्तेमाल किया गया है वो काफी पावरफुल चिप है. इस नए मॉडल के जिए हुआवेई अपने बाजार को बढ़ाना चाहता है. यानी चीन एक ओर तो अमेरिका के प्रतिबंधों का जवाब देना चाहता है और दूसरी ओर अपने देश की कंपनी को फायदा पहुंचाना चाहता है और यही वजह है कि उसने इतना बड़ा फैसला लिया है.
एप्पल 12 सितंबर को अपना नया आईफोन लॉन्च करने वाला है. ये वक्त सेल्स को बढ़ाने का था लेकिन ठीक इसी वक्त चीन ने उसके साथ ये खेल कर दिया लेकिन चीन का ये फैसला भारत के लिए अच्छा हो सकता है क्योंकि अब एप्पल भारत में अपनी मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ा सकता है. खबर है कि एप्पल साल 2025 तक अपने 18 प्रतिशत फोन भारत में बनाना शुरू कर सकता है. वहीं भारत की सरकार ने जो PLI स्कीम लॉन्च की है वो भी एप्पल को इस लुभा रही है. माना ये भी जा रहा है कि एप्पल के बाद अमेरिका के बाकी टेक दिग्गज भी अपने कारोबार को भारत शिफ्ट कर सकते हैं.
भारत को कितना फायदा?
भारत भी यकीनन इस मौके का फायदा उठाना चाहेगा और शायद यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के भारत आने से पहले ही भारत सरकार ने सेब, बादाम, अखरोट और दाल सहित करीब आधा दर्जन उत्पादों पर से आयात शुल्क को हटा दिया है. दरअसल भारत ने 2019 में अमेरिका से आयात होने वाले 28 सामानों पर 120 फीसदी तक का आयात शुल्क लगाया था. दरअसल अमेरिका ने भी भारत के कुछ उत्पादों पर आयात शुल्क लगा दिया था जिसके बाद भारत ने ये फैसला किया था लेकिन अब भारत ने इस शुल्क को हटाने का फैसला लिया है. आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत पहुंच रहे हैं और इस दौरान वो भारत के पीएम मोदी के साथ एक बैठक भी करेंगे.
अब इस पूरे मामले को देखने से तीन-चार बातें साफ तौर पर समझ आती हैं- पहली बात ये कि चीन और अमेरिका अब ट्रेड वॉर के मुहाने पर हैं. दूसरी बात ये कि एप्पल एक कंपनी के तौर पर अपना फायदा देख रहा है जो उसे भारत में दिख रहा है. तीसरी बात ये कि अमेरिका और भारत के रिश्ते पहले से अधिक मजबूत होते दिख रहे हैं और चौथी बात ये कि इस पूरे प्रकरण से भारत को फायदा हो सकता है.
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