चीन ने दिया 'वसुधैव कुटुम्बकम' का संदेश, भारत का दिया उदाहरण
चीनी राष्ट्रपति ने नए साल के संदेश में कहा कि, विश्व एक परिवार की तरह है. भारत में भी ऐसी ही कहावत प्रचलित है, 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी कि, हमारी पूरी धरती एक परिवार है.
बीजिंग:
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पिछला साल चीन सहित दुनिया भर के लोगों के लिए चुनौती व मुश्किल भरा रहा. चीनी राष्ट्रपति ने नव वर्ष की पूर्व संध्या पर दिए संदेश में भी इसका जिक्र किया।. उन्होंने यह बताने का प्रयास किया कि चीन ने तमाम समस्याओं का किस तरह मुकाबला किया. साथ ही मुश्किलों को हल कर उपलब्धियां भी हासिल की. राष्ट्रपति शी के संदेश से यह भी पता चलता है कि चीन 2021 में भी चीनी नागरिकों की भलाई के लिए कोशिश करता रहेगा. गौरतलब है कि चीन ने सबसे पहले कोरोना महामारी की मार झेली और त्वरित कदम उठाए, जिसके चलते चीन ने कुछ ही महीनों में वायरस को बहुत हद तक नियंत्रित करने में कामयाबी पायी. चीन ने विश्व को वह कर दिखाया, जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना की थी. कई महीने बीत जाने के बाद भी अधिकांश देश महामारी से जूझ रहे हैं और लॉकडाउन भी चल रहा है, लेकिन चीनी राष्ट्रपति के नेतृत्व में चीन ने न केवल वायरस का प्रसार रोका, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नीचे नहीं जाने दिया. सुरक्षा व अर्थव्यवस्था के बीच सही संतुलन बनाकर चीन ने उदाहरण पेश किया है.
चीनी राष्ट्रपति के शब्दों में 2020 एक असाधारण साल रहा. इस दौरान कोरोना महामारी के मुकाबले में हर किसी व्यक्ति ने अपनी ओर से हरसंभव प्रयास किया. ध्यान रहे कि वायरस को सामने आए एक वर्ष से ज्यादा समय हो गया है, अब भी इस पर काबू नहीं किया जा सका है. हालांकि कई देश अपने नागरिकों को वैक्सीन लगाने के लिए तैयार हो रहे हैं. चीन व भारत भी इसी पंक्ति में खड़े हैं, लेकिन जैसा कि चीनी नेता ने कहा कि महामारी को कंट्रोल करने का रास्ता अभी बहुत लंबा है, क्योंकि वैक्सीन बाजार में आ जाने के बाद भी उसकी हर जरूरतमंद इंसान तक पहुंच आसान नहीं होगी. इसके साथ ही कुछ देशों में वायरस का नया व अधिक खतरनाक रूप सामने आया है, वैक्सीन उसके खिलाफ कितनी प्रभावी हो सकती है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगा. ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करने की जरूरत है. वायरस की कोई सीमा नहीं होती, वह गरीब व अमीर में भी भेद नहीं करता है. इसलिए सभी देशों के नीति-निर्धारकों को सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा.
इसके अलावा चीनी राष्ट्रपति ने कुछ और महत्वपूर्ण बातें कहीं, जिनमें गरीबी उन्मूलन, अर्थव्यवस्था की मजबूती व चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की सौंवी वर्षगांठ आदि प्रमुख हैं. बता दें कि चीन ने इस मुश्किल वक्त में भी सकारात्मक वृद्धि हासिल की है, जिससे अन्य देशों को भी प्रेरणा मिलेगी. इसके अलावा चीन ने करोड़ों लोगों को गरीबी के दलदल से बाहर निकालने में भी सफलता पायी है. खास तौर पर पिछले आठ वर्षों के दौरान गरीबी को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक अभियान चलाया गया. यही कारण है कि चीन इस मुश्किल लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब हो सका है.
वहीं कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना को इस साल सौ वर्ष पूरे होने वाले हैं, इस लंबी अवधि में भी पार्टी का मकसद नहीं बदला है. कहने का मतलब कि जनता के हितों को केंद्र में रखकर काम करने की भावना. चीनी राष्ट्रपति ने नए साल के संदेश में कहा कि, विश्व एक परिवार की तरह है. भारत में भी ऐसी ही कहावत प्रचलित है, 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी कि, हमारी पूरी धरती एक परिवार है. ऐसे में चीन का यह संदेश पूरी दुनिया को एक सूत्र में बांधने का काम कर सकता है.
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