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क्या पूछताछ के नाम पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है ED? ये है PMLA का सच

दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस को लेकर इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) काफी सुर्खियों में है, ED की कामकाज और उसके अधिकारों को लेकर कई लोगों में कन्फ्यूजन है,

Updated on: 14 Apr 2024, 12:27 PM

New Delhi:

ED:  दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस को लेकर प्रवर्तन निदेशालय यानी ED इन दिनों काफी चर्चा में है. ED ने शराब नीति केस में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और सांसद संजय सिंह के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद आप संजय सिंह को जमानत दे दी गई है. लेकिन ED अभी आप नेताओं से लगातार पूछताछ कर रही है. आप के कई और नेता भी ED की रडार में बताए जा रहे हैं.  इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल आजाद भारत में गिरफ्तार होने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं. यही वजह है कि ED इन दिनों खासी चर्चा में है. ऐसे में लोगों के मन में ED को लेकर तमाम सवाल बने हुए हैं. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ED पूछताछ के लिए किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है? और गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के नाम पर किसी को कब तक रिमांड या जेल में रखा जा सकता है? ऐसे में आज हम ED से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब देने जा रहे हैं...

पीएमएलए में कठोर कानूनों का प्रावधान

धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 ( Prevention of Money Laundering Act, 2002) कानून 2002 में बनाया गया था, जिसको एक जुलाई 2005 में लाया गया था. कानून का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराध को रोकना है. इस अधिनियम के तहत अपराधों की जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की सौंपी गई है. दरअसल, केंद्र सरकार ने 2018 में पीएमएलए में संशोधन कर उसके धारा 45 का प्रावधान किया था. इस धारा के तहत जमानत मिलना बहुत मुश्किल हो गया है. पीएमएलए के तहत सभी अपराध गंभीर और गैर-जमानती माने गए हैं, जिनमें अग्रिम जमानत की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. सरल भाषा में समझें तो पीएमएलए के तहत आरोपी को खुद अपनी बेगुनाही साबित करनी होती है, जो काफी चुनौती भरा हो सकता है. इस कानून में दो शर्तें रखी गई हैं. पहली यह कि अदालत को यह स्वीकार करना होगा कि आरोपी दोषी नहीं है और दूसरी कि जमानत के लिए गिरफ्तार व्यक्ति की अपराध करने की कोई मंशा नहीं थी. पीएमएलए अधिनियम में मनी लॉन्ड्रिंग को एक जघन्य अपराध माना गया है. 

क्या है ईडी और इसके अधिकार- 

स्थापना- 1 मई 1956
किसके अधीन- राजस्व विभाग और वित्त मंत्रालय
काम- मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन रोकना, भगौड़े अपराधियों की संपत्ति जब्त करना
जांच का अधिकार- एक करोड़ से ज्यादा की गलत कमाई का केस दर्ज तो पुलिस ईडी को सूचना देती है. ईडी स्वतः संज्ञान लेकर जांच कर सकती है.
गिरफ्तारी संबंधी अधिकार- मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है. संपत्ति जब्त करने का भी अधिकार है.
जमानत- स्पेशल कोर्ट से जमानत मिलने का प्रावधान. बाद में हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील.

इसके अलावा किसी के घर पर भी छापामारी और तलाशी लेने का से लेकर गिरफ्तारी तक का अधिकार ईडी को दिया गया है. इसके साथ ही ईडी को अधिकार है कि वो किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताए समन जारी कर सकती है.