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बीजेपी के लिए कहीं खुशी कहीं गम लेकर आए केरल निकाय चुनाव

बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए के हिस्से 23 ग्राम पंचायतें ही आई हैं, जबकि ब्लॉक या जिला पंचायत स्तर पर एनडीए को एक भी सीट नहीं मिली है.

Updated on: 17 Dec 2020, 04:19 PM

नई दिल्ली:

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद हैदराबाद निकाय चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी के लिए केरल के स्थानीय चुनाव भी राहत भरी खबर लेकर आए हैं. भले ही इन स्थानीय चुनावों में लेफ्ट का परचम फहरा गया हो, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लिए भी यह स्थानीय निकाय चुनाव परिणाम बीजेपी के लिए आंसू और खुशियां दोनों लाए हैं.

लेफ्ट का परचम
केरल में स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम बुधवार देर रात तक आ गए. 941 ग्राम पंचायतों में से 514 और 14 जिला पंचायतों में से 10 में जीत लेफ्ट की बादशाहत की कहानी कहती है. साथ ही 152 ब्लॉक पंचायतों में से 108 पर सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ को जीत मिली है. कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ दूसरे स्थान पर रहा. यूडीएफ को 375 ग्राम पंचायतों, 44 ब्लॉक पंचायतों और चार जिला पंचायतों पर जीत मिली है. वहीं बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए के हिस्से 23 ग्राम पंचायतें ही आई हैं, जबकि ब्लॉक या जिला पंचायत स्तर पर एनडीए को एक भी सीट नहीं मिली है.
 
आंसू-खुशी दोनों एक साथ
निकाय चुनाव परिणाम बीजेपी के लिए आंसू और खुशियां दोनों लाए हैं. यहां पर पार्टी ने कम से कम 600 अपनी सीटें खोई हैं, जहां पर पहले उन्हें जीत मिली थी. बीजेपी ने पिछले स्थानीय निकाय चुनावों में 1,236 सीटें जीती थीं. इस बार, पार्टी ने 2,500 सीटों के लक्ष्य के विपरीत 1,800 वार्डों में जीत हासिल की है. निगमों में एलडीएफ को कोझीकोड, कोल्लम और तिरुवनंतपुरम में भारी बहुमत मिला है और कोच्चि में यह एकलौती सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. यूडीएफ को कन्नूर में बहुमत और त्रिशूर में यह सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा मिला.

एनडीए को नगरपालिकाओं में मिलीं सिर्फ दो सीटें
कोच्चि और त्रिशूर में, दोनों मोर्चों को मेयर और डेप्युटी मेयर पद के लिए विपक्ष या निर्दलीय जीते उम्मीदवारों का समर्थन हासिल करना होगा. नगरपालिकाओं में, यूडीएफ ने बेहतर किया है, 86 नगरपालिकाओं में से 45 में यूडीएफ को जीत मिली है। एलडीएफ को 35 और एनडीए को दो सीटें ही मिली हैं.

सोना तस्करी आरोप बेअसर
परिणाम निश्चित रूप से यूडीएफ के लिए एक तगड़ा झटका है जो स्थानीय निकाय चुनावों में बड़ी जीत की उम्मीद कर रहा था और इसके जरिए वह 2021 के विधानसभा चुनावों में एकजुट और मजबूत दावेदारी पेश करने की जुगत में थे. नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला ने स्वीकार किया कि सोने की तस्करी मामले, एलडीएफ सरकार के भ्रष्टाचार का असर परिणामों में नहीं पड़ा है.

यूडीएफ के वोटबैंक में सेंध
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि यह लोगों की जीत है और केंद्र सरकार की एजेंसियों के लिए एक उचित जवाब है जो 'राज्य को बर्बाद करने' की कोशिश कर रहे हैं. विशेष रूप से त्रिशूर, एर्नाकुलम और कोट्टायम जिलों में यूडीएफ के वोट-बैंक में एलडीएफ ने सेंध लागाई है.

तीन चरणों में हुए चुनाव
941 ग्राम पंचायतों में, 15,962 वार्डों, 152 ब्लॉक पंचायतों में 2080 वार्डों, 14 जिला पंचायतों में 331 डिवीजनों, 86 नगरपालिकाओं में 3078 वार्डों और छह नगर निगमों में 414 वार्डों के चुनाव तीन चरणों, 8, 10 और 14 दिसंबर को हुए थे. कुल मतदान 76 फीसदी हुए थे, जो 2015 में 77.76% वोटिंग से थोड़ा कम था.